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पिथौरागढ़: नवजात बच्ची की मौत मामले में DG हेल्थ ने दिए जांच के आदेश

पिथौरागढ़ में गंगोलीहाट विधायक मीना गंगोला की देवरानी दीपा गंगोला को प्रसव पीड़ा हुई. जिसके बाद उसे बेरीनाग सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन अस्पताल में डाक्टर ना होने और इलाज न मिलने से गर्भवती को अल्मोड़ा के लिए रेफर किया गया. जहां महिला ने रास्ते में ही नवजात शिशु को जन्म दिया, लेकिन नवजात की मौके पर ही मौत हो गई. जिस पर डीजी हेल्थ अमिता उप्रेती ने जांच के आदेश दिए हैं.

उत्तराखंड स्वास्थ्य महानिदेशक
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Published : Oct 6, 2019, 5:21 PM IST

Updated : Oct 6, 2019, 5:40 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है. आलम ये है कि सूबे के कई अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं. जहां पर डॉक्टर तैनात भी हैं तो वहां पर दवाइयां और अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. ऐसे में मरीजों को समय पर बेहतर इलाज नहीं पाता है. प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का क्या सूरत-ए-हाल है, इसका खमियाजा बीते दिनों गंगोलीहाट विधायक की गर्भवती देवरानी को भी भुगतना पड़ गया. जहां पर बेरीनाग अस्पताल में डॉक्टर न होने से अल्मोड़ा रेफर किया गया. जिसमें गभर्वती का 108 में ही प्रसव कराया गया, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले नवजात बच्ची की मौत हो गई. वहीं, अब स्वास्थ्य निदेशालय ने जांच के आदेश दिए हैं.

नवजात बच्ची की मौत मामले में DG हेल्थ ने दिए जांच के आदेश.

उत्तराखंड राज्य को बने 18 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी तक मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई है. जिसमें एक स्वास्थ्य सेवा भी शामिल है. सरकार पहाड़ों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने को लेकर लाख दावे करती है, लेकिन धरातल पर सिस्टम और सरकार के सारे दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. राज्य में दोनों ही सरकारों ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया. जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है. मामला तब ज्यादा पेचीदा और हाईलाइट होता है, जब बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की भेंट किसी माननीय के रिश्तेदार चढ़ जाते हैं.

ये भी पढ़ेंः युवा प्रदेश की ऐसी हकीकतः सड़क नहीं होने से 15 किमी तक डोली में लाए मरीज

दरअसल, बीते दिनों पिथौरागढ़ में गंगोलीहाट विधायक मीना गंगोला की देवरानी दीपा गंगोला को प्रसव पीड़ा हुई. जिसके बाद उसे बेरीनाग सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन अस्पताल में डाक्टर ना होने और इलाज न मिलने से गर्भवती को अल्मोड़ा के लिए रेफर किया गया. जहां महिला ने रास्ते में ही नवजात शिशु को जन्म दिया, लेकिन नवजात की मौके पर ही मौत हो गई. जबकि, प्रसूता का निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है.

वहीं, पूरे मामले पर डीजी हेल्थ विभाग को बचाती हुई नजर आ रही है. हालांकि, डीजी हेल्थ अमिता उप्रेती का कहना है कि पूरे मामले की जांच की जाएगी. मामले में दोषी पाए जाने पर जिले के सीएमओ और अस्पताल के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. उनकी मानें तो डॉक्टर की कमी देश के साथ उत्तराखंड में भी चल रही है. साथ ही उन्होंने माना कि उत्तराखंड में डॉक्टरों के होने से काफी दिक्कतें हो रही हैं.

ये भी पढ़ेंः रुड़कीः संदिग्ध बुखार फैलने से गांवों में दहशत, अबतक 16 लोगों की मौत

हालांकि, स्वास्थ्य विभाग संविदा डॉक्टरों को पहाडों पर सेवा देने के लिए भेज रहा है. उन्होंने कहा कि पहाड़ों में डाक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग लोकसेवा आयोग से भी डाक्टरों की भर्ती की मांग कर रहा है. जिसके लिए प्रक्रिया जारी है.

देहरादूनः उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है. आलम ये है कि सूबे के कई अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं. जहां पर डॉक्टर तैनात भी हैं तो वहां पर दवाइयां और अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. ऐसे में मरीजों को समय पर बेहतर इलाज नहीं पाता है. प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का क्या सूरत-ए-हाल है, इसका खमियाजा बीते दिनों गंगोलीहाट विधायक की गर्भवती देवरानी को भी भुगतना पड़ गया. जहां पर बेरीनाग अस्पताल में डॉक्टर न होने से अल्मोड़ा रेफर किया गया. जिसमें गभर्वती का 108 में ही प्रसव कराया गया, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले नवजात बच्ची की मौत हो गई. वहीं, अब स्वास्थ्य निदेशालय ने जांच के आदेश दिए हैं.

नवजात बच्ची की मौत मामले में DG हेल्थ ने दिए जांच के आदेश.

