देहरादून: उत्तराखंड में मानसून के शुरुआती महीने कम बारिश के चलते सूखे की ओर इशारा कर रहे हैं, बावजूद इसके उत्तराखंड के किसानों को सूखे से खेती में कोई नुकसान नहीं होगा. जानिए कैसे उत्तराखंड के किसानों को इस साल सूखे से नहीं पड़ेगा फर्क.
मानसून सीजन के दौरान उत्तराखंड में इस बार कम बारिश होने के आसार नजर आ रहे हैं. शुरुआती 2 महीनों के आंकड़े तो कुछ इसी ओर इशारा कर रहे हैं. प्रदेश में जून और जुलाई के महीने सामान्य से भी कम हुई. बारिश की ये कमी भविष्य में सूखे की ओर इशारा कर रही है, लेकिन कृषि मंत्री का दावा है कि इस सूखे का उत्तराखंड की खेती पर कोई असर नहीं होने वाला है.
दरअसल, जून महीने में जहां 52 फीसदी बारिश कम हुई है तो वहीं जुलाई माह में कुल 29 प्रतिशत बारिश कम आंकी गई है. अब तक का कुल आंकड़ा निकाला जाए तो प्रदेश में 26 प्रतिशत कम बारिश हुई है, जो कि सामान्य से भी बेहद ज्यादा कम है. हालांकि सितंबर तक इसमें कुछ राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.
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राज्य में बारिश कम होने से सूखे जैसे हालात होने की आशंका है, सबसे ज्यादा बूरे हालत पौड़ी, उत्तरकाशी, टिहरी और बागेश्वर जिले के है. यहां इस सबसे कम बारिश हुई है, लेकिन इसका खेती पर कोई असर नहीं पडे़गा. ये हम नहीं बल्कि सूबे के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल कह रहे है. इसके पीछे उनके तर्क भी है.
कृषि मंत्री की माने तो पिछले साल उत्तराखंड में बारिश काफी ज्यादा हुई थी. जिससे खेतों में नमी पर्याप्त मात्रा में हैं. जल स्त्रोत भी पूरी तरह से भरे हुए हैं. ऐसे में यदि कुछ हद तक बारिश कम भी होती है तो इसका किसानों को कोई नुकसान नहीं होगा.
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कृषि विभाग ने मानसून में बारिश को लेकर जिला प्रशासन और मौसम विभाग से तमाम आंकड़े जुटाए हैं. साथ ही किसानों की जमीनों में मौजूदा नमी की स्थिति का भी विभाग ने आकलन किया है. शायद यही कारण है कि बेहद ज्यादा कम बारिश होने के बावजूद कृषि विभाग इसको लेकर कुछ ज्यादा चिंतित नहीं दिखाई दे रहा.