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Chardham Yatra: कल खुलेंगे बदरीनाथ धाम के कपाट, एक दिन में 15 हजार श्रद्धालु कर सकेंगे दर्शन - badrinath dham hindi latest news

चारधामों में से एक बदरीनाथ धाम के कपाट कल 8 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे. उत्तराखंड सरकार ने चारधाम यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों की संख्या तय कर दी है. एक दिन में 15 हजार श्रद्धालु ही बदरीनाथ के दर्शन कर सकेंगे.

Chardham Yatra
बदरीनाथ धाम के कपाट
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Published : May 7, 2022, 11:23 AM IST

Updated : May 7, 2022, 12:39 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा का आगाज 3 मई को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ ही हो गया था. शुक्रवार 6 मई को बाबा केदार के कपाट भी खुल गए. अब 8 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे. 8 मई को सुबह सवा 6 बजे बदरीनाथ धाम के कपाट खोल दिए जाएंगे. मोक्षधाम बदरीनाथ के कपाट खुलने का शुभ मुहूर्त अब बस कुछ पल दूर है. जोशीमठ नृसिंह बदरी मंदिर में वैदिक पूजा अनुष्ठान के बाद अराध्य गद्दी, गाडू घड़ा बदरीनाथ के मुख्य पुजारी रावल के सानिध्य में बदरीनाथ धाम पहुंच गई है.

अलकनंदा नदी के तट पर स्थित बदरीनाथ धाम को मोक्षधाम भी कहा जाता है. भगवान विष्णु के इस धाम को लेकर श्रद्धालुओं में अगाध श्रद्धा है. बदरीनाथ देश के चारधामों में भी शामिल है. रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी और द्वारका के साथ शामिल है. मंदिर समुद्र तल से 10,200 फीट की ऊंचाई पर है. मंदिर के ठीक सामने भव्य नीलकंठ चोटी है. मंदिर जोशीमठ से लगभग 45 किमी दूर है, जो कि एक बेस कैंप भी है.

धाम में यात्रियों की संख्या का निर्धारण: चारधाम यात्रा के दौरान यात्रियों की संख्या मंदिर समिति द्वारा निर्धारित कर दी गई है. बदरीनाथ धाम के दर्शन के लिए हर दिन 15 हजार श्रद्धालु दर्शन करेंगे. वहीं केदारनाथ के दर्शन के लिए हर दिन 12 हजार यात्री दर्शन करेंगे. इसके अलावा गंगोत्री में 7,000 यात्री 1 दिन में कर दर्शन करेंगे. जबकि एक दिन में यमुनोत्री में चार हजार श्रद्धालु ही दर्शन कर सकेंगे.

बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले होने वाला गरुड़ छाड़ मेला का आयोजन गुरुवार को आयोजित किया गया था. बदरीनाथ के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की. इस दौरान श्रद्धालुओं ने भगवान बदरीनाथ को गरुड़ में बैठाकर बदरीनाथ धाम के लिए रवाना किया. बदरीनाथ के कपाट खुलने से पहले हर साल जोशीमठ में गरुड़छाड़ मेले का आयोजन होता है.

कैसे करें चारधाम के लिए रजिस्ट्रेशन: 2013 में आई केदार आपदा के बाद से चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन (char dham yatra package) अनिवार्य किया गया है. गढ़वाल मंडल विकास निगम (GMVN) की वेबसाइट gmvnonline.com पर क्लिक करने पर होम पेज ओपन होगा. ऊपर चारधाम ऑफिशियल यात्रा रजिस्ट्रेशन पर क्लिक करें. जिसके बाद नया इंटरफेस खुलेगा. जिस पर दाहिने साइड में एक विंडो ओपन होगा. पहला ऑप्शन चारधाम टूर पैकेज होगा और दूसरा दूसरा चारधाम रजिस्ट्रेशन का. रजिस्ट्रेशन वाले आप्शन पर क्लिक करने पर नया इंटरफेस खुलेगा. जिसमें, राष्ट्रीयता, आधार नंबर, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी इंटर कर सबमिट करने पर रजिस्ट्रेशन हो जाएगा, जिसके बाद रजिस्ट्रेशन हो जाएगा. अगर आप ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं कर पा रहे हैं तो हरिद्वार, देहरादून, चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में 24 सेंटर बनाए गए हैं, जहां आप यात्रा शुरू करने से पहले रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.

बदरीनाथ धाम की मान्यता: बदरीनाथ अथवा बदरीनारायण मंदिर उत्तराखंड के चमोली में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है. विष्णु को समर्पित मंदिर है और यह स्थान चारधामों में से एक यह एक प्राचीन मंदिर है. बदरीनाथ मंदिर में हिंदू धर्म के देवता विष्णु के एक रूप बदरीनारायण की पूजा होती है. यहां उनकी एक मीटर लंबी शालिग्राम से निर्मित मूर्ति है, जिसके बारे में मान्यता है कि इसे आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में समीपस्थ नारदकुंड से निकालकर स्थापित किया था.

