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जश्न और उपलब्धियों के बाद धामी सरकार 2.0 की 'अग्नि परीक्षा' शुरू, ये रहेंगी चुनौतियां

धामी सरकार का एक साल मुश्किलों से निपटने और सख्त फैसले लेने में गुजर गया. अब धामी सरकार के लिए आने वाले साल चुनौती भरे हैं. आने वाले सालों में धामी सरकार को कई चुनौतियों से निपटना है.

Dhami Sarkar
धामी सरकार की 'अग्निपरीक्षा'
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Published : Mar 25, 2023, 6:00 PM IST

Updated : Mar 25, 2023, 8:29 PM IST

धामी सरकार की 'अग्निपरीक्षा'

देहरादून: उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी सरकार को एक साल पूरे हो चुके हैं. इस एक साल में धामी सरकार अपने कुछ बड़े फैसलों को लेकर चर्चाओं में रही है, लेकिन भाजपा की सरकार के लिए अगला एक साल ज्यादा चुनौतीपूर्ण होने जा रहा है. दरअसल, इस दौरान पंचायत, निकाय और लोकसभा चुनाव के साथ ही दूसरी कई चुनौतियां हैं. जिससे पार पाना धामी सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा.

धामी सरकार ने अपने एक साल के दौरान तीन गैस सिलेंडर मुफ्त देने, महिलाओं को क्षैतिज आरक्षण देने के लिए कानून बनाने, समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने और धर्मांतरण कानून बनाने जैसे कुछ बड़े फैसले लिये. जिससे धामी सरकार ने खूब वाहवाही लूटी. इन फैसलों से धामी सरकार के एक साल का सफर आसान हो गया, मगर अब आने वाला साल धामी सरकार के लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण होने जा रहा है. ऐसी एक नहीं बल्कि कई चुनौतियां सरकार के सामने होंगी जिनसे पार पाना बेहद जरूरी होगा.

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यही नहीं धामी सरकार की असल परीक्षा का समय भी यही दूसरा साल होगा जब उसे केंद्र के भरोसे पर खरा उतरना होगा. इस मामले में जानकार मानते हैं कि धामी सरकार के लिए अगले एक साल में कुछ ऐसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम और चुनौतियां होंगी. जिसके लिए सरकार को ज्यादा तैयार होने की जरूरत है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण आगामी चुनावी कार्यक्रम है.

पढे़ं- Uttarakhand Politics: क्या 'गुरु'-'शिष्य' के बीच सब कुछ सही नहीं? कांग्रेस बोली- दाल में कुछ काला है

उत्तराखंड में वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान चुनाव भी होंगे. बड़े आयोजन भी, जिसमें लोकतांत्रिक व्यवस्था में पास होने का लक्ष्य भी रहेगा. सरकार के सामने बेहतरीन व्यवस्था कर आयोजनों को सफल बनाने की चुनौती भी होगी. अब जानिए सरकार के सामने आने वाले 1 साल के दौरान वह कौन सी चुनौतियां हैं जिससे सरकार को पार पाना होगा.

