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एंजिल, सोफी और जैनी का काम है कमाल का, एक करता है ट्रेक तो दूसरी है बम तलाशने में माहिर

इस समय उत्तराखंड पुलिस के पास 18 डॉग स्क्वायड हैं. जिसमें तीन देहरादून में हैं. जो पुलिस लाइन में रहकर ट्रेनिंग के साथ सीएम आवास की सुरक्षा और शहर में जरुरत पढ़ने पर ड्यूटी देते हैं. इन डॉग स्क्वायड को सुबह दूध, अंडा, रोटी और हरी सब्जी और शाम को मटन के साथ रोटियां दी जाती हैं.

देहरादून का डॉग स्क्वायड
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Published : Jul 29, 2019, 9:18 PM IST

देहरादून: आतंकवादी घटना, मर्डर मिस्ट्री या फिर शहर की सुरक्षा इन सभी के लिए हमारे देश के जवान हमेशा मुस्तैद रहते हैं और इन जवानों का साथ देती है डॉग स्क्वायड, जो आर्मी और पुलिस जवानों की तरह ही देश की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहती है. उत्तराखंड के छह जिलों के डॉग स्क्वायड में कुल 18 डॉग्स हैं. साथ ही 2 डॉग्स ट्रेनिंग ले रहे हैं.

पुलिस के साथ मिलकर काम कर रहे डॉग स्क्वायड

देहरादून डॉग स्क्वायड के पास वर्तमान समय में तीन डॉग्स हैं. वहीं दो को ट्रेनिंग देकर दूसरे जिलों में भेजने की तैयारी चल रही है. डॉग स्क्वायड की ड्यूटी भी पुलिसकर्मियों से कम नहीं होती. बल्कि डॉग्स भी 8 से 10 घंटे की ड्यूटी करते हैं. साथ ही अच्छा काम करने पर सम्मानित भी किये जाते हैं.

देहरादून डॉग स्क्वायड की बात करें तो इनके पास तीन डॉग्स हैं. जो पुलिस लाइन में रहकर ट्रेनिंग के साथ सीएम आवास की सुरक्षा और शहर में जरूरत पढ़ने पर ड्यूटी दे रहे हैं. राजधानी में चोरी, मर्डर, ट्रेकर के लिए डॉग स्क्वायड में एंजिल नाम का जीएसडी नस्ल का डॉग्स है. जो 23 मार्च 2012 से पुलिस विभाग के साथ काम कर रहा है.

पढे़ं- 2 वर्षों से नहीं मिली एससी-एसटी छात्रों को छात्रवृत्ति, कैसे करें पढ़ाई, सता रही चिंता

वहीं लेब्राडोर नस्ल की सोफी 25 जनवरी 2015 से पुलिस विभाग में सेवा दे रही है. सोफी रोज सुबह सीएम आवास में ड्यूटी करती है. साथ ही किसी स्थान पर बम की सूचना मिलने पर सोफी ही बम को तलाशने में मददगार साबित होती है. तीसरी लेब्राडोर नस्ल की जैनी 25 जनवरी 2015 से नारकोटिक्स विभाग के साथ काम कर रही है.

तीनों डॉग्स को सुबह दूध, अंडा, रोटी और हरी सब्जी और शाम को मटन के साथ रोटियां दी जाती हैं. साथ ही डॉक्टरों की देखरेख में इन तीनों को प्रोटीन दिए जाते हैं. इन तीनों डॉग्स को छह ट्रेनर तैयार करते हैं. एक डॉग्स के लिए हमेशा 2 ट्रेनर साथ में जाते हैं.

इन जिलों में डॉग स्क्वायड की संख्या
देहरादून-3
हरिद्वार-3
पिथौरागढ़-2
उधम सिंह नगर-2
नैनीताल-3
चमोली-1

आईटीबीपी के डॉग स्क्वायड में हाल ही में 2 डॉग्स ट्रेनिंग ले रहे हैं और एसडीआरएफ के डॉग स्क्वायड में दो डॉग्स ड्यूटी और दो डॉग्स ट्रेनिंग ले रहे हैं. डॉग स्क्वायड के इंस्पेक्टर कमलेश पंत ने जानकारी देते हुए बताया कि देहरादून में तीन डॉग्स हैं. जो अपने-अपने क्षेत्रों बम स्क्वायड, नारकोटिक्स और ट्रेकर में कुशलता से काम करते हैं. उन्होंने बताया कि तीन डॉग्स के साथ छह लोग होते हैं. जिसमें 3 हैडर और 3 असिस्टेंट होते हैं. आईटीबीपी के डॉग स्क्वायड में हाल ही में 2 डॉग्स ट्रेनिंग ले रहे हैं. साथ ही देहरादून में भी दो डॉग्स ट्रेनिंग ले रहे हैं.