इस मूर्ति को कई हिंदुओं द्वारा विष्णु के आठ स्वयं व्यक्त क्षेत्रों (स्वयं प्रकट हुई प्रतिमाओं) में से एक माना जाता है. यद्यपि, यह मंदिर उत्तर भारत में स्थित है 'रावल' कहे जाने वाले यहां के मुख्य पुजारी दक्षिण भारत के केरल राज्य के नंबूदरी समाज के ब्राह्मण होते हैं. जब इस प्राचीन मंदिर के इतिहास की बात आती है, तो यह कितने वर्ष पुराना है इससे जुड़े कोई पुख्ता तथ्य नहीं हैं. इतिहास की किताबें कहती हैं कि मंदिर वैदिक युग का है जो लगभग 1500 ईसा पूर्व में शुरू हुआ था. मंदिर का उल्लेख कई वैदिक ग्रंथों, पुराणों में मिलता है. यह भी माना जाता है कि मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया था.

पढ़ें: चारधाम यात्रा के लिए कैसे करें रजिस्ट्रेशन? एक क्लिक में जानें सब कुछ

हवाई मार्ग से पहुंचें बदरीनाथ: जौलीग्रांट हवाई अड्डा बदरीनाथ का निकटतम हवाई अड्डा है, जो 314 किमी की दूरी पर स्थित है. जौलीग्रांट हवाई अड्डा रोजाना उड़ानों के साथ दिल्ली से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और बदरीनाथ से इस हवाई अड्डे तक गाड़ियों का संचालन भी होता है.

रेल द्वारा: बदरीनाथ का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है. ऋषिकेश रेलवे स्टेशन NH58 पर बदरीनाथ से 295 किमी पहले स्थित है और भारत के प्रमुख स्थलों के साथ भारतीय रेलवे नेटवर्क द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. ऋषिकेश के लिए ट्रेनें अक्सर चलती हैं और बदरीनाथ-ऋषिकेश के साथ मोटर योग्य सड़कों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, चमोली, जोशीमठ और कई अन्य गंतव्यों से बदरीनाथ के लिए टैक्सी और बसें उपलब्ध हैं.

सड़क मार्ग द्वारा: बदरीनाथ उत्तराखंड राज्य के प्रमुख स्थलों के साथ मोटर योग्य सड़कों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. आईएसबीटी कश्मीरी गेट से हरिद्वार, ऋषिकेश और श्रीनगर के लिए बसें उपलब्ध हैं. उत्तराखंड राज्य के प्रमुख स्थलों जैसे देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, ऊखीमठ, श्रीनगर, चमोली आदि से बदरीनाथ के लिए बसें और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं. बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग 58 द्वारा गाजियाबाद से जुड़ा हुआ है.

देहरादून: उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा का आगाज 3 मई को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ ही हो गया था. शुक्रवार 6 मई को बाबा केदार के कपाट भी खुल गए. अब 8 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे. 8 मई को सुबह सवा 6 बजे बदरीनाथ धाम के कपाट खोल दिए जाएंगे. मोक्षधाम बदरीनाथ के कपाट खुलने का शुभ मुहूर्त अब बस कुछ पल दूर है. जोशीमठ नृसिंह बदरी मंदिर में वैदिक पूजा अनुष्ठान के बाद अराध्य गद्दी, गाडू घड़ा बदरीनाथ के मुख्य पुजारी रावल के सानिध्य में बदरीनाथ धाम पहुंच गई है.

अलकनंदा नदी के तट पर स्थित बदरीनाथ धाम को मोक्षधाम भी कहा जाता है. भगवान विष्णु के इस धाम को लेकर श्रद्धालुओं में अगाध श्रद्धा है. बदरीनाथ देश के चारधामों में भी शामिल है. रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी और द्वारका के साथ शामिल है. मंदिर समुद्र तल से 10,200 फीट की ऊंचाई पर है. मंदिर के ठीक सामने भव्य नीलकंठ चोटी है. मंदिर जोशीमठ से लगभग 45 किमी दूर है, जो कि एक बेस कैंप भी है.

धाम में यात्रियों की संख्या का निर्धारण: चारधाम यात्रा के दौरान यात्रियों की संख्या मंदिर समिति द्वारा निर्धारित कर दी गई है. बदरीनाथ धाम के दर्शन के लिए हर दिन 15 हजार श्रद्धालु दर्शन करेंगे. वहीं केदारनाथ के दर्शन के लिए हर दिन 12 हजार यात्री दर्शन करेंगे. इसके अलावा गंगोत्री में 7,000 यात्री 1 दिन में कर दर्शन करेंगे. जबकि एक दिन में यमुनोत्री में चार हजार श्रद्धालु ही दर्शन कर सकेंगे.

बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले होने वाला गरुड़ छाड़ मेला का आयोजन गुरुवार को आयोजित किया गया था. बदरीनाथ के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की. इस दौरान श्रद्धालुओं ने भगवान बदरीनाथ को गरुड़ में बैठाकर बदरीनाथ धाम के लिए रवाना किया. बदरीनाथ के कपाट खुलने से पहले हर साल जोशीमठ में गरुड़छाड़ मेले का आयोजन होता है.

कैसे करें चारधाम के लिए रजिस्ट्रेशन: 2013 में आई केदार आपदा के बाद से चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन (char dham yatra package) अनिवार्य किया गया है. गढ़वाल मंडल विकास निगम (GMVN) की वेबसाइट gmvnonline.com पर क्लिक करने पर होम पेज ओपन होगा. ऊपर चारधाम ऑफिशियल यात्रा रजिस्ट्रेशन पर क्लिक करें. जिसके बाद नया इंटरफेस खुलेगा. जिस पर दाहिने साइड में एक विंडो ओपन होगा. पहला ऑप्शन चारधाम टूर पैकेज होगा और दूसरा दूसरा चारधाम रजिस्ट्रेशन का. रजिस्ट्रेशन वाले आप्शन पर क्लिक करने पर नया इंटरफेस खुलेगा. जिसमें, राष्ट्रीयता, आधार नंबर, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी इंटर कर सबमिट करने पर रजिस्ट्रेशन हो जाएगा, जिसके बाद रजिस्ट्रेशन हो जाएगा. अगर आप ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं कर पा रहे हैं तो हरिद्वार, देहरादून, चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में 24 सेंटर बनाए गए हैं, जहां आप यात्रा शुरू करने से पहले रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.

बदरीनाथ धाम की मान्यता: बदरीनाथ अथवा बदरीनारायण मंदिर उत्तराखंड के चमोली में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है. विष्णु को समर्पित मंदिर है और यह स्थान चारधामों में से एक यह एक प्राचीन मंदिर है. बदरीनाथ मंदिर में हिंदू धर्म के देवता विष्णु के एक रूप बदरीनारायण की पूजा होती है. यहां उनकी एक मीटर लंबी शालिग्राम से निर्मित मूर्ति है, जिसके बारे में मान्यता है कि इसे आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में समीपस्थ नारदकुंड से निकालकर स्थापित किया था.

इस मूर्ति को कई हिंदुओं द्वारा विष्णु के आठ स्वयं व्यक्त क्षेत्रों (स्वयं प्रकट हुई प्रतिमाओं) में से एक माना जाता है. यद्यपि, यह मंदिर उत्तर भारत में स्थित है 'रावल' कहे जाने वाले यहां के मुख्य पुजारी दक्षिण भारत के केरल राज्य के नंबूदरी समाज के ब्राह्मण होते हैं. जब इस प्राचीन मंदिर के इतिहास की बात आती है, तो यह कितने वर्ष पुराना है इससे जुड़े कोई पुख्ता तथ्य नहीं हैं. इतिहास की किताबें कहती हैं कि मंदिर वैदिक युग का है जो लगभग 1500 ईसा पूर्व में शुरू हुआ था. मंदिर का उल्लेख कई वैदिक ग्रंथों, पुराणों में मिलता है. यह भी माना जाता है कि मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया था.

पढ़ें: चारधाम यात्रा के लिए कैसे करें रजिस्ट्रेशन? एक क्लिक में जानें सब कुछ

हवाई मार्ग से पहुंचें बदरीनाथ: जौलीग्रांट हवाई अड्डा बदरीनाथ का निकटतम हवाई अड्डा है, जो 314 किमी की दूरी पर स्थित है. जौलीग्रांट हवाई अड्डा रोजाना उड़ानों के साथ दिल्ली से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और बदरीनाथ से इस हवाई अड्डे तक गाड़ियों का संचालन भी होता है.

रेल द्वारा: बदरीनाथ का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है. ऋषिकेश रेलवे स्टेशन NH58 पर बदरीनाथ से 295 किमी पहले स्थित है और भारत के प्रमुख स्थलों के साथ भारतीय रेलवे नेटवर्क द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. ऋषिकेश के लिए ट्रेनें अक्सर चलती हैं और बदरीनाथ-ऋषिकेश के साथ मोटर योग्य सड़कों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, चमोली, जोशीमठ और कई अन्य गंतव्यों से बदरीनाथ के लिए टैक्सी और बसें उपलब्ध हैं.

सड़क मार्ग द्वारा: बदरीनाथ उत्तराखंड राज्य के प्रमुख स्थलों के साथ मोटर योग्य सड़कों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. आईएसबीटी कश्मीरी गेट से हरिद्वार, ऋषिकेश और श्रीनगर के लिए बसें उपलब्ध हैं. उत्तराखंड राज्य के प्रमुख स्थलों जैसे देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, ऊखीमठ, श्रीनगर, चमोली आदि से बदरीनाथ के लिए बसें और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं. बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग 58 द्वारा गाजियाबाद से जुड़ा हुआ है.

Last Updated : May 7, 2022, 12:39 PM IST
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