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  • जी20 बैठकों का सफल आयोजन: देश को जी-20 आयोजन की मेजबानी मिली है. इसके लिए देश के तमाम राज्यों में अलग-अलग कार्यक्रम रखे गए हैं. उत्तराखंड में भी जी-20 की तीन बैठक और कार्यक्रम होने हैं. इसमें रामनगर और ऋषिकेश में तीन आयोजन होंगे. इन आयोजनों में न केवल उत्तराखंड बल्कि भारत सरकार समेत दुनिया के देशों के महत्वपूर्ण प्रतिनिधि भी शामिल होंगे. खास बात यह है कि इतने बड़े आयोजन को लेकर न केवल दुनियाभर के प्रतिनिधियों की इस पर नजर होगी बल्कि भारत सरकार भी उत्तराखंड की व्यवस्थाओं को बारीकी से परखेगी. लिहाजा, धामी सरकार के सामने इन आयोजनों को सफल करने का बड़ा दबाव है.
  • मानसून सीजन में आपदा की आशंकाओं पर बेहतर व्यवस्था: जोशीमठ समेत मानसून सीजन में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में आपदा के असर को कम करने का दबाव भी सरकार पर होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि पहले ही राज्य सरकार जोशीमठ आपदा को लेकर भारी दबाव में है. अब मानसून सीजन में ऐसी घटनाएं बढ़ने की आशंकाओं के बीच सरकार को त्वरित फैसलों के जरिए जन आकांक्षाओं पर खरा उतरना होगा.
  • पंचायत और निकाय चुनाव में बेहतर परिणाम पाने की चुनौती: अगले एक साल के दौरान राज्य में पंचायत चुनाव होने हैं. यही नहीं शहरों में निकाय चुनाव को भी चुनाव आयोग द्वारा संपन्न कराया जाना है. ऐसे में पंचायतों के साथ निकाय चुनाव में भी भाजपा की बेहतर परफॉर्मेंस को बनाए रखना न केवल भाजपा के लिए जरूरी होगा. बल्कि सरकार की भी यह एक अग्निपरीक्षा होगी.
  • लोकसभा चुनाव की चुनौती: आगामी लोकसभा चुनाव पुष्कर सिंह धामी सरकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण होगा. इसे धामी सरकार के फाइनल के रूप में भी माना जा सकता है. लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 5 लोकसभा सीटों को जीतने का सरकार पर भारी दबाव होगा. इन पांचों सीटों को भाजपा लगातार दो बार जीत चुकी है. ऐसे में जीत की हैट्रिक को लगाने की बड़ी चुनौती सरकार के सामने होगी. यह स्थिति धामी सरकार के भविष्य को भी तय करेगी.
  • चारधाम यात्रा का सफल संचालन सरकार की जिम्मेदारी: अप्रैल महीने में उत्तराखंड में चारधाम यात्रा भी शुरू होने जा रही है. इस यात्रा को सफलता के साथ पूरा करने की धामी सरकार के सामने बड़ी चुनौती है. इसके लिए अभी से तमाम तैयारियां शुरू की जा चुकी हैं.
  • जंगलों में आग की घटनाओं पर काबू पाने का दबाव: उत्तराखंड के जंगलों में आग की घटनाएं राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में रहता है. इन घटनाओं में इजाफा होने पर भी सरकार को किरकिरी का सामना करना पड़ता है. लिहाजा, इन हालातों को समझते हुए सरकार वनाग्नि की घटनाओं को लेकर भी विशेष तैयारियां कर रही है. आने वाले साल में जंगलों में आग की घटनाओं पर काबू पाने का दबाव भी धामी सरकार पर है.
  • राज्य के आर्थिक हालातों को सुधारना होगा मुश्किल: उत्तराखंड के लिए सबसे बड़ी परेशानी राज्य के खराब आर्थिक हालात भी हैं. कर्ज के बढ़ते दबाव के कारण सरकार विभिन्न योजनाओं को आगे बढ़ाने में मुश्किलों का सामना कर रही है. केंद्रीय बजट ही राज्य का सहारा है. अब इन स्थितियों के बीच राज्य के राजस्व को बढ़ाने और आर्थिक हालातों को सुधारने के लिए नए क्षेत्र विकसित करने का बड़ा दबाव सरकार के सामने होगा.

इतनी सारी चुनौतियों के बीच भी भाजपा का मानना है कि उनकी सरकार लगातार बेहतर निर्णय ले रही है. सरकार इसी की बदौलत राज्य में सभी चुनौतियों से पार पाएगी. यही नहीं जनता ने जिस तरह से भाजपा सरकार के कामों पर मुहर लगाई है उसके चलते राज्य के सभी चुनाव को भी भविष्य में भाजपा जीतने का काम करेगी.

पढे़ं- Uttarakhand Budget 2023: धामी सरकार ने की हर तबके को साधने की कोशिश, ग्राफिक्स से जानें बड़ी बातें

कांग्रेस मौजूदा स्थितियों पर सरकार के हालातों को बेहद खराब बताती है. कांग्रेस का मानना है कि सरकार जनता की भावनाओं पर खरा नहीं उतरी है. इसका असर जनता के विरोध के रूप में देखा जा सकता है. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और विधायक प्रीतम सिंह कहते हैं कि जो हालात देश और राज्य में हैं, उससे यह कहना आसान है कि भाजपा के लिए उसकी मंजिल इतनी आसान नहीं है.

