देहरादून: उत्तराखंड में भाजपा सरकार बनने के बाद शिक्षा मंत्री बने अरविंद पांडे ने प्रदेशवासियों को फीस एक्ट लाकर निजी स्कूलों पर लगाम कसने का जो दावा किया था, वह आचार संहिता से ठीक पहले झुनझुने के रूप में सामने आया है. दरअसल, चुनाव से ठीक पहले राज्य सरकार ने प्रदेश में राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण का गठन कर दिया है.
उत्तराखंड में चुनाव से ठीक पहले सरकार ने राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण का गठन किया है. इस प्राधिकरण के जरिए प्रदेश में अभिभावक निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर अपनी शिकायत कर सकते हैं. आदेश के अनुसार विद्यालय शिक्षा के गुणवत्ता संवर्धन एवं आवश्यक मानकों को स्थापित करने के उद्देश्य से राज्य में स्थापित राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में दिए गए निर्देशानुसार राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण के रूप में कार्य किए जाने हेतु नामित किया गया है.
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वैसे यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत किया गया है, लेकिन उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री ने फीस एक्ट को लेकर जो दावा किया था. उस पर प्राधिकरण के जरिए कुछ हद तक अभिभावक राहत ले सकते हैं. इस प्राधिकरण में निजी स्कूलों द्वारा शिक्षकों की संख्या उनके वेतन और तमाम दूसरे मानकों को पूरा करने से जुड़े वाद या शिकायतें की जा सकेंगी. हालांकि उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री प्रदेश में फीस एक्ट लाने का जो वादा पूर्व में कर चुके हैं उसे वह सरकार के 5 साल पूरे होने तक भी पूरा नहीं कर पाए.