देहरादून: उत्तराखंड में पिछले तीन दिनों से लगातार जल प्रहार जारी है. जिसके कारण अब तक प्रदेश में 55 लोगों की जान जा चुकी है. जबकि कई लोग अभी भी लापता बताया जा रहे हैं. उत्तराखंड में इस भीषण त्रासदी के निशान अगले महीनों तक देखे जाएंगे. इन तीन दिनों में प्रदेश को अब तक 5 हजार करोड़ से ज्यादा नुकसान हो चुका है.
तीन दिनों में 55 मौतें, 5 लापता: उत्तराखंड में पिछले तीन दिनों से प्रकृति ने अपना कहर बरपाया हुआ है. बारिश और बाढ़ के कारण प्रदेश में आपदा जैसे हालात हैं. 17 और 18 अक्टूबर को लगातार हुई भीषण बारिश के बाद जो त्रासदी हुई, वह हम सबके सामने है. इन 3 दिनों के भीतर प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर भूस्खलन जलभराव और संपर्क मार्ग टूटने के अलावा अन्य कई तरह के नुकसान देखने को मिले हैं. जनहानि की बात करें तो सबसे ज्यादा नैनीताल जिले में 30 मौतें अब तक रिपोर्ट की गई हैं. इस तरह से पूरे प्रदेश में केवल 3 दिनों के भीतर 55 लोग काल के गाल में समा गए हैं.
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5000 करोड़ से ज्यादा के नुकसान: कुमाऊं समेत पूरे प्रदेश में तीन दिन की बारिश ने कहर बरपाया है. इससे प्रदेश में काफी नुकसान भी हुआ है. बुधवार को सीएम धानी ने बताया कि उत्तराखंड आपदा में करीब 5 हजार करोड़ रुपए के नुकसान का आकलन सामने आया है. सीएम धामी ने आपदा की घड़ी में विभिन्न संगठनों और सक्षम लोगों से सहयोग करने की अपील की है.
सबसे ज्यादा सड़कों और पुलों को नुकसान: ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए आपदा सचिव एसए मुरुगेशन ने बताया कि इन 3 दिनों के भीतर सबसे ज्यादा नुकसान संपर्क मार्गों को हुआ है. कई जगहों पर सड़कें पूरी तरह से वॉश आउट हो गई हैं. उन्होंने बताया इन 3 दिनों के भीतर प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य मार्ग, जिला मार्गों के अलावा ग्रामीण सड़कों को भी नुकसान पहुंचा है. यही नहीं सड़कों के अलावा कुछ बड़े पुलों को भी नुकसान पहुंचा है. कई जगह पर छोटे पुल पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं. वहींं, कई बड़े पुल भी क्षतिग्रस्त हुए हैं जो कि प्रदेश के लिए बड़ा नुकसान हैं.
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सड़कों के बाद फसलों को नुकसान: आपदा सचिव ने बताया सड़कों के बाद दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा फसलों को नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा यह मौसम फसलों के ढुलान का मौसम था. इस समय कई हजारों कुंतल अनाज मंडियों में खुला रखा था. अचानक आई इस बेमौसमी बारिश ने संभलने तक का मौका नहीं दिया.
जिसके बाद मंडियों में रखा अनाज ही नहीं बल्कि खेतों में तैयार फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा सटीक नुकसान कितना हुआ है, इसको लेकर राजस्व विभाग और तमाम संबंधित विभागों के अधिकारियों को हालात सामान्य होते ही जल्द ही फील्ड पर भेजा जाएगा. उसके बाद सटीक आकलन किया जाएगा.
पेयजल लाइनें और विद्युत लाइनें भी क्षतिग्रस्त: इसके अलावा अधिकारियों का कहना है कि कई पहाड़ी जनपदों के साथ-साथ मैदानी जनपदों में पेयजल लाइनों को भी नुकसान हुआ है. वहीं विद्युत लाइनें भी कई जगह पर क्षतिग्रस्त हुई हैं. जिनको लेकर डाटा कलेक्ट किया जा रहा है. आंकड़े संकलित करने के साथ-साथ इन जगहों पर व्यवस्थाओं को बहाल करने के निर्देश जिला स्तर पर दिए जा रहे हैं.
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आवासीय भवनों का नुकसान हुआ है कम: इस बार आई आपदा में आवासीय भवनों का नुकसान तुलनात्मक रूप से कम बताया जा रहा है. आपदा सचिव ने बताया कि प्रदेश में ज्यादा बड़ा नुकसान संपर्क मार्ग कनेक्टिविटी और फसलों का हुआ है. वहीं, आवासीय भवनों की बात करें तो पूरे प्रदेश भर में 46 आवासीय भवन क्षतिग्रस्त हुए हैं.
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जिलेवार भवनों को हुए नुकसान: 18 अक्टूबर को चंपावत में एक मकान क्षतिग्रस्त हुआ. 19 अक्टूबर को पूरे प्रदेश में 45 मकानों के क्षतिग्रस्त होने की आपदा विभाग में रिपोर्ट की गई. जिसमें से नैनीताल जिले में दो, अल्मोड़ा में 40, चंपावत में एक, उधम सिंह नगर में एक, और बागेश्वर जिले में एक मकान क्षतिग्रस्त हुआ. इस तरह से 3 दिनों के भीतर 46 मकान जमींदोज हो गए हैं. अन्य कई मकानों को आंशिक रूप से नुकसान हुआ है.
आपदा प्रबंधन सचिव एसए मुरुगेशन ने बताया प्रदेश भर में वह आवासीय नुकसान का आकलन लगातार राजस्व विभाग और जिला प्रशासन द्वारा किया जा रहा है. जितने भी घर जमींदोज हुए हैं या फिर जिन मकानों को नुकसान हुआ है, मानकों के अनुसार उन्हें मुआवजा दिया जाएगा.