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नशा मुक्ति केंद्रों को फाइनल रजिस्ट्रेशन के लिए मिलेगा एक साल का वक्त

मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम में नये प्रावधान किये गये हैं. इसमें नशा मुक्ति और मेंटल हेल्थ इंस्टीट्यूशन को फाइनल रजिस्ट्रेशन के लिए एक साल का वक्त दिया जाएगा. इसके साथ ही इस एक्ट में डिफॉल्टर इंस्टीट्यूशन को बंद करने का भी प्रावधान है.

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नशा मुक्ति केंद्रों को फाइनल रजिस्ट्रेशन के लिए मिलेगा एक साल का वक्त
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Published : Jul 22, 2023, 6:57 PM IST

देहरादून: मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब इसके प्रावधानों के अनुसार प्रक्रिया शुरू हो गई है. जिसके तहत नशा मुक्ति केंद्र और मेंटल हेल्थ इंस्टीट्यूशन के साथ ही इनमें काम करने वाले सभी लोगों को स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी में रजिस्ट्रेशन कराना होगा. स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी स्वास्थ्य सचिव और सीईओ की जिम्मेदारी डीजी हेल्थ की होती है. इसके साथ ही इस अथॉरिटी में दूसरे विभाग के अधिकारी भी सदस्य के रूप में काम करते हैं.

स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी के अध्यक्ष डॉ आर राजेश कुमार ने बताया इनिशियल रजिस्ट्रेशन के लिए 2000 रुपए का प्रावधान रखा गया है. इनिशियल रजिस्ट्रेशन के बाद नशा मुक्ति केंद्र और मेंटल हेल्थ इंस्टीट्यूशन को एक साल का समय दिया जाएगा. जिससे वो मेंटल हेल्थ एक्ट के मानकों के अनुरूप व्यवस्थाएं पूरी कर लें. जिसके बाद अधिकारियों की ओर से फाइनल इंस्पेक्शन किया जाएगा. फिर जो इंस्टीट्यूशन मानकों पर खरा उतरेंगे उनकी ओर से 20 हजार रुपए रजिस्ट्रेशन फीस जमा कराई जाएगी. फिर फाइनल रजिस्ट्रेशन किया जाएगा.

पढे़ं- हेलीकॉप्टर लैंडिंग के दौरान कई बार टली दुर्घटनाएं, VIP सिक्योरिटी में बदइंतजामी, गंभीर नहीं 'जिम्मेदार'

साथ ही अथॉरिटी के अध्यक्ष ने बताया स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी में डीजी हेल्थ के साथ ही साइकियाट्रिस्ट (psychiatrist), न्याय, वित्त और गृह विभाग के भी मेंबर रहते हैं. ये सभी फील्ड में काम कर रहे अधिकारियों को निर्देश देते रहते हैं. इसके अलावा जिलों में डिस्ट्रिक्ट रिव्यू बोर्ड भी होते हैं, जो जिले के जज की अध्यक्षता में काम करते हैं. इसका काम राइट ऑफ मेंटली इल मरीजों को इंस्टीट्यूशन में मिलने वाली सुविधाओं पर ध्यान रखना है. साथ ही आर राजेश कुमार ने बताया इस एक्ट में डिफॉल्टर इंस्टीट्यूशन को बंद करने का भी प्रावधान है.

देहरादून: मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब इसके प्रावधानों के अनुसार प्रक्रिया शुरू हो गई है. जिसके तहत नशा मुक्ति केंद्र और मेंटल हेल्थ इंस्टीट्यूशन के साथ ही इनमें काम करने वाले सभी लोगों को स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी में रजिस्ट्रेशन कराना होगा. स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी स्वास्थ्य सचिव और सीईओ की जिम्मेदारी डीजी हेल्थ की होती है. इसके साथ ही इस अथॉरिटी में दूसरे विभाग के अधिकारी भी सदस्य के रूप में काम करते हैं.

स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी के अध्यक्ष डॉ आर राजेश कुमार ने बताया इनिशियल रजिस्ट्रेशन के लिए 2000 रुपए का प्रावधान रखा गया है. इनिशियल रजिस्ट्रेशन के बाद नशा मुक्ति केंद्र और मेंटल हेल्थ इंस्टीट्यूशन को एक साल का समय दिया जाएगा. जिससे वो मेंटल हेल्थ एक्ट के मानकों के अनुरूप व्यवस्थाएं पूरी कर लें. जिसके बाद अधिकारियों की ओर से फाइनल इंस्पेक्शन किया जाएगा. फिर जो इंस्टीट्यूशन मानकों पर खरा उतरेंगे उनकी ओर से 20 हजार रुपए रजिस्ट्रेशन फीस जमा कराई जाएगी. फिर फाइनल रजिस्ट्रेशन किया जाएगा.

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साथ ही अथॉरिटी के अध्यक्ष ने बताया स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी में डीजी हेल्थ के साथ ही साइकियाट्रिस्ट (psychiatrist), न्याय, वित्त और गृह विभाग के भी मेंबर रहते हैं. ये सभी फील्ड में काम कर रहे अधिकारियों को निर्देश देते रहते हैं. इसके अलावा जिलों में डिस्ट्रिक्ट रिव्यू बोर्ड भी होते हैं, जो जिले के जज की अध्यक्षता में काम करते हैं. इसका काम राइट ऑफ मेंटली इल मरीजों को इंस्टीट्यूशन में मिलने वाली सुविधाओं पर ध्यान रखना है. साथ ही आर राजेश कुमार ने बताया इस एक्ट में डिफॉल्टर इंस्टीट्यूशन को बंद करने का भी प्रावधान है.

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