विकासनगर: उत्तराखंड में करोड़ों हिंदुओं की आस्था के प्रतीक चार धाम तो हैं ही, पुरातात्विक महत्व के मंदिर-स्मारक भी हैं. ये प्राचीन काल से यहां की धार्मिक विरासत रही हैं. यहां आए दिन देवी-देवताओं को लेकर चमत्कार होते रहते हैं. ऐसा ही एक मामला जौनसार बावर में कालसी तहसील के अंतर्गत कोठा तारली गांव में सामने आया है.
यहां एक किसान को पांच महीने पहले सपने में एक स्थान पर देव मूर्ति होने का एहसास हुआ. ग्रामीणों ने उस जगह खुदाई की तो उन्हें एक प्राचीन देव मूर्ति मिली है. ग्रामीणों का कहना है कि मूर्ति स्थापित करने के लिए छह महीने के भीतर गांव में मंदिर का निर्माण किया जाएगा. वहीं सूचना पर पहुंचे राजस्व निरीक्षक ने कहा कि शिवमूर्ति से मिलती-जुलती इस मूर्ति का पुरातात्विक महत्व पता लगाने के लिए जल्द ही उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट सौंपी जाएगी.
कोठा गांव निवासी टीकम सिंह ने गोमूत्र, गंगाजल और गाय का दूध उस स्थान पर छिड़ककर खुदाई की. खुदाई के दौरान तीन फीट खुदाई के बाद एक शिव मूर्ति जैसी प्राचीन मूर्ति मिली. दरअसल सपना आने के पांच महीने तक टीकम ने इसके बारे में किसी को नहीं बताया. पांच महीने बाद सबसे पहले उसने अपने परिजनों को सपने के बारे में बताया. परिवार की सलाह के बाद गांव वालों से भी सपने को साझा किया गया. इसके बाद उस स्थान पर खुदाई हुई.
टीकम सिंह ने बताया कि उसे सपने में गांव के नजदीक कंडारा खेड़ा में मूर्ति के दबे होने का आभास हुआ. इसके बाद गांव वालों ने टीकम सिंह के साथ मिलकर उस स्थान पर खुदाई की तो तीन फीट की गहराई पर अष्टधातु की मूर्ति मिली. मूर्ति मिलते ही टीकम सिंह ने इसे यमुना नदी में स्नान कराया. इसके बाद मूर्ति को गांव में एक पेड़ पर विराजमान कराया. भगवान शिव की प्रतिमा से मिलती-जुलती ये मूर्ति किस भगवान की है और किस काल की है ये पता नहीं चल सका है.
पढ़ें: लॉकडाउन में हरिद्वार के संतों की मांग, मठ-मंदिरों को भी खोलने का आदेश दे सरकार
पूर्व प्रधान कल सिंह ने बताया कि कोठा गांव में एक भी मंदिर नहीं है. अब इस मूर्ति को ग्रामीणों की सहमति से छह महीने के अंदर गांव में भव्य मंदिर का निर्माण करवा कर स्थापित कराया जाएगा. क्षेत्रीय उप निरीक्षक जयलाल शर्मा ने बताया कि ग्रामीणों के द्वारा मूर्ति की सूचना प्राप्त हुई थी. हमने कोठा गांव जाकर ग्रामीणों से पूछताछ की तो बताया गया कि टीकम सिंह नाम के व्यक्ति को सपने में आभास हुआ था.