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उत्तराखंड में 6 महीने के भीतर निकाय चुनाव कराना असंभव! लोस चुनाव के बाद भी लग सकता है लंबा समय

Uttarakhand civic elections लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उत्तराखंड में निकाय चुनाव कराना सरकार के लिए चुनौती बन गया है. कारण अभी तक निकाय चुनाव के लेकर आरक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है. दूसरी तरफ शहरी विकास सचिव हाईकोर्ट में 6 महीने के भीतर चुनाव कराने की बात कह चुके हैं.

Uttarakhand civic elections
उत्तराखंड निकाय चुनाव
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 18, 2024, 7:41 PM IST

Updated : Jan 18, 2024, 10:41 PM IST

उत्तराखंड में 6 महीने के भीतर निकाय चुनाव कराना असंभव!

देहरादूनः उत्तराखंड में निकाय चुनाव की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है. हाल ही में नैनीताल हाईकोर्ट ने दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार को निर्देश दिए थे कि अगले 6 महीने के भीतर निकाय चुनाव संपन्न कराए जाए. लेकिन प्रदेश में अगले 6 महीने के भीतर निकाय चुनाव कराए जाने की संभावनाएं बेहद कम नजर आ रही है. इसका कारण एक तरफ लोकसभा चुनाव है तो दूसरी तरफ निकाय चुनाव के लिए तमाम आरक्षण की प्रक्रिया जो अभी तक पूरी नहीं हुई है. ऐसे में साफ है कि आने वाले समय में अधिकारी लोकसभा चुनाव में व्यस्त रहेंगे और निकाय चुनाव संबंधित आरक्षण के कामों को नहीं कर पाएंगे. इन्हीं कारणों पर संभावना जताई जा रही है कि अगले 6 महीने के भीतर निकाय चुनाव होने की संभावना बेहद कम है.

उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही है. सभी राजनीतिक पार्टियां लोकसभा की पांचों सीटों को जीतने के लिए जी-तोड़ मेहनत करने की कवायद में जुट गए है. ऐसे में लोकसभा चुनाव के बीच निकाय चुनाव का मुद्दा कहीं खो गया है. क्योंकि, सरकार फिलहाल निकाय चुनाव पर कोई ध्यान नहीं दे रही है. हालांकि, हाईकोर्ट 9 जनवरी को निकाय चुनाव न कराने को लेकर शहरी विकास सचिव से जवाब तलब कर चुका है. जिस पर शहरी विकास सचिव ने अगले 6 महीने के भीतर चुनाव कराने का बात कही है. भले ही सरकार ने 6 महीने के भीतर चुनाव कराने का आश्वासन दिया है, लेकिन इस दौरान चुनाव होने की उम्मीद बेहद कम है.

6 महीने के भीतर चुनाव कराना बड़ी चुनौती: उत्तराखंड में नगर निकायों का कार्यकाल 2 दिसंबर 2023 को समाप्त हो गया था. इसके बाद निकायों में प्रशासक बिठा दिए गए हैं. जबकि निकायों के कार्यकाल समाप्त होने से पहले निकाय चुनाव संपन्न हो जाना चाहिए था. लेकिन पिछले निकाय चुनाव की तरह इस बार भी निकाय चुनाव आगे खिसक गया है और अभी तक ये तय नहीं हो पाया है कि कब तक निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं. जबकि शहरी विकास सचिव ने अगले 6 महीने के भीतर चुनाव कराने का आश्वासन दिया है. ऐसे में अगले 6 महीने के भीतर चुनाव संपन्न कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. क्योंकि अगले डेढ़ से दो महीने में ही लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. जिसके चलते सरकारी अमला चुनाव में व्यस्त हो जाएगा.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में निकाय चुनाव की तैयारियां तेज, 2 फरवरी को जारी होगी अंतिम मतदाता सूची