देहरादून: आतंकवादी घटना, मर्डर मिस्ट्री या फिर शहर की सुरक्षा इन सभी के लिए हमारे देश के जवान हमेशा मुस्तैद रहते हैं और इन जवानों का साथ देती है डॉग स्क्वायड, जो आर्मी और पुलिस जवानों की तरह ही देश की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहती है. उत्तराखंड के छह जिलों के डॉग स्क्वायड में कुल 18 डॉग्स हैं. साथ ही 2 डॉग्स ट्रेनिंग ले रहे हैं.

पुलिस के साथ मिलकर काम कर रहे डॉग स्क्वायड

देहरादून डॉग स्क्वायड के पास वर्तमान समय में तीन डॉग्स हैं. वहीं दो को ट्रेनिंग देकर दूसरे जिलों में भेजने की तैयारी चल रही है. डॉग स्क्वायड की ड्यूटी भी पुलिसकर्मियों से कम नहीं होती. बल्कि डॉग्स भी 8 से 10 घंटे की ड्यूटी करते हैं. साथ ही अच्छा काम करने पर सम्मानित भी किये जाते हैं.

देहरादून डॉग स्क्वायड की बात करें तो इनके पास तीन डॉग्स हैं. जो पुलिस लाइन में रहकर ट्रेनिंग के साथ सीएम आवास की सुरक्षा और शहर में जरूरत पढ़ने पर ड्यूटी दे रहे हैं. राजधानी में चोरी, मर्डर, ट्रेकर के लिए डॉग स्क्वायड में एंजिल नाम का जीएसडी नस्ल का डॉग्स है. जो 23 मार्च 2012 से पुलिस विभाग के साथ काम कर रहा है.

पढे़ं- 2 वर्षों से नहीं मिली एससी-एसटी छात्रों को छात्रवृत्ति, कैसे करें पढ़ाई, सता रही चिंता

वहीं लेब्राडोर नस्ल की सोफी 25 जनवरी 2015 से पुलिस विभाग में सेवा दे रही है. सोफी रोज सुबह सीएम आवास में ड्यूटी करती है. साथ ही किसी स्थान पर बम की सूचना मिलने पर सोफी ही बम को तलाशने में मददगार साबित होती है. तीसरी लेब्राडोर नस्ल की जैनी 25 जनवरी 2015 से नारकोटिक्स विभाग के साथ काम कर रही है.

तीनों डॉग्स को सुबह दूध, अंडा, रोटी और हरी सब्जी और शाम को मटन के साथ रोटियां दी जाती हैं. साथ ही डॉक्टरों की देखरेख में इन तीनों को प्रोटीन दिए जाते हैं. इन तीनों डॉग्स को छह ट्रेनर तैयार करते हैं. एक डॉग्स के लिए हमेशा 2 ट्रेनर साथ में जाते हैं.

इन जिलों में डॉग स्क्वायड की संख्या
देहरादून-3
हरिद्वार-3
पिथौरागढ़-2
उधम सिंह नगर-2
नैनीताल-3
चमोली-1

आईटीबीपी के डॉग स्क्वायड में हाल ही में 2 डॉग्स ट्रेनिंग ले रहे हैं और एसडीआरएफ के डॉग स्क्वायड में दो डॉग्स ड्यूटी और दो डॉग्स ट्रेनिंग ले रहे हैं. डॉग स्क्वायड के इंस्पेक्टर कमलेश पंत ने जानकारी देते हुए बताया कि देहरादून में तीन डॉग्स हैं. जो अपने-अपने क्षेत्रों बम स्क्वायड, नारकोटिक्स और ट्रेकर में कुशलता से काम करते हैं. उन्होंने बताया कि तीन डॉग्स के साथ छह लोग होते हैं. जिसमें 3 हैडर और 3 असिस्टेंट होते हैं. आईटीबीपी के डॉग स्क्वायड में हाल ही में 2 डॉग्स ट्रेनिंग ले रहे हैं. साथ ही देहरादून में भी दो डॉग्स ट्रेनिंग ले रहे हैं.