धामी सरकार की 'अग्निपरीक्षा'

देहरादून: उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी सरकार को एक साल पूरे हो चुके हैं. इस एक साल में धामी सरकार अपने कुछ बड़े फैसलों को लेकर चर्चाओं में रही है, लेकिन भाजपा की सरकार के लिए अगला एक साल ज्यादा चुनौतीपूर्ण होने जा रहा है. दरअसल, इस दौरान पंचायत, निकाय और लोकसभा चुनाव के साथ ही दूसरी कई चुनौतियां हैं. जिससे पार पाना धामी सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा.

धामी सरकार ने अपने एक साल के दौरान तीन गैस सिलेंडर मुफ्त देने, महिलाओं को क्षैतिज आरक्षण देने के लिए कानून बनाने, समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने और धर्मांतरण कानून बनाने जैसे कुछ बड़े फैसले लिये. जिससे धामी सरकार ने खूब वाहवाही लूटी. इन फैसलों से धामी सरकार के एक साल का सफर आसान हो गया, मगर अब आने वाला साल धामी सरकार के लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण होने जा रहा है. ऐसी एक नहीं बल्कि कई चुनौतियां सरकार के सामने होंगी जिनसे पार पाना बेहद जरूरी होगा.

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धामी सरकार की 'अग्निपरीक्षा'

यही नहीं धामी सरकार की असल परीक्षा का समय भी यही दूसरा साल होगा जब उसे केंद्र के भरोसे पर खरा उतरना होगा. इस मामले में जानकार मानते हैं कि धामी सरकार के लिए अगले एक साल में कुछ ऐसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम और चुनौतियां होंगी. जिसके लिए सरकार को ज्यादा तैयार होने की जरूरत है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण आगामी चुनावी कार्यक्रम है.

पढे़ं- Uttarakhand Politics: क्या 'गुरु'-'शिष्य' के बीच सब कुछ सही नहीं? कांग्रेस बोली- दाल में कुछ काला है

उत्तराखंड में वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान चुनाव भी होंगे. बड़े आयोजन भी, जिसमें लोकतांत्रिक व्यवस्था में पास होने का लक्ष्य भी रहेगा. सरकार के सामने बेहतरीन व्यवस्था कर आयोजनों को सफल बनाने की चुनौती भी होगी. अब जानिए सरकार के सामने आने वाले 1 साल के दौरान वह कौन सी चुनौतियां हैं जिससे सरकार को पार पाना होगा.

