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प्रदेश में बढ़ रही बेरोजगारों की 'फौज', आखिर कब मिलेगा रोजगार?

प्रदेश में युवाओं को आज आउट सोर्स पर नौकरी पाने के लिए भी धक्के खाने पड़ रहे हैं. स्थिति यह है कि लाखों के प्रोफेशनल कोर्स और डिग्रियां लेने वाले युवाओं को 8-10 हजार तक की नौकरी भी नहीं मिल पा रही है.

dehradun
बेरोजगारों की बढ़ती संख्या
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Published : Oct 8, 2021, 11:38 AM IST

Updated : Oct 9, 2021, 4:01 PM IST

देहरादून: भले की प्रदेश सरकार युवाओं को रोजगार देने की मुनादी करा रही हो, लेकिन हकीकत यह है कि युवा सड़कों पर बेरोजगार घूम रहे हैं. प्रदेश में युवाओं को आज आउट सोर्स पर नौकरी पाने के लिए भी धक्के खाने पड़ रहे हैं. स्थिति यह है कि लाखों के प्रोफेशनल कोर्स करने और डिग्रियां लेने वाले युवाओं को 8-10 हजार तक की नौकरी भी नहीं मिल पा रही है. यही नहीं जिस पोस्ट के लिए क्वालिफिकेशन 10वीं 12वीं रखीं गई है, वहां पर एमएससी और कई कोर्स करने वाले युवा आवेदन कर रहे हैं.

नौकरी के लिए धक्के खा रहे युवा: वैसे तो पूरा देश ही बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है, लेकिन उत्तराखंड में रोजगार का मामला कुछ ज्यादा ही गंभीर है. हालांकि हकीकत में यह आंकड़ा कई गुना ज्यादा भी हो सकता है. उत्तराखंड में बेरोजगारी की हालत यह है कि साल 2020-21 में करीब 8 लाख युवाओं के रजिस्ट्रेशन सेवायोजन कार्यालय में थे. इसमें से इस वित्तीय वर्ष में डेढ़ हजार लोगों को ही नौकरी मिल पाई. हालत यह है कि अब युवा आउट सोर्स पर नौकरी करने के लिए भी भागा दौड़ी में जुटे हुए हैं. इसका ताजा उदाहरण ऊर्जा विभाग में जेई और एई के पद पर 11 महीने की नौकरी को लेकर जुटा युवाओं का वह हुजूम है जो बीटेक और पॉलिटेक्निक करने के बाद 8 से 12 हजार की नौकरी के लिए भी धक्के खाते हुए दिखाई दिए.

प्रदेश में बढ़ रही बेरोजगारों की 'फौज'

पढ़ें-ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन निर्माण से खतरे में मरोड़ा गांव, मकानों में पड़ी दरारें

वहीं ऊर्जा निगम में कुछ पदों के लिए भर्ती निकाली गई तो इंटरव्यू में सैकड़ों युवा लाइन में खड़े दिखाई दिए. युवाओं ने बताया कि 11 महीने के लिए ऊर्जा निगम जेई और एई की नौकरी दे रहा है. इसमें 8 से 12 हजार और 12 से 18 हजार रुपए प्रतिमाह तक युवाओं को दिए जाएंगे. यह सब वह युवा हैं, जो लाखों रुपए के प्रोफेशनल कोर्स करने के बाद घरों में खाली बैठे हैं.उत्तराखंड में यूं तो रोजगार को लेकर स्थिति पहले से ही खराब थी, लेकिन कोविड-19 ने देश भर की तरह उत्तराखंड में भी रोजगार के अवसरों को कम किया है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की तरफ से 2019 की रिपोर्ट में साफ किया गया है कि राज्य में बेरोजगारी दर 14.2 तक पहुंची, जो कि राष्ट्रीय औसत से बेहद ज्यादा थी.

कमाल की बात यह है कि कोरोना के दौरान 2021 में बेरोजगारी दर 6.2 हो गई जो कि राष्ट्रीय औसत से कम थी. भाजपा सरकार की बात करें तो पिछले 4 सालों में करीब 4,72,000 बेरोजगारों ने सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण करवाया है. इसमें सबसे बड़ी संख्या राजधानी देहरादून के युवाओं की है. देहरादून में 71,500 बेरोजगारों ने पंजीकरण कराया. बेरोजगारी को लेकर खराब हालातों के उदाहरण इतने भर नहीं हैं. हाल ही में फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती में ग्रेजुएट युवाओं ने प्रतिभाग किया. यही नहीं हाल ही में होमगार्ड के 165 पदों पर होने वाली भर्ती में भी बीएससी और एमएससी करने वाले युवा आवेदन कर रहे हैं. जाहिर है कि युवाओं की अब किसी भी स्थिति में नौकरी पाने की कोशिश है तो इस कोशिश में वे आउटसोर्स या कम वेतन वाले छोटे पदों पर भी आवेदन कर रहे हैं.

