ETV Bharat / state

गढ़वाली गीत 'बेडू पाको' से उठता है अमेरिका का ये शहर, उत्तराखंड दंपती की अनोखी पहल - बेडू पाको वेबसाइट ने बदली तकदीर

अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस पर जानिए, अमेरिका के न्यूयार्क शहर में रहने वाले डॉ. शैलेश उप्रेती परिवार के बारे में. इन्होंने बेडू पाको डॉट कॉम से विदेश में देवभूमि की संस्कृति को संजोए रखा है.

nri day
डॉ. शैलेश उप्रेती और उनकी पत्नी
author img

By

Published : Dec 18, 2019, 4:57 PM IST

Updated : Dec 18, 2019, 6:31 PM IST

देहरादून: अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस पर हम आपको बताने जा रहे हैं अमेरिका में रह रहे उत्तराखंड के एक परिवार के बारे में. ये परिवार वर्षों से अमेरिका के न्यूयार्क शहर में रहकर भी उत्तराखंडी संस्कृति को नहीं भूला. हम बात कर रहे हैं 13 सालों से न्यूयार्क शहर में रह रहे डॉक्टर शैलेश उपरेती की. डॉक्टर शैलेश ने ईटीवी भारत की 'आ अब लौटे' मुहिम की तारीफ की.

डॉ. शैलेश उप्रेती और उनकी पत्नी


अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से एक घंटे की दूरी पर मौजूद मनान गांव से ताल्लुक रखने वाले डॉक्टर शैलेश उपरेती और उनकी पत्नी पिछले 13 सालों से अमेरिका के न्यूयार्क शहर में रह रहे हैं. शैलेश न्यूयार्क में लिथियान बैटरी व्यवसाय में कार्यरत हैं. लेकिन अपने देश और अपने प्रदेश उत्तराखंड की संस्कृति को भी पूरे जज्बे के साथ आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. डॉ शैलेश उप्रेती की पत्नी बिंदिया भगत उप्रेती ने साल 2009 में एक वेबसाइट बेडू पाको डॉट कॉम की शुरुआत की थी. इस वेबसाइट पर उन्होंने उत्तराखंड की संस्कृति से जुड़ा कंटेंट डालना शुरू किया. इसका इन्हें अच्छा रिस्पांस मिला. खासकर उत्तराखंड मूल के प्रवासियों ने इस वेबसाइट की तारीफ भी की.

nri day
बेडू पाको वेबसाइट का लोगो.

पढ़ेंः उत्तराखंड: 79वें पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का लोकसभा अध्यक्ष ने किया उद्घाटन

आज तकरीबन 50 से 60 देशों में रह रहे उत्तराखंड मूल के लोग इस रेडियो और वेबसाइट के माध्यम से अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं. डॉ शैलेश ने 'आ अब लौटे' मुहिम के लिए ईटीवी भारत को धन्यवाद दिया. उन्होंने बताया कि इस वेबसाइट के माध्यम से वह विदेशों में मौजूद उत्तराखंड मूल के तमाम लोगों से जुड़े हुए हैं और उनसे बातचीत करते हैं. उनकी समस्या या फिर उनकी किसी भी प्रकार की जिज्ञासा को पूरा करने प्रयास करते हैं.

पढ़ेंः तीर्थनगरी में मनाया गया स्पर्श गंगा का स्थापना दिवस, आरुषि ने बच्चों को किया जागरुक

इस दंपत्ति द्वारा अमेरिका में उत्तराखंड एसोसिएशन ऑफ नार्थ अमेरिका नाम से एक संगठन भी बनाया है. जिसके द्वारा यह संस्था देवभूमि से सात समंदर पार भी यहां के रीति रिवाज जैसे कि नंदा देवी राजजात और गोलू देवता सहित उत्तराखंड के तमाम त्योहारों का मंचन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, यहां की वेशभूषा और पकवानों को बढ़ावा देने का काम करती हैं.
डॉ शैलेश उप्रेती की शिक्षा दीक्षा अल्मोड़ा में ही हुई है. कुमाऊं यूनिवर्सिटी से पासआउट होने के बाद उन्होंने आईआईटी दिल्ली से पीएचडी की. जिसके बाद 2006 में वह एक कंपनी के साथ अमेरिका में काम करने लगे.

