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मालदेवता में नदी किनारों को घेरकर बने हैं रिजॉर्ट, रास्ता बनाने को सैलाब ने मचाई तबाही

उत्तराखंड में आपदा हर साल गहरे जख्म दे जाती है. यह आपदा प्राकृतिक होती है या फिर मानवीय हस्तक्षेप का नतीजा. देहरादून के मालदेवता में आई आपदा कई सवाल छोड़ गयी है. मालदेवता देहरादून के प्रमुख पर्यटक स्थलों में अहम स्थान रखता है. यही वजह है कि यहां पर आलीशान रिजॉर्ट और होटलों की भरमार है, जो इस आपदा में लबालब हो गए. ऐसे में सवाल ये भी है कि नदी रिजॉर्ट में घुसी है या रिजॉर्ट को जबरन नदी में घुसाया गया. इसी सवाल को तलाशती ये खास रिपोर्ट देखिए.

Illegal Resort on River Site
आलीशान रिजॉर्ट
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Published : Aug 26, 2022, 2:32 PM IST

Updated : Aug 26, 2022, 4:53 PM IST

देहरादूनः बीती 19 अगस्त की रात को देहरादून और टिहरी जिले के सीमावर्ती क्षेत्र सरखेत में भीषण आपदा आई थी. जिसमें कई लोग काल कवलित हो गए तो कई लोग लापता हो गए. लोग आज भी इस आपदा को याद कर सिहर उठते हैं. यहां पर आपदा के निशान मौजूद हैं, जो उस खौफनाक मंजर को बयां कर रहे हैं. जब सरखेत में बादल फटा तो देहरादून के मालदेवता पर्यटक स्थल में बने तमाम आलीशान रिजॉर्ट नदियों में तब्दील हो गए. ऐसे में कई सवाल उठ रहे हैं कि नदी रिजॉर्ट में घुसी है या रिजॉर्ट को जबरन नदी में घुसाया गया था.

ग्रामीणों के लिए प्राकृतिक तो आलीशान होटलों के लिए मानव निर्मित थी आपदा? देहरादून के पर्यटक स्थल मालदेवता में आई भीषण आपदा का मंजर 20 अगस्त की सुबह दिल दहलाने वाला था. जहां एक तरफ सरखेत गांव के ऊपर बादल फटने से जल सैलाब आ गया. जिसमें घरों में सो रहे लोग जिंदा कई फीट मलबे में दब गए. सैलाब सब कुछ रौंदता हुआ आगे बढ़ता गया. पहले ही नाले खाले उफान पर बह रहे थे तो बांदल नदी ने भी रौद्र रूप ले लिया. जो भी इसकी चपेट में आया, वो धराशायी हो गया. आमतौर पर इसे छोटी और सामान्य नदी माना जाता था, लेकिन उस दिन इसका भयानक रूप देखने को मिला.

नदी किनारों को घेरकर बने रिजॉर्ट.

छोटी नदी समझकर लोग इसके स्वरूप यानी आकार को छोटा करते गए. यानी पिछले कई दशकों से बांदल नदी के किनारे दर्जनों व्यावसायिक होटल और रिजॉर्ट बना लिए गए. जिससे नदी की धारा संकरी और पतली होती गई. इतना ही नहीं लोगों ने नदी तट को भी नहीं बख्शा. यहां पर भी अपना अधिकार समझ निर्माण कर दिए. नदियों से सटे लग्जरी रिजॉर्ट का सबसे ज्यादा खौफनाक मंजर मालदेवता में देखने को मिला. यहां आपदा से पहले तमाम रिजॉर्ट पर्यटकों से भरे हुए थे, लेकिन जैसे ही रात को बादल फटा और नदी का पानी बढ़ा तो पर्यटकों को जान बचाने के लिए बाहर निकालना पड़ा. सुबह होते-होते ये तमाम रिजॉर्ट नदी के पानी से लबालब हो गए.
ये भी पढ़ेंः आपदा में जिंदा दफन हुए लोगों की तलाश में NDRF का सर्च ऑपरेशन जारी, अभीतक 11 शव मिले

सवालों के घेरे में नदी किनारे बने आलीशान रिजॉर्टः देहरादून के मालदेवता में बांदल नदी की चपेट में आए तमाम आलीशान होटलों को लेकर आज कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. जहां एक तरफ ग्रामीण इस प्राकृतिक आपदा के शिकार हुए तो वहीं दूसरी तरफ आलीशान होटलों में आई इस आपदा को मानव निर्मित आपदा करार दिया जा रहा है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि नदी के किनारे वाली जमीन को बीते लंबे समय से खुर्दबुर्द किया गया है. वहां पर कई तरह के व्यावसायिक निर्माण बनाए गए हैं, जो कि मानकों के अनुरूप नहीं हैं.

