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उत्तराखंड: कोरोना 'जंग' के बीच डॉक्टरों की हड़ताल, बढ़ सकती हैं मुश्किलें

डॉक्टरों के इस फैसले से आम लोगों के साथ सरकार की मुश्किलें भी बढ़ सकती है. यदि डॉक्टर हड़ताल पर चले जाते हैं तो प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतर जाएगी. कोरोना के इस दौर में जिसे संभाल पाना आसान नहीं होगा.

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Published : Aug 31, 2020, 3:37 PM IST

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देहरादून: कोरोना से परेशान प्रदेशवासियों को अब एक नई दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है. मामला डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ की हड़ताल से जुड़ा हुआ है. स्वास्थ्य विभाग के कोरोना वॉरियर्स अब अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने की चेतावनी दे रहे हैं. डॉक्टरों ने विरोध कार्यक्रम की रूपरेखा भी तैयार कर ली है.

इस मुश्किल दौर में सरकारी डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने विरोध का बिगुल फूंका है. प्रदेशभर के डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने का मन बना चुके है. डॉक्टरों के इस फैसले से सरकार की चिंता बढ़ना भी लाजमी है.

डॉक्टरों की तीन मांगें हैं. डॉक्टरों ने सरकार के उस फैसले का विरोध किया है, जिसमें हर महीने एक दिन का वेतन काटा जा रहा है. डॉक्टरों की दूसरी मांग है कि मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि पीजी करने वाले डॉक्टर को पूरी तनख्वाह दी जाएगी, लेकिन उसका आदेश अभी तक जारी नहीं किया गया है. इसके अलावा विभिन्न मामलों में डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराने वाले और जिलाधिकारी से नीचे के अधिकारियों द्वारा अस्पतालों में हस्तक्षेप करने के मामले शामिल है.

पढ़ें- उत्तराखंडः 664 नए केस के साथ 19,235 हुई कोरोना के मरीजों की संख्या, 257 की हो चुकी मौत

प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के महासचिव डॉक्टर मनोज वर्मा ने स्पष्ट किया है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वे सितंबर से काली पट्टी बांधकर काम करेंगे. उसके बाद डॉक्टर वीआरएस (स्‍वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्‍कीम) भी लेंगे. इसके बाद भी मांग पूरी न होने पर सामूहिक इस्तीफा भी चिकित्सक देने को तैयार है.

एक तरफ जहां डॉक्टरों एक सितंबर से अपना आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं. वहीं, स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी तक नहीं है. स्वास्थ्य महानिदेशक अमिता उप्रेती ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. वे प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के पदाधिकारियों से मुलाकात करेगी, तभी वे उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश करेंगी.

देहरादून: कोरोना से परेशान प्रदेशवासियों को अब एक नई दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है. मामला डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ की हड़ताल से जुड़ा हुआ है. स्वास्थ्य विभाग के कोरोना वॉरियर्स अब अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने की चेतावनी दे रहे हैं. डॉक्टरों ने विरोध कार्यक्रम की रूपरेखा भी तैयार कर ली है.

इस मुश्किल दौर में सरकारी डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने विरोध का बिगुल फूंका है. प्रदेशभर के डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने का मन बना चुके है. डॉक्टरों के इस फैसले से सरकार की चिंता बढ़ना भी लाजमी है.

डॉक्टरों की तीन मांगें हैं. डॉक्टरों ने सरकार के उस फैसले का विरोध किया है, जिसमें हर महीने एक दिन का वेतन काटा जा रहा है. डॉक्टरों की दूसरी मांग है कि मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि पीजी करने वाले डॉक्टर को पूरी तनख्वाह दी जाएगी, लेकिन उसका आदेश अभी तक जारी नहीं किया गया है. इसके अलावा विभिन्न मामलों में डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराने वाले और जिलाधिकारी से नीचे के अधिकारियों द्वारा अस्पतालों में हस्तक्षेप करने के मामले शामिल है.

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प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के महासचिव डॉक्टर मनोज वर्मा ने स्पष्ट किया है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वे सितंबर से काली पट्टी बांधकर काम करेंगे. उसके बाद डॉक्टर वीआरएस (स्‍वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्‍कीम) भी लेंगे. इसके बाद भी मांग पूरी न होने पर सामूहिक इस्तीफा भी चिकित्सक देने को तैयार है.

एक तरफ जहां डॉक्टरों एक सितंबर से अपना आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं. वहीं, स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी तक नहीं है. स्वास्थ्य महानिदेशक अमिता उप्रेती ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. वे प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के पदाधिकारियों से मुलाकात करेगी, तभी वे उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश करेंगी.

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