देहरादून: अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस पर हम आपको बताने जा रहे हैं अमेरिका में रह रहे उत्तराखंड के एक परिवार के बारे में. ये परिवार वर्षों से अमेरिका के न्यूयार्क शहर में रहकर भी उत्तराखंडी संस्कृति को नहीं भूला. हम बात कर रहे हैं 13 सालों से न्यूयार्क शहर में रह रहे डॉक्टर शैलेश उपरेती की. डॉक्टर शैलेश ने ईटीवी भारत की 'आ अब लौटे' मुहिम की तारीफ की.

डॉ. शैलेश उप्रेती और उनकी पत्नी


अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से एक घंटे की दूरी पर मौजूद मनान गांव से ताल्लुक रखने वाले डॉक्टर शैलेश उपरेती और उनकी पत्नी पिछले 13 सालों से अमेरिका के न्यूयार्क शहर में रह रहे हैं. शैलेश न्यूयार्क में लिथियान बैटरी व्यवसाय में कार्यरत हैं. लेकिन अपने देश और अपने प्रदेश उत्तराखंड की संस्कृति को भी पूरे जज्बे के साथ आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. डॉ शैलेश उप्रेती की पत्नी बिंदिया भगत उप्रेती ने साल 2009 में एक वेबसाइट बेडू पाको डॉट कॉम की शुरुआत की थी. इस वेबसाइट पर उन्होंने उत्तराखंड की संस्कृति से जुड़ा कंटेंट डालना शुरू किया. इसका इन्हें अच्छा रिस्पांस मिला. खासकर उत्तराखंड मूल के प्रवासियों ने इस वेबसाइट की तारीफ भी की.

nri day
बेडू पाको वेबसाइट का लोगो.

पढ़ेंः उत्तराखंड: 79वें पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का लोकसभा अध्यक्ष ने किया उद्घाटन

आज तकरीबन 50 से 60 देशों में रह रहे उत्तराखंड मूल के लोग इस रेडियो और वेबसाइट के माध्यम से अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं. डॉ शैलेश ने 'आ अब लौटे' मुहिम के लिए ईटीवी भारत को धन्यवाद दिया. उन्होंने बताया कि इस वेबसाइट के माध्यम से वह विदेशों में मौजूद उत्तराखंड मूल के तमाम लोगों से जुड़े हुए हैं और उनसे बातचीत करते हैं. उनकी समस्या या फिर उनकी किसी भी प्रकार की जिज्ञासा को पूरा करने प्रयास करते हैं.

पढ़ेंः तीर्थनगरी में मनाया गया स्पर्श गंगा का स्थापना दिवस, आरुषि ने बच्चों को किया जागरुक

इस दंपत्ति द्वारा अमेरिका में उत्तराखंड एसोसिएशन ऑफ नार्थ अमेरिका नाम से एक संगठन भी बनाया है. जिसके द्वारा यह संस्था देवभूमि से सात समंदर पार भी यहां के रीति रिवाज जैसे कि नंदा देवी राजजात और गोलू देवता सहित उत्तराखंड के तमाम त्योहारों का मंचन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, यहां की वेशभूषा और पकवानों को बढ़ावा देने का काम करती हैं.
डॉ शैलेश उप्रेती की शिक्षा दीक्षा अल्मोड़ा में ही हुई है. कुमाऊं यूनिवर्सिटी से पासआउट होने के बाद उन्होंने आईआईटी दिल्ली से पीएचडी की. जिसके बाद 2006 में वह एक कंपनी के साथ अमेरिका में काम करने लगे.