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  • जी20 बैठकों का सफल आयोजन: देश को जी-20 आयोजन की मेजबानी मिली है. इसके लिए देश के तमाम राज्यों में अलग-अलग कार्यक्रम रखे गए हैं. उत्तराखंड में भी जी-20 की तीन बैठक और कार्यक्रम होने हैं. इसमें रामनगर और ऋषिकेश में तीन आयोजन होंगे. इन आयोजनों में न केवल उत्तराखंड बल्कि भारत सरकार समेत दुनिया के देशों के महत्वपूर्ण प्रतिनिधि भी शामिल होंगे. खास बात यह है कि इतने बड़े आयोजन को लेकर न केवल दुनियाभर के प्रतिनिधियों की इस पर नजर होगी बल्कि भारत सरकार भी उत्तराखंड की व्यवस्थाओं को बारीकी से परखेगी. लिहाजा, धामी सरकार के सामने इन आयोजनों को सफल करने का बड़ा दबाव है.
  • मानसून सीजन में आपदा की आशंकाओं पर बेहतर व्यवस्था: जोशीमठ समेत मानसून सीजन में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में आपदा के असर को कम करने का दबाव भी सरकार पर होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि पहले ही राज्य सरकार जोशीमठ आपदा को लेकर भारी दबाव में है. अब मानसून सीजन में ऐसी घटनाएं बढ़ने की आशंकाओं के बीच सरकार को त्वरित फैसलों के जरिए जन आकांक्षाओं पर खरा उतरना होगा.
  • पंचायत और निकाय चुनाव में बेहतर परिणाम पाने की चुनौती: अगले एक साल के दौरान राज्य में पंचायत चुनाव होने हैं. यही नहीं शहरों में निकाय चुनाव को भी चुनाव आयोग द्वारा संपन्न कराया जाना है. ऐसे में पंचायतों के साथ निकाय चुनाव में भी भाजपा की बेहतर परफॉर्मेंस को बनाए रखना न केवल भाजपा के लिए जरूरी होगा. बल्कि सरकार की भी यह एक अग्निपरीक्षा होगी.
  • लोकसभा चुनाव की चुनौती: आगामी लोकसभा चुनाव पुष्कर सिंह धामी सरकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण होगा. इसे धामी सरकार के फाइनल के रूप में भी माना जा सकता है. लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 5 लोकसभा सीटों को जीतने का सरकार पर भारी दबाव होगा. इन पांचों सीटों को भाजपा लगातार दो बार जीत चुकी है. ऐसे में जीत की हैट्रिक को लगाने की बड़ी चुनौती सरकार के सामने होगी. यह स्थिति धामी सरकार के भविष्य को भी तय करेगी.
  • चारधाम यात्रा का सफल संचालन सरकार की जिम्मेदारी: अप्रैल महीने में उत्तराखंड में चारधाम यात्रा भी शुरू होने जा रही है. इस यात्रा को सफलता के साथ पूरा करने की धामी सरकार के सामने बड़ी चुनौती है. इसके लिए अभी से तमाम तैयारियां शुरू की जा चुकी हैं.
  • जंगलों में आग की घटनाओं पर काबू पाने का दबाव: उत्तराखंड के जंगलों में आग की घटनाएं राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में रहता है. इन घटनाओं में इजाफा होने पर भी सरकार को किरकिरी का सामना करना पड़ता है. लिहाजा, इन हालातों को समझते हुए सरकार वनाग्नि की घटनाओं को लेकर भी विशेष तैयारियां कर रही है. आने वाले साल में जंगलों में आग की घटनाओं पर काबू पाने का दबाव भी धामी सरकार पर है.
  • राज्य के आर्थिक हालातों को सुधारना होगा मुश्किल: उत्तराखंड के लिए सबसे बड़ी परेशानी राज्य के खराब आर्थिक हालात भी हैं. कर्ज के बढ़ते दबाव के कारण सरकार विभिन्न योजनाओं को आगे बढ़ाने में मुश्किलों का सामना कर रही है. केंद्रीय बजट ही राज्य का सहारा है. अब इन स्थितियों के बीच राज्य के राजस्व को बढ़ाने और आर्थिक हालातों को सुधारने के लिए नए क्षेत्र विकसित करने का बड़ा दबाव सरकार के सामने होगा.

इतनी सारी चुनौतियों के बीच भी भाजपा का मानना है कि उनकी सरकार लगातार बेहतर निर्णय ले रही है. सरकार इसी की बदौलत राज्य में सभी चुनौतियों से पार पाएगी. यही नहीं जनता ने जिस तरह से भाजपा सरकार के कामों पर मुहर लगाई है उसके चलते राज्य के सभी चुनाव को भी भविष्य में भाजपा जीतने का काम करेगी.

पढे़ं- Uttarakhand Budget 2023: धामी सरकार ने की हर तबके को साधने की कोशिश, ग्राफिक्स से जानें बड़ी बातें

कांग्रेस मौजूदा स्थितियों पर सरकार के हालातों को बेहद खराब बताती है. कांग्रेस का मानना है कि सरकार जनता की भावनाओं पर खरा नहीं उतरी है. इसका असर जनता के विरोध के रूप में देखा जा सकता है. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और विधायक प्रीतम सिंह कहते हैं कि जो हालात देश और राज्य में हैं, उससे यह कहना आसान है कि भाजपा के लिए उसकी मंजिल इतनी आसान नहीं है.

Last Updated : Mar 25, 2023, 8:29 PM IST
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