देहरादूनः बीते साल अक्टूबर महीने में गुजरात के मोरबी में भयानक पुल हादसा हुआ था, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी. इस हादसे के बाद उत्तराखंड में बदहाल पुलों को लेकर ऑडिट किया गया था. जिसमें इस बात पर ज्यादा फोकस किया गया था कि पुल की क्षमता कितनी है और कितना वजन उठा सकते हैं? इसके बाद उनकी क्षमताओं को अपग्रेड किया जाना था. ताकि, उत्तराखंड में पुल हादसे की वजह से कोई अनहोनी न हो. इसी कड़ी में अब लोक निर्माण विभाग ने 58 से ज्यादा पुलों को अपग्रेड करने के लिए बजट जारी कर दिया है.
गौर हो कि उत्तराखंड में भी कई बार पुल टूटने की वजह से बड़े हादसे हुए हैं. हालांकि, यह हादसे बरसात और भूस्खलन के समय पर ही ज्यादा हुए हैं, लेकिन यहां के पुलों की गुणवत्ता और मजबूती को लेकर कई बार सवाल खड़े होते रहे हैं. लिहाजा, बीते साल 30 अक्टूबर को हुई गुजरात पुल हादसे के बाद राज्य सरकार ने उत्तराखंड के तमाम पुलों के ऑडिट और अपग्रेड कराने के आदेश दिए थे.
कितने असुरक्षित हैं गढ़वाल और कुमाऊं के पुलः उत्तराखंड के पीडब्ल्यूडी विभाग ने बीते साल 3262 पुल में से 2518 पुलों का ऑडिट करवाया था, जिसके बाद गढ़वाल और कुमाऊं के 40 से ज्यादा पुलों को बेहद खतरनाक जोन में डाला गया था. साथ ही ये भी बताया गया था कि यह पुल ज्यादा दिन वजन सहने के लायक नहीं है. सबसे ज्यादा खतरनाक पुल देहरादून के चकराता और नैनीताल के साथ चमोली में सामने आए थे. जिसमें चमोली जिले में ही करीब 10 पुल ऐसे थे, जो बेहद खतरनाक स्थिति में पहुंच गए थे.
वहीं, कुमाऊं में करीब 11 पुल ऐसे थे, जिन पर ऑडिट के बाद आवागमन पूरी तरह से रोकने के लिए कह दिया गया था. ऐसे में अब एक अप्रैल से उत्तराखंड के खतरनाक पुलों का मरम्मत का काम केवल शुरू होगा. इसके तहत उन पुलों को अपग्रेड कर और ज्यादा वजन सहने योग्य बनाया जाएगा. ताकि, कोई भारी वाहन गुजरे तो पुल सेफ रहे और जान माल का नुकसान न हो सके.
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मॉनसून से पहले पुलों पर होने हैं कामः पीडब्ल्यूडी विभाग ने 58 पुलों के लिए करीब ₹6 करोड़ 40 लाख का शुरुआती बजट जारी किया है. पीडब्ल्यूडी विभाग के अपर सचिव विनीत कुमार का कहना है कि फिलहाल, पहली किस्त जारी की गई है. राज्य सरकार चाहती है कि ऐसा कोई पुल न हो, जो खतरनाक हो. उत्तराखंड के जोन 5 में कराए गए पुलों के ऑडिट में 36 पुल सबसे खतरनाक बताए गए थे. जिनको तत्काल प्रभाव से अपग्रेड करने का काम शुरू हो गया है. क्योंकि, कुछ ही महीने में मॉनसून भी दस्तक देने जा रहा है. लिहाजा, विभाग चाहता है कि मॉनसून से पहले ही तमाम पुलों का अपग्रेड और मरम्मत का काम पूरा कर लिया जाए.
देहरादून में सबसे ज्यादा फोकसः शुरुआती चरण में देहरादून के करीब 20 पुलों की मरम्मत की मंजूरी दी गई है. जिसमें 156.80 लाख रुपए राजधानी के पुलों के मरम्मत के लिए दिए गए हैं. इसके अलावा नैनीताल, उधम सिंह नगर के सितारगंज और खटीमा, पिथौरागढ़ जिले के धारचूला, अल्मोड़ा के सोमेश्वर और रानीखेत, चमोली जिले के थराली, कर्णप्रयाग और जोशीमठ क्षेत्र समेत अन्य जगहों के पुलों को दुरुस्त करने के लिए अलग-अलग बजट का प्रावधान रखा गया है. बता दें कि राज्य सरकार ने प्रदेश के 207 पुलों को अपग्रेड करने का फैसला लिया है.
सेना के बेस कैंप तक जाने वाले पुल होंगे मजबूतः चमोली और पिथौरागढ़ जैसे जिलों में पुल को इसलिए भी अपग्रेड किया जा रहा है, ताकि सीमावर्ती क्षेत्रों में जाने वाली सेना की टुकड़ियां, खाने पीने का सामान और भारी भरकम हथियार से लदे ट्रक आसानी से जा सके. बीते 2 सालों में कई बार इस तरह की घटना सामने आई है कि बड़े-बड़े ट्रक पुल पर चढ़ने से पहले ही धराशाई हो गए. लिहाजा, ऐसे पुलों को चिन्हित कर इस काबिल बनाया जा रहा है, जिससे सीमा तक बड़ी मिसाइल, तोप और अत्याधुनिक भारी भरकम हथियार पहुंचाया जा सके.
किसी भी राज्य या शहर के लिए सड़क और पुलों का सुरक्षित व सुगम होना, उसके विकास का सबसे बड़ा पैमाना होता है. यही कारण है कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में सरकार उन सभी सड़कों और पुलों को सुरक्षित व मजबूत करना चाहती है, जो उसकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है.
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