उत्तराखंड राज्य को बने 18 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी तक मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई है. जिसमें एक स्वास्थ्य सेवा भी शामिल है. सरकार पहाड़ों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने को लेकर लाख दावे करती है, लेकिन धरातल पर सिस्टम और सरकार के सारे दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. राज्य में दोनों ही सरकारों ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया. जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है. मामला तब ज्यादा पेचीदा और हाईलाइट होता है, जब बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की भेंट किसी माननीय के रिश्तेदार चढ़ जाते हैं.

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दरअसल, बीते दिनों पिथौरागढ़ में गंगोलीहाट विधायक मीना गंगोला की देवरानी दीपा गंगोला को प्रसव पीड़ा हुई. जिसके बाद उसे बेरीनाग सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन अस्पताल में डाक्टर ना होने और इलाज न मिलने से गर्भवती को अल्मोड़ा के लिए रेफर किया गया. जहां महिला ने रास्ते में ही नवजात शिशु को जन्म दिया, लेकिन नवजात की मौके पर ही मौत हो गई. जबकि, प्रसूता का निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है.

वहीं, पूरे मामले पर डीजी हेल्थ विभाग को बचाती हुई नजर आ रही है. हालांकि, डीजी हेल्थ अमिता उप्रेती का कहना है कि पूरे मामले की जांच की जाएगी. मामले में दोषी पाए जाने पर जिले के सीएमओ और अस्पताल के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. उनकी मानें तो डॉक्टर की कमी देश के साथ उत्तराखंड में भी चल रही है. साथ ही उन्होंने माना कि उत्तराखंड में डॉक्टरों के होने से काफी दिक्कतें हो रही हैं.

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हालांकि, स्वास्थ्य विभाग संविदा डॉक्टरों को पहाडों पर सेवा देने के लिए भेज रहा है. उन्होंने कहा कि पहाड़ों में डाक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग लोकसेवा आयोग से भी डाक्टरों की भर्ती की मांग कर रहा है. जिसके लिए प्रक्रिया जारी है.

Intro:उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से सबसे ज्यादा दिक्कतें सामने आई हैं तो वह स्वास्थ्य और शिक्षा रहा है हमेशा ही राजनीतिक दलों ने स्वास्थ्य और शिक्षा की ओर ध्यान नहीं दिया दरअसल में उत्तराखंड में डॉक्टरों की भारी कमी बनी हुई है वही उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं को  बेहतर करने का दावा सरकार भले ही कर रही हो लेकिन बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं से कोई अछूता नही है  कि उत्तराखंड मे स्वास्थ्य सेवाएं किस तरह से चल रही है इसका खमियाजा पिछले दिनों गंगोलीहाट विधायक की गर्भवती देवरानी को भी भुगतना पड़ गया!बेरीनगर अस्पताल में डॉक्टर न होने से अल्मोड़ा रेफर की गई गभर्वती का 108 एम्बुलेंस में प्रसव कराया गया,लेकिन अल्मोड़ा अस्पताल पहुंचने से पहले नवजात बच्ची की मौत हो गई!वही स्वास्थय निदेशालय ने पुरे मामले जाँच के आदेश देते हुए दोषी पाये जाने पर जिले के सीएमओ  और अस्पताल  भी कार्रवाई की जाएगी!Body:दरअसल मे बीती रोज गुरूवार को  पिथौरागढ़ के बेरीनाग सरकारी अस्पताल मे डाक्टरों के ना होने से गंगोलीहाट विधायक मीना गंगोला की देवरानी दीपा गंगोला को प्रसव पीड़ा होने पर भर्ती कराया गया लेकिन यहां भर्ती कराने पर भारी पड़ गया और गर्भवती महिला को इलाज न मिलने से उसे अल्मोड़ा के लिए रेफर किया गया जहां उसने रास्ते में ही नवजात शिशु को जन्म दिया उसके बाद नवजात शिशु की मौके पर ही मौत हो गई वही प्रसूता का निजी अस्पताल में उपचार चल रहा है! 

Conclusion:वहीं पूरे मामले पर डीजी हेल्थ  विभाग को बचाती  हुई नजर आई हालांकि डीजी ने कहा कि पूरे मामले की जांच की जाऐगी  दोषी पाये जाने पर जिले के सीएमओ  और अस्पताल  भी कार्रवाई की जाएगी!साथ ही वहीं डीजी हेल्थ अमिता उप्ररेती की मानें तो डॉक्टर की कमी देश के साथ.साथ उत्तराखंड में भी चल रही है साथ ही उन्होंने माना कि उत्तराखंड में डॉक्टरों के होने से काफी दिक्कतें हो रही हैं हालांकि स्वास्थ्य विभाग संविदा डॉक्टरों को पहाडों पर सेवा देने के लिए भेज रहा है साथ ही उन्होंने कहा कि पहाड़ों में डाक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग लोकसेवा आयोग से भी डाक्टरों की मांग कर रहा है जिसके लिए प्रक्रिया जारी है!

बाइट-अमिता उपरेती डीजी हेल्थ उत्तराखंड
Last Updated : Oct 6, 2019, 5:40 PM IST
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