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कोरोना काल में बढ़े घरेलू हिंसा के मामले, महिला पुलिस हेल्पलाइन में दर्ज हुए 1195 केस

कोरोना काल में घरेलू हिंसा जैसे मामले बढ़े हैं. पिछले 9 महीनों में 1195 केस महिला पुलिस हेल्पलाइन सेल में दर्ज किए जा चुके गए हैं. इनमें से 40 फीसदी मामलों से अधिक काउंसलिंग के जरिए निस्तारण किए जा रहे हैं. मनोचिकित्सक डॉ. मुकुल शर्मा का मानना है कि कोरोना काल में लगभग 1200 मामले महिला पुलिस हेल्पलाइन में दर्ज हुए हैं, वह काफी चिंता का विषय है.

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देहरादून महिला हेल्प लाइन
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Published : Oct 17, 2020, 12:29 PM IST

Updated : Oct 17, 2020, 12:54 PM IST

देहरादून: कोरोना काल में घरेलू हिंसा जैसे मामलों में इजाफा हुआ है. पिछले 9 महीनों में 1195 केस महिला पुलिस हेल्पलाइन सेल में दर्ज किए जा चुके गए हैं. अकेले सितंबर महीने में 207 मामले महिला हेल्पलाइन में दर्ज हुए हैं. हालांकि, इनमें से 40 फीसदी मामलों से अधिक काउंसलिंग के जरिए निस्तारण हो रहे हैं. जबकि 655 मामले अभी लंबित चल रहे हैं. महिला हेल्पलाइन इंस्पेक्टर ज्योति चौहान के मुताबिक वर्तमान समय में अधिकांश पारिवारिक विवाद नवविवाहित पति-पत्नी के ज्यादातर आ रहे हैं.

कोरोना काल में बढ़े घरेलू हिंसा के मामले.

कोरोना काल में अदालतों की कानूनी प्रक्रिया प्रभावित होने के चलते महिला पुलिस हेल्पलाइन सेल में बोझ भी पहले से अधिक बढ़ गया है. हालांकि, उसके बावजूद अधिक से अधिक मामलों को काउंसलिंग के जरिए निस्तारण करने का प्रयास जारी हैं. ताकि, कम से कम मामले कोर्ट की दहलीज तक पहुंचे. विशेषज्ञों के मुताबिक जो पारिवारिक मामले कोर्ट कचहरी पहुंचते हैं, उनमें से 23 फीसदी मामले निस्तारण होने से वंचित रह जाते हैं. वकीलों का मानना है कि अगर पारिवारिक विवाद से जुड़े मामले पुलिस हेल्पलाइन काउंसलिंग में ही निस्तारित किए जाएं तो कोर्ट की लंबी प्रक्रिया से बचा जा सकता है.

1 जनवरी 2020 से लेकर 30 सितंबर 2020 तक मिली शिकायतें

केससंख्या
दहेज प्रकरण20
पारिवारिक विवाद1049
अवैध संबंध11
कुल 1195
लंबित केस 655

पढ़ें- व्यापारियों को कोविड-19 नियमों का उल्लंघन पड़ा भारी, केस दर्ज

महिला पुलिस हेल्पलाइन में काफी सुधार की जरूरत: अधिवक्ता

वहीं, देहरादून परिवारवाद कोर्ट के अधिवक्ता मनमोहन लाम्बा का मानना है कि महिला पुलिस हेल्पलाइन सेल में इस बात की काउंसलिंग की जाती है कि शिकायतकर्ता का प्रार्थना पत्र मुकदमा दर्ज करने के लायक है या नहीं. साथ ही इस बात की भी प्रयास किया जाता है कि काउंसलिंग के जरिए दोनों पक्षों का आपसी समझौता हो जाए और मामला कोर्ट तक न पहुंचे.

अधिकांश मामलों में देखा जा रहा है कि जिस उद्देश्य से महिला हेल्पलाइन का गठन हुआ था उस मकसद से कार्य नहीं हो पा रहा है, क्योंकि हेल्पलाइन में बैठे लोग अनुभवहीन हैं. इस लिए पक्षकारों को समझाने में असफल हो रहे हैं. उनका मानना है कि किसी भी तरह का पारिवारिक विवाद में पति-पत्नी के साथ साथ परिजनों से भी काउंसलिंग करनी चाहिए, ताकि घर टूटने के मामले कम से कम हों और मामला कोर्ट तक न पहुंचे.

कोर्ट पहुंचने से पहले विशेषज्ञ काउंसलिंग की आवश्यकता- मनोचिकित्सक

उधर, मनोचिकित्सक भी मानते हैं कि पुलिस महिला काउंसलिंग सेल में काफी सुधार करने आवश्यकता है, ताकि विशेषज्ञों की राय के साथ काउंसलिंग को और सफल बनाया किया जा सके. क्योंकि, ऐसा अमूमन देखा गया है कि जो मामले थाने से कोर्ट कचहरी में पहुंचते हैं, उनमें से काफी हद तक मामले घर टूटने के साथ कोर्ट तक चलते रहते हैं.

