देहरादून: सेना की अग्निपथ योजना (agneepath yojana protest) का युवा कई राज्यों में विरोध कर रहे हैं. इससे उत्तराखंड भी अछूता नहीं हैं. उत्तराखंड में भी जगह-जगह युवा सरकार की इस योजना का विरोध कर रहे हैं. अग्निपथ योजना को लेकर देशभर में मच रहे बवाल के बीच उत्तराखंड में कानून व शांति व्यवस्था भंग ना हो, इसको लेकर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने राज्य वासियों से अपील की है. डीजीपी ने कहा कि अग्निपथ स्कीम को खुले दिमाग से समझने की आवश्यकता है.
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार (DGP Ashok Kumar) ने कहा कि इस योजना के कई सकारात्मक पहलू भी हैं. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण 4 साल की सेवा काल के बाद पुलिस, चारधाम पर्यटन व एसडीआरएफ जैसी सेवाओं में प्राथमिकता दी जाएगी. इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) घोषणा कर चुके हैं. लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग गलतफहमी का शिकार हैं और कुछ युवाओं को भड़काया जा रहा है, यह पूरी तरह से गलत है. ऐसे में सभी युवा साथी धैर्य और संयम से सोच समझकर ही कोई कदम उठाएं.
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उपद्रवियों को बख्शा नहीं जाएगा: डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि अगर किसी को फिर भी विरोध करना है तो वह शांति और कानून व्यवस्था के दायरे में करना चाहिए. उपद्रवी लोगों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा. लोकतांत्रिक तरीके से विरोध किया जा सकता है. लेकिन सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना गैरकानूनी है. ऐसा करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि यह देश हमारा है. इसकी सुरक्षा भी हम सभी का दायित्व है. ऐसे में शांति व्यवस्था बनाकर अपनी बात रखी जा सकती है.
क्या है अग्निपथ योजना: देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 14 जून को ‘अग्निपथ’ नाम की योजना शुरू करने की घोषणा की. इसमें चार साल के लिए सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती होगी. योजना के तहत चुने गए युवाओं को ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा और इस साल करीब 46 हजार युवाओं को सहस्त्र बलों में शामिल करने की योजना है. हालांकि केंद्र सरकार की इस घोषणा के बाद से देश के अलग-अलग राज्यों में अग्निपथ योजना के खिलाफ असंतोष नजर आया है.