देहरादून: उत्तराखंड राज्य के महाविद्यालयों को ई-ग्रंथालय से जोड़ने की कवायद अंतिम चरण में है. वहीं, सरकार प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में भी ई-ग्रंथालय बनाने जा रही है. प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में ई-ग्रंथालय बनने के बाद उत्तराखंड राज्य देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा, जहां के मेडिकल कॉलेजों में ई-ग्रंथालय की सुविधा उपलब्ध होगी.
दरअसल, ई-ग्रंथालय पोर्टल एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां पर सभी तरह की पुस्तकें उपलब्ध होंगी. मुख्य रूप से अगर हम बात करें तो मेडिकल कॉलेजों में राज्य सरकार ई-ग्रंथालय बनाने की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है. जिसके तहत प्रदेश में मौजूद चारों मेडिकल कॉलेज के साथ ही मेडिकल यूनिवर्सिटी की सभी पुस्तकों को ई-ग्रंथालय पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाएगा. जिससे मेडिकल से जुड़ा कोई भी छात्र मेडिकल की कोई भी पुस्तक और रिसर्च पेपरों को आसानी से अपने मोबाइल पर पढ़ पाएगा. इससे छात्रों पर किताबों को लाने ले जाने का बोझ भी कम होगा. मेडिकल की किताबें काफी मोटी और भारी होती हैं, वहीं इसके अलावा उन्हें अपने विश्वविद्यालय या मेडिकल कॉलेजों से किताबों को इश्यू कराना पड़ता है.
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लेकिन किताबों की कमी के चलते कई छात्रों को किताबें उपलब्ध नहीं हो पाती हैं. यही वजह है उत्तराखंड सरकार महाविद्यालयों में ई-ग्रंथालय की व्यवस्था के साथ ही प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में भी ई-ग्रंथालय की व्यवस्था किए जाने की कवायद में जुट गई है. ताकि मेडिकल स्टडी से जुड़े छात्र कहीं पर भी मेडिकल की पुस्तकों को पढ़ सकें. हालांकि, इससे सबसे अधिक सहूलियत छात्रों को ही होगी, उन्हें किताबों को लाने ले जाने की दिक्कत नहीं होगी. वहीं, चिकित्सा शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि प्रदेश में जितने भी मेडिकल कॉलेज हैं, उनकी लाइब्रेरी को ई-ग्रंथालय बनाया जा रहा है.
हालांकि, वर्तमान समय में हर एक मेडिकल कॉलेज में 20 से 25 हजार किताबें हैं. ऐसे में ई-ग्रंथालय बनाने के बाद न सिर्फ प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों की पुस्तकें बल्कि, एम्स की भी पुस्तकें ई-ग्रंथालय पर आसानी से उपलब्ध होंगी. करीब पांच लाख किताबें छात्र ई-ग्रंथालय पर पढ़ सकेंगे. साथ ही कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी राज्य सरकार ने 22 लाख किताबों को ई-ग्रन्थालय पोर्टल पर एकत्र किया है, जहां से छात्र पुस्तक पढ़ सकते हैं.