लोकसभा चुनाव के बाद भी चाहिए लंबा समय: इसके साथ ही निकाय चुनाव के लिए अभी तक निर्वाचक नामावली भी दुरस्त नहीं है. ऐसे में निकाय चुनाव के लिए आरक्षण और नामावली काफी महत्वपूर्ण है. जिसे दुरस्त करने में शासन-प्रशासन और राज्य निर्वाचन आयोग को काफी समय लगेगा. हालांकि, राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार 15 फरवरी तक निर्वाचन नामावली तैयार हो जाएगी. लेकिन, 15 फरवरी के बाद प्रदेश में लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़ जाएगी. इस बीच चुनाव होने की कोई संभावना नहीं है. जब तक कि केंद्र सरकार का गठन नहीं हो जाता है. ऐसे में लोकसभा की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद अगर सरकार निकाय चुनाव पर जोर देती है तो भी चुनाव के लिए कम से कम 5 महीने का वक्त चाहिए. ताकि चुनाव की प्रकिया को पूरा कराया जा सके.

लोकसभा चुनाव पर पड़ सकता असर: वहीं, निकाय चुनाव के सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने बताया कि भले ही सरकार ने अगले 6 महीने के भीतर चुनाव कराने की बात कही हो. लेकिन यह संभव नहीं है. क्योंकि लोकसभा चुनाव की तैयारियों में सरकारी मशीनरी जुटी हुई है. इसके साथ ही एक कारण ये भी हो सकता है कि सरकार लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव नहीं कराना चाहती है. क्योंकि निकाय चुनाव के नतीजे लोकसभा चुनाव पर प्रभाव डाल सकते हैं. ये चिंता का विषय है कि राज्य सरकार या केंद्र सरकार निकाय चुनावों में ज्यादा रुचि नहीं लेती है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है बल्कि हमेशा ही ऐसा देखा जाता है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में 6 महीने के अंदर होंगे निकाय चुनाव, सरकार ने हाईकोर्ट को किया आश्वस्त

सरकार ने रखा अपना तर्क: निकाय चुनाव कराए जाने के सवाल पर शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि नगर निकाय के पांच साल का कार्यकाल समाप्त हो गया है. ऐसे में जैसे ही मतदाता सूची और आरक्षण का विषय पूरा होगा, उसके बाद सरकार चुनाव की दिशा में आगे बढ़ेगी. जबकि निकाय चुनाव पर कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि भाजपा का संविधान में कोई विश्वास नहीं है. उसी के तहत निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद भी चुनाव नहीं कराए गए.

उत्तराखंड में 6 महीने के भीतर निकाय चुनाव कराना असंभव!

देहरादूनः उत्तराखंड में निकाय चुनाव की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है. हाल ही में नैनीताल हाईकोर्ट ने दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार को निर्देश दिए थे कि अगले 6 महीने के भीतर निकाय चुनाव संपन्न कराए जाए. लेकिन प्रदेश में अगले 6 महीने के भीतर निकाय चुनाव कराए जाने की संभावनाएं बेहद कम नजर आ रही है. इसका कारण एक तरफ लोकसभा चुनाव है तो दूसरी तरफ निकाय चुनाव के लिए तमाम आरक्षण की प्रक्रिया जो अभी तक पूरी नहीं हुई है. ऐसे में साफ है कि आने वाले समय में अधिकारी लोकसभा चुनाव में व्यस्त रहेंगे और निकाय चुनाव संबंधित आरक्षण के कामों को नहीं कर पाएंगे. इन्हीं कारणों पर संभावना जताई जा रही है कि अगले 6 महीने के भीतर निकाय चुनाव होने की संभावना बेहद कम है.

उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही है. सभी राजनीतिक पार्टियां लोकसभा की पांचों सीटों को जीतने के लिए जी-तोड़ मेहनत करने की कवायद में जुट गए है. ऐसे में लोकसभा चुनाव के बीच निकाय चुनाव का मुद्दा कहीं खो गया है. क्योंकि, सरकार फिलहाल निकाय चुनाव पर कोई ध्यान नहीं दे रही है. हालांकि, हाईकोर्ट 9 जनवरी को निकाय चुनाव न कराने को लेकर शहरी विकास सचिव से जवाब तलब कर चुका है. जिस पर शहरी विकास सचिव ने अगले 6 महीने के भीतर चुनाव कराने का बात कही है. भले ही सरकार ने 6 महीने के भीतर चुनाव कराने का आश्वासन दिया है, लेकिन इस दौरान चुनाव होने की उम्मीद बेहद कम है.

6 महीने के भीतर चुनाव कराना बड़ी चुनौती: उत्तराखंड में नगर निकायों का कार्यकाल 2 दिसंबर 2023 को समाप्त हो गया था. इसके बाद निकायों में प्रशासक बिठा दिए गए हैं. जबकि निकायों के कार्यकाल समाप्त होने से पहले निकाय चुनाव संपन्न हो जाना चाहिए था. लेकिन पिछले निकाय चुनाव की तरह इस बार भी निकाय चुनाव आगे खिसक गया है और अभी तक ये तय नहीं हो पाया है कि कब तक निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं. जबकि शहरी विकास सचिव ने अगले 6 महीने के भीतर चुनाव कराने का आश्वासन दिया है. ऐसे में अगले 6 महीने के भीतर चुनाव संपन्न कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. क्योंकि अगले डेढ़ से दो महीने में ही लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. जिसके चलते सरकारी अमला चुनाव में व्यस्त हो जाएगा.
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लोकसभा चुनाव के बाद भी चाहिए लंबा समय: इसके साथ ही निकाय चुनाव के लिए अभी तक निर्वाचक नामावली भी दुरस्त नहीं है. ऐसे में निकाय चुनाव के लिए आरक्षण और नामावली काफी महत्वपूर्ण है. जिसे दुरस्त करने में शासन-प्रशासन और राज्य निर्वाचन आयोग को काफी समय लगेगा. हालांकि, राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार 15 फरवरी तक निर्वाचन नामावली तैयार हो जाएगी. लेकिन, 15 फरवरी के बाद प्रदेश में लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़ जाएगी. इस बीच चुनाव होने की कोई संभावना नहीं है. जब तक कि केंद्र सरकार का गठन नहीं हो जाता है. ऐसे में लोकसभा की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद अगर सरकार निकाय चुनाव पर जोर देती है तो भी चुनाव के लिए कम से कम 5 महीने का वक्त चाहिए. ताकि चुनाव की प्रकिया को पूरा कराया जा सके.

लोकसभा चुनाव पर पड़ सकता असर: वहीं, निकाय चुनाव के सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने बताया कि भले ही सरकार ने अगले 6 महीने के भीतर चुनाव कराने की बात कही हो. लेकिन यह संभव नहीं है. क्योंकि लोकसभा चुनाव की तैयारियों में सरकारी मशीनरी जुटी हुई है. इसके साथ ही एक कारण ये भी हो सकता है कि सरकार लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव नहीं कराना चाहती है. क्योंकि निकाय चुनाव के नतीजे लोकसभा चुनाव पर प्रभाव डाल सकते हैं. ये चिंता का विषय है कि राज्य सरकार या केंद्र सरकार निकाय चुनावों में ज्यादा रुचि नहीं लेती है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है बल्कि हमेशा ही ऐसा देखा जाता है.
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सरकार ने रखा अपना तर्क: निकाय चुनाव कराए जाने के सवाल पर शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि नगर निकाय के पांच साल का कार्यकाल समाप्त हो गया है. ऐसे में जैसे ही मतदाता सूची और आरक्षण का विषय पूरा होगा, उसके बाद सरकार चुनाव की दिशा में आगे बढ़ेगी. जबकि निकाय चुनाव पर कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि भाजपा का संविधान में कोई विश्वास नहीं है. उसी के तहत निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद भी चुनाव नहीं कराए गए.

Last Updated : Jan 18, 2024, 10:41 PM IST
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