देहरादून: उत्तराखंड की राजनीति के समीकरण एक बार फिर बदले हुए नजर आ रहे हैं. जहां एक ओर राजनीतिक गलियारों में नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट जोर-शोर से चल रही है, तो वहीं कांग्रेस के पदाधिकारियों में भी बड़े फेरबदल के आसार जताये जा रहे हैं. राजनीतिक जानकार प्रदेश में हो रही इस सियासी उथल-पुथल का कारण विधानसभा चुनाव को लेकर बनाये जा रहे समीकरणों को बता रहे हैं.
नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट तेज
मार्च महीने के शुरू में प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट के बाद आखिरकार तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई. ऐसे में एक बार फिर परिस्थितियां मार्च महीने की तरह ही नजर आ रही हैं. जिसकी मुख्य वजह आनन-फानन में सीएम तीरथ सिंह को दिल्ली बुलाया जाना है. कुछ इसी तरह से मार्च महीने में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी अचानक से दिल्ली बुला लिया गया था. उसके बाद क्या कुछ हुआ वो पूरे देश ने देखा. अब तीरथ सिंह रावत को दिल्ली तलब किये जाने के बाद प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट फिर तेज हो गई है.
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कांग्रेस में भी ताममेल की कमी
वहीं, बात अगर कांग्रेस की करें तो नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद कांग्रेस भी स्थिति कुछ ऐसी ही नजर आ रही है. यहां नेता प्रतिपक्ष बनने को लेकर कांग्रेस के 10 विधायकों के बीच घमासान देखा जा रहा है. चर्चा यहां तक है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, किसी ऐसे व्यक्ति को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की रणनीतियां बुन रहे हैं, जिससे उनको आगे फायदा मिल सके. कुल मिलाकर देखें तो कांग्रेस के भीतर भी स्थितियां कुछ खास बेहतर नहीं हैं. कांग्रेस के विधायक आपस में ही तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं. जिसके कारण उनके घर की लड़ाई का शोर सियासी गलियारों की सुर्खियां बना हुआ है.
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प्रदेश में कभी भी कुछ भी हो सकता है
वहीं, प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बारे में वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत कहते हैं कि राज्य में अभी जो समीकरण बन रहे हैं उसके अनुसार कभी भी कुछ भी हो सकता है. जिसके चलते उत्तराखंड का राजनीतिक माहौल काफी गरमा गया है. जहां कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष को लेकर खींचतान हो रही है, वहीं भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन, अगला मुख्यमंत्री कौन, इन सभी मुद्दों के लेकर चर्चाओं का बाजार काफी गर्म है. ऐसे में इस महीने के भीतर ही इन सभी चर्चाओं पर स्थिति स्पष्ट होने के आसार हैं.
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भाजपा बता रही कांग्रेस की साजिश
राजनीतिक गलियारों में चल रही नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट को भाजपा कांग्रेस की साजिश बता रही है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स ने बताया कि रामनगर में आयोजित चिंतन शिविर में राष्ट्रीय पदाधिकारी मौजूद थे, लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मौजूद नहीं थे. जिसके चलते मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत खुद उनसे मिलने गए हैं. वह गुरुवार को ही वापस आ रहे हैं. लिहाजा भाजपा में सब कुछ सामान्य है. कांग्रेस बस इन बातों को उड़ा रही है, ताकि कोई उनके घर के झगड़े को ना सुन सके. शादाब शम्स ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस में 10 विधायक हैं. उनमें से 5 विधायक नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए दावेदारी कर रहे हैं. जिसके चलते अभी तक नेता प्रतिपक्ष नहीं चुना गया है.
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भाजपा में सिर फुटव्वल
वहीं, कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने भाजपा के इस बयान पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि सिर फुटव्वल की स्थिति कांग्रेस में नहीं बल्कि भाजपा में बनी हुई है. पिछले 4 सालों से भाजपा में यही दिखाई दे रहा है. प्रचंड बहुमत और डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद राज्य को राजनीतिक अस्थिरता की ओर धकेल दिया गया.
ऐसे में अब एक बार फिर चर्चा यहां चल रही है कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को दिल्ली तलब इसलिए किया गया है क्योंकि उनके पैरों के तले से जमीन खिसकाई जा सके. उनकी बलि देने की तैयारी भाजपा कर रही है. उन्होंने कहा कांग्रेस की स्थितियां काफी बेहतर हैं. दिल्ली में इस समय आगामी चुनाव की रणनीतियां बनाई जा रही हैं. इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद खाली हुए पदों को भरने के लिए भी मंथन चल रहा है.