पढ़ें-PM का उत्तराखंड दौरा: सैनिक कार्ड खेलना नहीं भूले मोदी, जानें क्या-क्या बोले

मामले में भाजपा का तर्क: इस मामले में भाजपा अपने तर्क देकर बेरोजगारी के बेहद ज्यादा होने की बात को नकार रही है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विनोद सुयाल कहते हैं कि सरकार ने युवाओं के लिए ज्यादा से ज्यादा सरकारी नौकरी के दरवाजे खोलने का प्रयास किया है. लेकिन सभी युवाओं को सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती और सरकार स्वरोजगार की तरफ युवाओं को ले जाना चाहती है.

भाजपा नेता ने बड़ी आसानी से स्वरोजगार की बात भी कह दी और सरकारी नौकरियों के दरवाजे खोलने का तर्क भी दे दिया, लेकिन अंदाजा लगाइए कि स्वरोजगार करने के लिए युवा पैसा कहां से लगाएंगे. इसकी चिंता भाजपा सरकार को नहीं. हालांकि सरकार इस मामले में ऋण देने की बात कह रही है. लेकिन सब जानते हैं कि यह ऋण कितना मुश्किल और कितनी कम संख्या में युवाओं को दिया जा रहा है. उधर दूसरी तरफ सरकारी नौकरियों की बात करें तो प्रदेश के पास आयोग में इतनी क्षमता ही नहीं है कि वह अगले तीन से चार महीनों में 25,000 पदों पर भर्ती करा सके.

रोजगार के लिए बड़े बजट की जरूरत: इस मामले में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल कहते हैं कि उनकी सरकार आने पर बेरोजगारों को रोजगार के नए अवसर दिए जाएंगे और हर संभव कोशिश कर युवाओं को रोजगार दिलाया जाएगा. गणेश गोदियाल ने आगे कहा कि राज्य को युवाओं तक रोजगार पहुंचाने के लिए एक बड़े बजट की जरूरत है, जिसे राज्य को एकत्र करना होगा और युवाओं के लिए कुछ नए प्लान भी तैयार करने होंगे.

देहरादून: भले की प्रदेश सरकार युवाओं को रोजगार देने की मुनादी करा रही हो, लेकिन हकीकत यह है कि युवा सड़कों पर बेरोजगार घूम रहे हैं. प्रदेश में युवाओं को आज आउट सोर्स पर नौकरी पाने के लिए भी धक्के खाने पड़ रहे हैं. स्थिति यह है कि लाखों के प्रोफेशनल कोर्स करने और डिग्रियां लेने वाले युवाओं को 8-10 हजार तक की नौकरी भी नहीं मिल पा रही है. यही नहीं जिस पोस्ट के लिए क्वालिफिकेशन 10वीं 12वीं रखीं गई है, वहां पर एमएससी और कई कोर्स करने वाले युवा आवेदन कर रहे हैं.

नौकरी के लिए धक्के खा रहे युवा: वैसे तो पूरा देश ही बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है, लेकिन उत्तराखंड में रोजगार का मामला कुछ ज्यादा ही गंभीर है. हालांकि हकीकत में यह आंकड़ा कई गुना ज्यादा भी हो सकता है. उत्तराखंड में बेरोजगारी की हालत यह है कि साल 2020-21 में करीब 8 लाख युवाओं के रजिस्ट्रेशन सेवायोजन कार्यालय में थे. इसमें से इस वित्तीय वर्ष में डेढ़ हजार लोगों को ही नौकरी मिल पाई. हालत यह है कि अब युवा आउट सोर्स पर नौकरी करने के लिए भी भागा दौड़ी में जुटे हुए हैं. इसका ताजा उदाहरण ऊर्जा विभाग में जेई और एई के पद पर 11 महीने की नौकरी को लेकर जुटा युवाओं का वह हुजूम है जो बीटेक और पॉलिटेक्निक करने के बाद 8 से 12 हजार की नौकरी के लिए भी धक्के खाते हुए दिखाई दिए.

