देहरादून: बीते बुधवार को दून अस्पताल की इमरजेंसी में बुखार से पीड़ित 18 वर्षीय निशा की मौत हो गई थी. जिसके बाद परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया था. ऐसी घटनाओं की दोबारा पुनरावृत्ति ना हो, इसको लेकर अब राजकीय दून मेडिकल कॉलेज एक नई पहल करने जा रहा है.
डॉक्टरों के लिए टीचिंग और ट्रेनिंग प्रोग्राम: दून मेडिकल कॉलेज सभी जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों, पीजी स्टूडेंट्स, नॉन पीजी जेआर के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए जाएंगे. इस टीचिंग और ट्रेनिंग प्रोग्राम में सभी डॉक्टर्स को भाग लेना अनिवार्य होगा. प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत इमरजेंसी में आए मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराये जाने के तौर तरीके समझाये जाएंगे. दून अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ अनुराग अग्रवाल के मुताबिक अस्पताल में पिछली कुछ घटनाओं को देखते हुए डॉक्टरों के लिए टीचिंग और ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाये जाने का निर्णय लिया गया है.
प्रशिक्षण का ये मिलेगा फायदा: दून मेडिकल कॉलेज के सभी वरिष्ठ चिकित्सक इस ट्रेनिंग और टीचिंग प्रोग्राम में शामिल होंगे. प्रशिक्षण कार्यक्रम में सभी जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों का आना अनिवार्य होगा. उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में इमरजेंसी में आए गंभीर मरीजों को सीमित संसाधनों की स्थिति में कैसे बेहतर उपचार दिया जा सकता है, इन सभी बारीकियों की डॉक्टरों को जानकारी दी जाएगी.मेडिकल कॉलेज सभी डॉक्टरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने जा रहा है.
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दून मेडिकल कॉलेज में हो चुका है हंगामा: बता दें कि कुछ दिनों पूर्व दून अस्पताल की इमरजेंसी में सहिया के समाल्टा गांव की बुखार पीड़ित 18 वर्षीय निशा पुत्री गोपाल को मंगलवार की रात 10:30 बजे विकासनगर से रेफर कर दून अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इलाज के दौरान निशा की मौत हो गई थी. इसके बाद दून अस्पताल की इमरजेंसी में तैनात डाक्टरों और नर्सिंग स्टाफ से परिजनों की तीखी नोकझोंक हुई थी. ऐसी घटनाएं दोबारा ना घटें, उसको लेकर अब मेडिकल कॉलेज सभी डॉक्टरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने जा रहा है.
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