देहरादून: प्रदेश में बीते तीन दिनों से चल रही अटकलों पर आज विराम लग गया है. दिल्ली में हाईकमान के साथ हुई मीटिंग के बाद देर रात 11 बजकर 16 मिनट पर तीरथ सिंह रावत ने राज्यपाल से मिलकर मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया है. सीएम बनने से इस्तीफे तक के सफर में तीरथ हमेशा ही चर्चाओं में बने रहे.
10 मार्च 2021 को शपथ लेने के बाद से अबतक के 115 दिनों की बात करें तो तीरथ के ये दिन कम विवादों भरे नहीं रहे. सीएम की कुर्सी संभालने के बाद से ही उन्होंने एक के बाद एक विवादित बयान दिये, जिसके कारण वे सोशल मीडिया और देश-विदेश के समाचार पत्रों की सुर्खियां बने. 115 दिनों में तीरथ सिंह रावत का किन-किन विवादों से पाला पड़ा आइये आपको बताते हैं.
10 मार्च को तीरथ सिंह रावत ने शपथ ग्रहण कर मुख्यमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया. इसके कुछ ही दिनों बाद उन्होंने विवादित बयानों की झड़ी लगा दी, जिससे वे सुर्खियों में बने रहे.
फटी जींस के बयान पर घिरे सीएम
बतौर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि-
आजकल लड़के घुटना फाड़ कर ही अपने आपको बड़ा समझते हैं. लड़कियां भी अब उनकी तरह फटी हुईं जींस से घुटने दिखाती हैं.
हालांकि, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने यह बयान लोगों को यह बताने के लिए दिया है कि बच्चों को संस्कार अच्छे दें, लेकिन मुख्यमंत्री के इस बयान का शोर हर जगह सुनाई दिया. हालांकि, इस बयान पर उन्हें माफी भी मांगनी पड़ी थी.
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भगवान राम-कृष्ण से की पीएम मोदी की तुलना
तीरथ सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना भगवान राम और कृष्ण से कर दी थी. उन्होंने कहा कि-
जिस तरह से द्वापर और त्रेता युग में भगवान राम व कृष्ण को लोग उनके कामों की वजह से भगवान मानने लगे थे. उसी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आने वाले समय में भगवान राम और कृष्ण की तरह मानने लगेंगे.
बच्चे पैदा करने को लेकर दिया विवादित बयान
पहले दो विवादित बयान देने के बाद सीएम तीरथ सिंह रावत ने एक बार फिर विवादित बयान दिया था, हालांकि उस दौरान कहा कि-
दो बच्चे पैदा किए, उन्हें कम राशन मिला. अगर उन्होंने ज्यादा बच्चे पैदा किए होते तो ज्यादा राशन मिलता. तीरथ सिंह रावत लॉकडाउन के दौरान राशन वितरण को लेकर बोल रहे थे. जिस दौरान सीएम ने कहा कि कम बच्चे पैदा करना किसकी गलती है.
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भारत की गुलामी को लेकर सीएम का ज्ञान
इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि- भारत ने दो सौ साल अमेरिका की गुलामी की. जिस पर हरीश रावत ने जमकर चुटकी ली थी. हरदा ये तक कह दिया था, धन्य हो उनका इतिहास का ज्ञान.
बनारस में कुंभ मेले का आयोजन
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत यहीं नहीं रुके बल्कि एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने बनारस में कुंभ मेले के आयोजन की बात कह दी. इस पर लोगों ने उनकी खूब खिंचाई की. लोगों ने चुटकी लेते हुए कहा कि लेकिन मुख्यमंत्री जी को इतना नहीं पता कि कुंभ मेला चार स्थानों पर लगता है. वो स्थान हैं हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और इलाहाबाद.
मुफ्त चीनी को लेकर हुए ट्रोल
उत्तरकाशी में कार्यक्रमों के शिलान्यास के दौरान भी मुख्यमंत्री तीरथ सिंह कुछ ऐसा बोल गये जिससे वे सोशल माडिया पर ट्रोल हो गये. दरअसल, यहां उन्होंने कहा कि-
आजादी के बाद से लोगों को चीनी (Free Sugar After Independence) नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार पहली सरकार है जो लोगों को दुख आपदा और कष्ट में चीनी बांट रही है. उन्होंने ऐलान किया था कि 3 महीनों के लिए प्रत्येक परिवार को 2 किलो चीनी कंट्रोल रेट पर दी जाएगी. मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद सोशल मीडिया में बहस छिड़ गई थी.
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भव्य कुंभ कराने को लेकर भी घिरे तीरथ
सीएम पद पर काबिज होते ही तीरथ सिंह रावत ने सबसे पहले त्रिवेंद्र सरकार के फैसले को पलटते हुए दिव्य और भव्य कुभ के आदेश दिये. जिसके बाज महाकुंभ के शाही स्नानों पर काफी भीड़ हुई. यहां लाखों की संख्या में साधु संत पहुंचे. इस दौरान कोरोना गाइडलाइन का भी जमकर उल्लंघन हुआ. यहां तक कि हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए कुंभ में हर रोज 50 हजार टेस्टिंग कराने के आदेश दिये. इसके अलावा कुंभ में कोरोना गाइडलाइन को लेकर भी समय-समय पर हाईकोर्ट ने सरकार और शासन को जवाब तलब किया. कुंभ में कोरोना के कारण कई संतों की मौत हुई. इतना ही नहीं, महाकुंभ को कोरोना स्प्रैडर के तौर पर देखा गया. देश दुनिया ने इसे कवर किया. महाकुंभ में बरती गई लापरवाही को लेकर भी तीरथ खूब चर्चाओं में रहे. ये भी उनके कार्यकाल में एक विवाद के तौर पर जुड़ा.
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महाकुंभ कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़ा
हरिद्वार कुंभ (Haridwar Kumbh) के दौरान कोरोना टेस्टिंग (Corona Testing) में बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा भी हुआ. जो तीरथ सरकार के समय का सबसे बड़ा विवाद है. दरअसल, उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) की तरफ से कुंभ मेले के दौरान कराई जाने वाली कोरोना टेस्टिंग के लिए एक प्राइवेट एजेंसी ने जांच की, जिसमें कम से कम एक लाख फर्जी रिपोर्ट पाई गई. हरिद्वार जिला प्रशासन ने जांच का आदेश दिये. प्राइवेट लैब्स के खिलाफ भी मुकदमें दर्ज किये गये. जांच के लिए एसआईटी टीम बनाई गई.
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बता दें हरिद्वार में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक कुंभ उत्सव का आयोजन किया गया था और इस अवधि में 9 एजेंसियों और 22 प्राइवेट लैब्स की तरफ से लगभग चार लाख कोरोना टेस्ट किए गए थे. इसमें 50 से ज्यादा लोगों को रजिस्टर्ड करने के लिए एक ही फोन नंबर का इस्तेमाल किया गया था. एक एंटीजन टेस्ट किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई थी.
विवादों पर विपक्ष ने घेरा
तीरथ सिंह रावत के कार्यकाल के दौरान विपक्ष समेत तमाम राजनैतिक दलों ने उन्हें जमकर घेरा. उनके बयानों को लेकर सोशल मीडिया पर भी उनकी खूब आलोचना हुई. उनके विवादों के देखते हुए कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने तो यहां तक कह दिया था कि सूबे के मुखिया ने जितने कीर्तिमान बनाए हैं, ऐसे में उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल होना चाहिए.