देहरादून: राजधानी के आर्केडिया-ईस्टहोपटाउन स्थित राज्य के सबसे बड़े चाय बागान के श्रमिकों को काम से बाहर करने के मामले में आखिरकार डीटीसी कंपनी प्रबंधन ने सफाई दी है. साथ ही आंदोलनरत कर्मियों के सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है.
कंपनी के पूर्णकालिक निदेशक डीके सिंह के मुताबिक किसी भी स्थायी व अस्थायी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकला गया हैं. बल्कि कोरोना महामारी के दौर में चाय बागान में काम कम होने के कारण 9 अस्थायी श्रमिकों को बकायदा नोटिस जारी कर 6 दिनों के लिए कार्यमुक्त किया है. ऐसे में कंपनी के अन्य श्रमिक भी सामूहिक तौर पर एकजुट होकर हड़ताल पर चल रहे हैं, जो सरासर गलत है. कंपनी के मुताबिक कुछ लोग कंपनी से व्यक्तिगत फायदा उठाने के चलते श्रमिकों को भड़का कर आंदोलन करवा रहे हैं.
कंपनी की प्रॉपर्टी खाली करने के नोटिस के चलते साजिश के तहत आंदोलन: डायरेक्टर
कंपनी डायरेक्टर के मुताबिक चाय बागान से रिटार्यड हो चुके कर्मचारियों के परिवार वालों ने गैरकानूनी रूप से कंपनी के रिहायशी क्वार्टर और भूमि में लंबे समय से कब्जा किया हुआ है. ऐसे में उनको न्यायिक प्रक्रिया के तहत कंपनी की प्रॉपर्टी खाली करने का नोटिस दिया है. तभी से कुछ लोग अपने व्यक्तिगत हितों के चलते चाय बागान श्रमिकों को आंदोलन के लिए बरगला कर साजिश कर रहे हैं.
चाय बागान की भूमि को खुर्दबुर्द करना गैरकानूनी: कंपनी डायरेक्टर
वहीं, कुछ श्रमिकों द्वारा चाय बागान की सैकड़ों एकड़ भूमि खुर्द-बुर्द करने के आरोप को भी कंपनी डायरेक्टर ने सिरे से खारिज किया है. डीके सिंह के मुताबिक 1970 सीलिंग एक्ट के मुताबिक न ही चाय बागान की भूमि को खुर्द-बुर्द कर बेचा जा सकता हैं और न ही ऐसी किसी विक्रय डील को कानूनी रूप में वैध माना जा सकता है. ऐसा करने पर स्वतः ही भूमि सरकार को निहित हो जाएगी.
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बागान में नए पौधों का प्लांटेशन जारी
उन्होंने आगे कहा कि दशकों पुराने चाय के कई बागान नष्ट हो चुके हैं. ऐसे में ऑल इंडिया टी बोर्ड से अनुमति लेकर इन जमीनों पर चाय के पौध लगाने सहित अन्य खाली जमीनों पर खेती की जा सकती है.