प्रदेश में बढ़ रही बेरोजगारों की 'फौज'

पढ़ें-ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन निर्माण से खतरे में मरोड़ा गांव, मकानों में पड़ी दरारें

वहीं ऊर्जा निगम में कुछ पदों के लिए भर्ती निकाली गई तो इंटरव्यू में सैकड़ों युवा लाइन में खड़े दिखाई दिए. युवाओं ने बताया कि 11 महीने के लिए ऊर्जा निगम जेई और एई की नौकरी दे रहा है. इसमें 8 से 12 हजार और 12 से 18 हजार रुपए प्रतिमाह तक युवाओं को दिए जाएंगे. यह सब वह युवा हैं, जो लाखों रुपए के प्रोफेशनल कोर्स करने के बाद घरों में खाली बैठे हैं.उत्तराखंड में यूं तो रोजगार को लेकर स्थिति पहले से ही खराब थी, लेकिन कोविड-19 ने देश भर की तरह उत्तराखंड में भी रोजगार के अवसरों को कम किया है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की तरफ से 2019 की रिपोर्ट में साफ किया गया है कि राज्य में बेरोजगारी दर 14.2 तक पहुंची, जो कि राष्ट्रीय औसत से बेहद ज्यादा थी.

कमाल की बात यह है कि कोरोना के दौरान 2021 में बेरोजगारी दर 6.2 हो गई जो कि राष्ट्रीय औसत से कम थी. भाजपा सरकार की बात करें तो पिछले 4 सालों में करीब 4,72,000 बेरोजगारों ने सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण करवाया है. इसमें सबसे बड़ी संख्या राजधानी देहरादून के युवाओं की है. देहरादून में 71,500 बेरोजगारों ने पंजीकरण कराया. बेरोजगारी को लेकर खराब हालातों के उदाहरण इतने भर नहीं हैं. हाल ही में फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती में ग्रेजुएट युवाओं ने प्रतिभाग किया. यही नहीं हाल ही में होमगार्ड के 165 पदों पर होने वाली भर्ती में भी बीएससी और एमएससी करने वाले युवा आवेदन कर रहे हैं. जाहिर है कि युवाओं की अब किसी भी स्थिति में नौकरी पाने की कोशिश है तो इस कोशिश में वे आउटसोर्स या कम वेतन वाले छोटे पदों पर भी आवेदन कर रहे हैं.

पढ़ें-PM का उत्तराखंड दौरा: सैनिक कार्ड खेलना नहीं भूले मोदी, जानें क्या-क्या बोले

मामले में भाजपा का तर्क: इस मामले में भाजपा अपने तर्क देकर बेरोजगारी के बेहद ज्यादा होने की बात को नकार रही है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विनोद सुयाल कहते हैं कि सरकार ने युवाओं के लिए ज्यादा से ज्यादा सरकारी नौकरी के दरवाजे खोलने का प्रयास किया है. लेकिन सभी युवाओं को सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती और सरकार स्वरोजगार की तरफ युवाओं को ले जाना चाहती है.

भाजपा नेता ने बड़ी आसानी से स्वरोजगार की बात भी कह दी और सरकारी नौकरियों के दरवाजे खोलने का तर्क भी दे दिया, लेकिन अंदाजा लगाइए कि स्वरोजगार करने के लिए युवा पैसा कहां से लगाएंगे. इसकी चिंता भाजपा सरकार को नहीं. हालांकि सरकार इस मामले में ऋण देने की बात कह रही है. लेकिन सब जानते हैं कि यह ऋण कितना मुश्किल और कितनी कम संख्या में युवाओं को दिया जा रहा है. उधर दूसरी तरफ सरकारी नौकरियों की बात करें तो प्रदेश के पास आयोग में इतनी क्षमता ही नहीं है कि वह अगले तीन से चार महीनों में 25,000 पदों पर भर्ती करा सके.

रोजगार के लिए बड़े बजट की जरूरत: इस मामले में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल कहते हैं कि उनकी सरकार आने पर बेरोजगारों को रोजगार के नए अवसर दिए जाएंगे और हर संभव कोशिश कर युवाओं को रोजगार दिलाया जाएगा. गणेश गोदियाल ने आगे कहा कि राज्य को युवाओं तक रोजगार पहुंचाने के लिए एक बड़े बजट की जरूरत है, जिसे राज्य को एकत्र करना होगा और युवाओं के लिए कुछ नए प्लान भी तैयार करने होंगे.

Last Updated : Oct 9, 2021, 4:01 PM IST
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