देहरादून: शहर की सड़कों को आवारा पशुओं (गाय, भैंस, घोड़ा, गधा आदि) से मुक्त कराने के लिए नगर निगम ने अभियान शुरू कर दिया है. नगर आयुक्त ने नगर निगम के अधिकारियों को इसे लेकर सख्त निर्देश जारी किए हैं. दरअसल कई बार सड़कों पर घूम रहे आवारा पशुओं से दुर्घटनाएं हो जाती हैं.
आवारा पशुओं को पकड़ने का अभियान: नगर आयुक्त के निर्देश पर नगर निगम के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी ने शहर से निराश्रित पशुओं को पकड़ने के लिए 2 टीमें बनायी हैं. इन टीमों द्वारा शहर की सड़कों से निराश्रित पशुओं को पकड़कर देहरादून की मान्यता प्राप्त गौशालाओं में उनकी क्षमताओं के अनुसार छोड़ा जायेगा. यह अभियान आगे भी जारी रहेगा.
देहरादून में ये है गौ सदनों की स्थिति: वर्तमान में नगर निगम के पास 300 गौवंशीय पशुओं की क्षमता का कांजी हाउस केदारपुर और 300 गौवंशीय पशुओं की क्षमता का गौसदन शंकरपुर में है. यहां पर क्षमता से अधिक पशु हैं. इनका संचालन इसी माह से शासन द्वारा निर्धारित आदर्श मानक प्रक्रिया (SOP) के तहत मान्यता प्राप्त संस्थाओं से कराया जा रहा है. नगर निगम द्वारा शंकरपुर स्थित गौसदन में 400 आवारा पशुओं के लिए क्षमता विस्तार की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है. जल्द ही इस पर कार्य शुरू कर दिया जायेगा.
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नगर निगम द्वारा अभियान के तहत की गयी कार्रवाई: नगर निगम की टीम ने निरंजनपुर मंडी से 1 गाय, 1 बछड़ी, 2 बछड़े तथा 4 सांड पकड़े हैं.
मोहब्बेवाला से 1 गाय पकड़ी है. सहस्त्रधारा रोड हेलीपैड के पास से 3 आवारा सांड पकड़े हैं. राजपुर से 2 आवारा सांड पकड़े हैं. मयूर विहार से 1 गाय और 1 बछड़ी पकड़ी है. डोभाल चौक से 2 गाय और 1 बछड़ा पकड़ा है.
ये है नियम: उत्तराखंड गौवंश संरक्षण अधिनियम 2007 यथा संशोधित अधिनियम 2015 की धारा-8 के तहत अपने पशुओं को सड़कों पर खुला छोड़ना दंडनीय अपराध है. सड़कों पर पशु को खुला छोड़ने वाले पशु स्वामी पर 2000 रु प्रति पशु आर्थिक दंड का प्रावधान है. पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा-11 के तहत भी पशुओं को परित्यक्त करना पशुओं के प्रति क्रूरता है.
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नगर आयुक्त ने ये कहा: नगर आयुक्त मनुज गोयल ने बताया कि शहर के सभी पशुपालकों से अपने पशुओं को सड़क पर नहीं छोड़ने की अपील की है. साथ ही शहर में घूमने वाले स्वच्छन्द पशुओं से यातायात बाधित होने के साथ-साथ जहां एक ओर जनता के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा बना रहता है, वहीं दूसरी तरफ ये पशु भी दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं.
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