Intro:Special Story on अंतराष्ट्रीय प्रवासी दिवस

Note- ख़बर का कंटेट क्योंकि whatsapp पे आया है तो wrap से भेज रहा हूं।

एंकर- अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस पर प्रवासी भारतीयों या फिर प्रवासी उत्तराखंड यू के बारे में जानना जरूरी है जोगी विदेशों में रह कर भी अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं एक डब्बी अमेरिका के शहर में रहता है जो विदेश में रहकर भी अपनी देवभूमि संस्कृति देवभूमि की संस्कृति यहां के सेना के जुड़ा हुआ है बल्कि विदेश तमाम भारतीयों को अपनेपन का एहसास देने के प्रयास में जुटा हुआ है आई आपको मिलाते हैं शहर में रह रहे


Body:वीओ- अल्मोड़ा जिले के मनान अल्मोड़ा डिस्टिक हेड क्वार्टर से 1 घंटे की दूरी पर मौजूद मनाने गांव से आने वाले डॉक्टर शैलेश उपरेती पिछले 13 सालों से अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में रह रहे हैं जो कि वहां पर लिथियान बैटरी व्यवसाय में कार्यरत हैं। लेकिन वह इसके साथ-साथ अपने देश अपने प्रदेश देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति को भी पूरे जज्बे के साथ विदेश में बढ़ाने का काम कर रहे हैं।

डॉ शैलेश उप्रेती और उत्तराखंड के ही भिकियासैंण की मूल निवासी उनकी धर्मपत्नी बिंदिया भगत उप्रेती के साथ मिलकर वर्ष 2009 में एक वेबसाइट बेडू पाको डॉट कॉम की शुरुआत की। इस वेबसाइट पर उन्होंने उत्तराखंड की संस्कृति से जुड़ा कंटेंट डालना शुरू किया जिसके बाद विदेशों में मौजूद उत्तराखंडी लोगों का काफी अच्छा रिस्पांस देखने को मिला। फीर दोनों दम्पतियों ने मिलकर ऑनलाइन बेडू पाको रेडियो की शुरुआत की और आज तकरीबन 50 से 60 देशों में रह रहे उत्तराखंड मूल के लोग इस रेडियो और वेबसाइट के माध्यम से अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं। डॉ शैलेश ने ईटीवी भारत को बताया कि इस वेबसाइट के माध्यम से वह विदेशों में मौजूद उत्तराखंड मूल के तमाम लोगों से जुड़े हुए रहते हैं और उनसे बातचीत करते हैं उनकी समस्या या फिर उनकी किसी भी प्रकार की जिज्ञासा का निदान करते हैं।

इतना ही नहीं इस दंपत्ति द्वारा अमेरिका में उत्तराखंड एसोसिएशन ऑफ नार्थ अमेरिका नाम से एक संगठन भी बनाया गया है। जिसके द्वारा यह संस्था देवभूमि से सात समंदर पार भी यहां के रीति रिवाज जैसे कि नंदा देवी राजजात, गोलू देवता, सहित उत्तराखंड के तमाम त्योहारों का मंचन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, यहां की वेशभूषा और पकवानों को वहां पर बढ़ावा देने का काम करते हैं।

डॉ शैलेश उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में पड़ने वाले मनान के मूल निवासी है और उनकी पत्नी बिंदिया भगत उप्रेती जिनका मायका भिकियासैंण के अमोली गांव भदरोजखान में है। दोनों दम्पत्ति पिछले 13 सालों से अमेरिका में रहते दोनों बिल्कुल फर्राटेदार गढ़वाली बोलते हैं। डॉ उप्रेती की शिक्षा दीक्षा अल्मोड़ा में ही हुई है और कुमाऊं यूनिवर्सिटी से पास आउट होने के बाद उन्होंने आईआईटी दिल्ली से पीएचडी की जिसके बाद 2006 में वह एक कंपनी के साथ अमेरिका में काम करने लगे लेकिन इस दौरान शैलेश के जहन में जो उत्तराखंडी था उसने उन्हें अपनी जड़ों से अलग नही होने दिया।

बाइट- डॉ शैलेश उप्रेती और उनकी पत्नी,


Conclusion:
Last Updated : Dec 18, 2019, 6:31 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.