मनोचिकित्सक डॉ. मुकुल शर्मा का मानना है कि जिस तरह से कोरोना काल में लगभग 1200 मामले महिला पुलिस हेल्पलाइन में दर्ज हुए हैं, वह काफी चिंता का विषय है. ऐसे में अदालत से पहले महिला पुलिस हेल्पलाइन तक पहुंचने वाले इन मामलों को काउंसलिंग विशेषज्ञों द्वारा सहयोग लेकर निस्तारण करने की आवश्यकता है.

देहरादून: कोरोना काल में घरेलू हिंसा जैसे मामलों में इजाफा हुआ है. पिछले 9 महीनों में 1195 केस महिला पुलिस हेल्पलाइन सेल में दर्ज किए जा चुके गए हैं. अकेले सितंबर महीने में 207 मामले महिला हेल्पलाइन में दर्ज हुए हैं. हालांकि, इनमें से 40 फीसदी मामलों से अधिक काउंसलिंग के जरिए निस्तारण हो रहे हैं. जबकि 655 मामले अभी लंबित चल रहे हैं. महिला हेल्पलाइन इंस्पेक्टर ज्योति चौहान के मुताबिक वर्तमान समय में अधिकांश पारिवारिक विवाद नवविवाहित पति-पत्नी के ज्यादातर आ रहे हैं.

कोरोना काल में बढ़े घरेलू हिंसा के मामले.

कोरोना काल में अदालतों की कानूनी प्रक्रिया प्रभावित होने के चलते महिला पुलिस हेल्पलाइन सेल में बोझ भी पहले से अधिक बढ़ गया है. हालांकि, उसके बावजूद अधिक से अधिक मामलों को काउंसलिंग के जरिए निस्तारण करने का प्रयास जारी हैं. ताकि, कम से कम मामले कोर्ट की दहलीज तक पहुंचे. विशेषज्ञों के मुताबिक जो पारिवारिक मामले कोर्ट कचहरी पहुंचते हैं, उनमें से 23 फीसदी मामले निस्तारण होने से वंचित रह जाते हैं. वकीलों का मानना है कि अगर पारिवारिक विवाद से जुड़े मामले पुलिस हेल्पलाइन काउंसलिंग में ही निस्तारित किए जाएं तो कोर्ट की लंबी प्रक्रिया से बचा जा सकता है.

1 जनवरी 2020 से लेकर 30 सितंबर 2020 तक मिली शिकायतें

केससंख्या
दहेज प्रकरण20
पारिवारिक विवाद1049
अवैध संबंध11
कुल 1195
लंबित केस 655

पढ़ें- व्यापारियों को कोविड-19 नियमों का उल्लंघन पड़ा भारी, केस दर्ज

महिला पुलिस हेल्पलाइन में काफी सुधार की जरूरत: अधिवक्ता

वहीं, देहरादून परिवारवाद कोर्ट के अधिवक्ता मनमोहन लाम्बा का मानना है कि महिला पुलिस हेल्पलाइन सेल में इस बात की काउंसलिंग की जाती है कि शिकायतकर्ता का प्रार्थना पत्र मुकदमा दर्ज करने के लायक है या नहीं. साथ ही इस बात की भी प्रयास किया जाता है कि काउंसलिंग के जरिए दोनों पक्षों का आपसी समझौता हो जाए और मामला कोर्ट तक न पहुंचे.

अधिकांश मामलों में देखा जा रहा है कि जिस उद्देश्य से महिला हेल्पलाइन का गठन हुआ था उस मकसद से कार्य नहीं हो पा रहा है, क्योंकि हेल्पलाइन में बैठे लोग अनुभवहीन हैं. इस लिए पक्षकारों को समझाने में असफल हो रहे हैं. उनका मानना है कि किसी भी तरह का पारिवारिक विवाद में पति-पत्नी के साथ साथ परिजनों से भी काउंसलिंग करनी चाहिए, ताकि घर टूटने के मामले कम से कम हों और मामला कोर्ट तक न पहुंचे.

कोर्ट पहुंचने से पहले विशेषज्ञ काउंसलिंग की आवश्यकता- मनोचिकित्सक

उधर, मनोचिकित्सक भी मानते हैं कि पुलिस महिला काउंसलिंग सेल में काफी सुधार करने आवश्यकता है, ताकि विशेषज्ञों की राय के साथ काउंसलिंग को और सफल बनाया किया जा सके. क्योंकि, ऐसा अमूमन देखा गया है कि जो मामले थाने से कोर्ट कचहरी में पहुंचते हैं, उनमें से काफी हद तक मामले घर टूटने के साथ कोर्ट तक चलते रहते हैं.

मनोचिकित्सक डॉ. मुकुल शर्मा का मानना है कि जिस तरह से कोरोना काल में लगभग 1200 मामले महिला पुलिस हेल्पलाइन में दर्ज हुए हैं, वह काफी चिंता का विषय है. ऐसे में अदालत से पहले महिला पुलिस हेल्पलाइन तक पहुंचने वाले इन मामलों को काउंसलिंग विशेषज्ञों द्वारा सहयोग लेकर निस्तारण करने की आवश्यकता है.

Last Updated : Oct 17, 2020, 12:54 PM IST
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