Intro:किसी घटनाक्रम या फिर मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने के लिए पुलिस का काम तो होता ही है लेकिन पुलिस भी कुछ मामलों में किसी और की मदद लेती है जी हां हम बात कर रहे डॉग स्‍कवाड की जो मर्डर मिस्ट्री केस और चोरी लूट के मामले खोलने में सबसे बड़ी अहम भूमिका रहती है!उत्तराखंड में छह जिलों के डॉग स्‍कवाड में कुल 18 डॉग्स है,साथ ही हाल ही में 2 डॉग्स ट्रेनिंग ले रहे है!वही देहरादून डॉग स्‍कवाड के पास ३ डॉग्स है और 2 को ट्रेनिंग देकर दूसरे जिलों में भेजने की तैयारी चल रही है! डॉग स्‍कवाड ड्यूटी भी पुलिसकर्मियो से कम नहीं होती है बल्कि डॉग्स भी 8 से 10 घंटे की ड्यूटी करते है,साथ ही इन डॉग्स द्वारा 2 अप्रैल में डोईवाला में मलकीत हत्या कांड के खुलासे में भी काफी मददकार साबित हुए थे और अच्छा काम करने पर सम्मानित भी किये जाते है!Body:अगर हम बात करे देहरदून डॉग स्‍कवाड की तो हाल ही में इनके पास 3 डॉग्स है जो की पुलिस लाइन में रहकर ट्रेनिंग के साथ सीएम आवास और शहर के कई घटनाक्रम को सुलझाने के लिए ड्यूटी कर रहे है,राजधानी में चोरी,मर्डर ट्रैकर के लिए डॉग स्‍कवाड में एंजिल नाम का जीएसडी नस्ल का डॉग्स जो की 23 मार्च 2012 से पुलिस विभाग के साथ रह कर काम कर रहा है और दूसरा 25 जनवरी 2015 से पुलिस विभाग में सेवा दे रही लेब्राडोर नस्ल की सोफी राजधानी में रह कर अहम भूमिका रहती है सोफी रोज सुबह को सीएम आवास में जाकर ड्यूटी करती है साथ ही किसी स्थान पर बम की सुचना मिलने पर सोफी ही बम को तलाशने में मददकर साबित होती है!वही तीसरी 25 जनवरी 2015 से लेब्राडोर नस्ल की जैनी जो की नारकोटिक्स खोजने मददगार साबित होती है!तीनो डॉग्स को सुबह को दूध,अंडा,रोटी और हरी सब्ज़ी और शाम को मटन के साथ रोटी सब्ज़ी का खाना दिया जाता है साथ ही डॉक्टरों की देखरेख में इन तीनो को प्रोटीन दिए जाते है!इन तीनो डॉग्स को छह ट्रेनर तैयार करते है और एक डॉग्स के लिए हमेशा 2 ट्रेनर साथ में जाते है साथ ही देहरादून में दो डॉग्स जो की ट्रैकर और बारूद की खोज करने की ट्रेनिंग देकर दूसरे जिलों में भेजे जायेगे!

वही उत्तराखंड में डॉग स्‍कवाड छह जिले देहरादून-3,हरिद्वार-3,पिथौरागढ़-2,उधम सिंह नगर-2,नैनीताल-3 और चमोली 1 डॉग्स शामिल है साथ ही आटीबीपी के डॉग स्‍कवाड में हाल ही में 2 डॉग्स ट्रेनिंग ले रहे है और एसडीआरएफ के डॉग स्‍कवाड में 2 डॉग्स ड्यूटी दे रहे है साथ ही 2 डॉग्स ट्रेनिंग ले रहे है!
Conclusion:वही डॉग स्‍कवाड के इंस्पेक्टर कमलेश पंत ने जानकारी देते हुए बताया की देहरादून में तीन डॉग्स है जो की अपने अपने क्षेत्रों बम स्‍कवाड,नारकोटिक्स और ट्रैकर में कुशलता से काम करते है!और तीन डॉग्स के साथ छह लोग होते है जिसमे 3 हैडर और 3 असिस्टेंट होते है!वर्तमान में 4 डॉग्स अंडर ट्रेनी में रह कर ट्रेनिंग ले रहे है जिस जिले में डॉग स्‍कवाड वहा से ड्यूटी के लिए एक डॉग्स को दूसरे जिले जिनमे डॉग स्‍कवाड नहीं है वहा जाना पड़ता है और छह जिलों के लिए एक जिला लिंक दे रखा है!


बाइट-कमलेश पंत( इंस्पेक्टर,डॉग स्‍कवाड)
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