देहरादून: अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस पर हम आपको बताने जा रहे हैं अमेरिका में रह रहे उत्तराखंड के एक परिवार के बारे में. ये परिवार वर्षों से अमेरिका के न्यूयार्क शहर में रहकर भी उत्तराखंडी संस्कृति को नहीं भूला. हम बात कर रहे हैं 13 सालों से न्यूयार्क शहर में रह रहे डॉक्टर शैलेश उपरेती की. डॉक्टर शैलेश ने ईटीवी भारत की 'आ अब लौटे' मुहिम की तारीफ की.
अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से एक घंटे की दूरी पर मौजूद मनान गांव से ताल्लुक रखने वाले डॉक्टर शैलेश उपरेती और उनकी पत्नी पिछले 13 सालों से अमेरिका के न्यूयार्क शहर में रह रहे हैं. शैलेश न्यूयार्क में लिथियान बैटरी व्यवसाय में कार्यरत हैं. लेकिन अपने देश और अपने प्रदेश उत्तराखंड की संस्कृति को भी पूरे जज्बे के साथ आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. डॉ शैलेश उप्रेती की पत्नी बिंदिया भगत उप्रेती ने साल 2009 में एक वेबसाइट बेडू पाको डॉट कॉम की शुरुआत की थी. इस वेबसाइट पर उन्होंने उत्तराखंड की संस्कृति से जुड़ा कंटेंट डालना शुरू किया. इसका इन्हें अच्छा रिस्पांस मिला. खासकर उत्तराखंड मूल के प्रवासियों ने इस वेबसाइट की तारीफ भी की.
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आज तकरीबन 50 से 60 देशों में रह रहे उत्तराखंड मूल के लोग इस रेडियो और वेबसाइट के माध्यम से अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं. डॉ शैलेश ने 'आ अब लौटे' मुहिम के लिए ईटीवी भारत को धन्यवाद दिया. उन्होंने बताया कि इस वेबसाइट के माध्यम से वह विदेशों में मौजूद उत्तराखंड मूल के तमाम लोगों से जुड़े हुए हैं और उनसे बातचीत करते हैं. उनकी समस्या या फिर उनकी किसी भी प्रकार की जिज्ञासा को पूरा करने प्रयास करते हैं.
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इस दंपत्ति द्वारा अमेरिका में उत्तराखंड एसोसिएशन ऑफ नार्थ अमेरिका नाम से एक संगठन भी बनाया है. जिसके द्वारा यह संस्था देवभूमि से सात समंदर पार भी यहां के रीति रिवाज जैसे कि नंदा देवी राजजात और गोलू देवता सहित उत्तराखंड के तमाम त्योहारों का मंचन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, यहां की वेशभूषा और पकवानों को बढ़ावा देने का काम करती हैं.
डॉ शैलेश उप्रेती की शिक्षा दीक्षा अल्मोड़ा में ही हुई है. कुमाऊं यूनिवर्सिटी से पासआउट होने के बाद उन्होंने आईआईटी दिल्ली से पीएचडी की. जिसके बाद 2006 में वह एक कंपनी के साथ अमेरिका में काम करने लगे.