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दरियादिल धर्मेंद्र! बंगाल के तीन युवकों ने मांगा भोजन, खाना तो दिया ही दिलवा दी अच्छी नौकरी भी - bengal youth

ईटीवी भारत को वेस्ट बंगाल से आए तीन युवकों ने लॉकडाउन के दौरान की आपबीती सुनाई. भूख से बेहाल होने के बाद एक मददगार द्वारा नौकरी दिलाने तक की इनकी कहानी बेहद दिलचस्प है.

प्रवासीयों को खाने के साथ दिलवाई नौकरी
प्रवासीयों को खाने के साथ दिलवाई नौकरी
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Published : May 16, 2020, 2:51 PM IST

Updated : May 16, 2020, 4:13 PM IST

देहरादून: कोरोना काल में न जाने कितने लोग दूसरों की सेवा कर रहे हैं. इस समय में दिल को छू लेने वाले भी कई पहलू सामने आ रहे हैं. ऐसा ही एक मामला हरिद्वार के सिडकुल क्षेत्र का है. यहां बीते 2 महीने से बंगाल के तीन युवक बेहद तंगहाली में जीवन यापन कर रहे थे. नौकरी की तलाश में आए ये युवक लॉकडाउन के चलते यहीं फंस गए. नौकरी भी नहीं मिली और धीरे-धीरे सारे पैसे भी खर्च हो गए.

लिहाजा खाने की तलाश में तीनों युवक हरिद्वार के सिडकुल में चल रही एक रसोई में जा पहुंचे. उन्होंने वहां मौजूद लोगों को अपनी पूरी कहानी बताई. उन्होंने वहां मौजूद धर्मेंद्र विश्नोई को बताया कि उनके पैसे खत्म हो चुके हैं. मकान मालिक भी किराया न देने के कारण बाहर निकालने की बात कर रहा है. ऐसे में धर्मेंद्र विश्नोई ने मामले की जानकारी स्थानीय पुलिस को दी.

मकान मालिक से बात कर समझाने पर मकान मालिक मान गया. धर्मेंद्र विश्नोई ने सिडकुल की एक कंपनी में बातचीत करके युवकों की नौकरी भी लगवा दी. फिलहाल तीनों फार्मा की एक कंपनी में नाइट शिफ्ट में काम कर रहे हैं.

पढ़ें- मछली पकड़ने गए दो भाइयों की नदी में डूबने से मौत

वहीं ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए तीनों युवक प्रसेन्नजीत चटर्जी, अमित कुर्मी, श्यामलाल सोरण बेहद खुश दिखे. उनका कहना है कि अब न मकान के किराए की चिंता है न भोजन की.

देहरादून: कोरोना काल में न जाने कितने लोग दूसरों की सेवा कर रहे हैं. इस समय में दिल को छू लेने वाले भी कई पहलू सामने आ रहे हैं. ऐसा ही एक मामला हरिद्वार के सिडकुल क्षेत्र का है. यहां बीते 2 महीने से बंगाल के तीन युवक बेहद तंगहाली में जीवन यापन कर रहे थे. नौकरी की तलाश में आए ये युवक लॉकडाउन के चलते यहीं फंस गए. नौकरी भी नहीं मिली और धीरे-धीरे सारे पैसे भी खर्च हो गए.

लिहाजा खाने की तलाश में तीनों युवक हरिद्वार के सिडकुल में चल रही एक रसोई में जा पहुंचे. उन्होंने वहां मौजूद लोगों को अपनी पूरी कहानी बताई. उन्होंने वहां मौजूद धर्मेंद्र विश्नोई को बताया कि उनके पैसे खत्म हो चुके हैं. मकान मालिक भी किराया न देने के कारण बाहर निकालने की बात कर रहा है. ऐसे में धर्मेंद्र विश्नोई ने मामले की जानकारी स्थानीय पुलिस को दी.

मकान मालिक से बात कर समझाने पर मकान मालिक मान गया. धर्मेंद्र विश्नोई ने सिडकुल की एक कंपनी में बातचीत करके युवकों की नौकरी भी लगवा दी. फिलहाल तीनों फार्मा की एक कंपनी में नाइट शिफ्ट में काम कर रहे हैं.

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वहीं ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए तीनों युवक प्रसेन्नजीत चटर्जी, अमित कुर्मी, श्यामलाल सोरण बेहद खुश दिखे. उनका कहना है कि अब न मकान के किराए की चिंता है न भोजन की.

Last Updated : May 16, 2020, 4:13 PM IST
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