स्थानीय लोगों का कहना है कि कई साल पहले नदी की धारा जिस जगह पर बहती थी, आज उसी जगह से वापस बहने लगी है. इस दरमियान जिन लोगों ने नदी के हिस्से में निर्माण किया है, उन्हें आज नदी ने ही नष्ट कर दिया है. ऐसे में साफ है कि इंसानों ने नदी की भूमि में अपने आशियाने बनाए हैं. जो भी मालदेवता के आसपास के बड़े रिजॉर्ट (Illegal Resort on River Site) में नुकसान हुआ है, वो नदी का ही अभिशाप बनकर रह गया है.

अवैध निर्माण तो नहीं! नुकसान का आकलन करने से शासन प्रशासन ने हाथ खींचे पीछेः सरखेत गांव में बादल फटने के बाद बांदल नदी के उफान ने रास्ते में आने वाले हर एक भवन को नेस्तनाबूद कर दिया. नदी से बिल्कुल सटकर बने व्यावसायिक निर्माण, जिनमें कई आलीशान रिजॉर्ट भी शामिल हैं, वहां पर भारी नुकसान हुआ है. यह सारे रिजॉर्ट नदी के इतने नजदीक कैसे बनाए गए कि इन पर तमाम सवाल किए जा रहे हैं. वहीं, स्थानीय लोग भी सवाल खड़े कर रहे हैं. यही वजह है कि शासन प्रशासन की ओर से इन रिजॉर्ट में हुए नुकसान को लेकर किसी तरह की कोई मदद नहीं पहुंचाई जा रही है. वहीं, आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत भी व्यावसायिक निर्माणों को इस तरह की मदद देने का प्रावधान नहीं है.
ये भी पढ़ेंः मालदेवता आपदा में हवाई सर्वे से नेताओं ने किया किनारा, ग्राउंड जीरो पर जमीनी हकीकत से हुए रूबरू

पिछले साल रामनगर में भी ऐसे ही थे हालातः नदियों के किनारे होने वाले इस तरह के व्यावसायिक निर्माण हमेशा से ही मुसीबत का सबब बने हैं. ऐसा हमेशा देखने को मिला है कि इन आलीशान रिजॉर्ट में आने वाली मुसीबत एक मानव निर्मित मुसीबत ही है. बीते साल 18 और 19 अक्टूबर को कुमाऊं क्षेत्र में भारी बारिश के चलते आपदा जैसे हालत हो गए थे. रामनगर के कई रिजॉर्ट जो नदियों के बेहद नजदीक बनाए गए थे, वहां पर भी कई पर्यटक फंस गए थे. पर्यटकों से खचाखच भरे इन रिजॉर्ट और आलीशान होटलों में पानी भर गया था. ऐसा ही कुछ हाल इस बार बादल फटने से मालदेवता पर्यटक स्थल पर मौजूद रिजॉर्ट में भी देखने को मिला.

जानें क्या कहते हैं नियम? राहत और बचाव कार्य के बाद होगी कार्रवाईः नियमों की अगर बात की जाए तो प्रशासनिक अधिकारी बताते हैं कि नदी बाढ़ क्षेत्र प्रबंधन अधिनियम यानी रिवर फ्लड एरिया कंट्रोल एक्ट के तहत नदियों के चिन्हित बाढ़ क्षेत्र से 30 मीटर दूर ही किसी तरह का निर्माण किया जा सकता है. इतना ही नहीं उत्तराखंड में गंगा और गंगा की सहायक नदियों को लेकर एनजीटी व सुप्रीम कोर्ट की भी गाइडलाइन है. जिनमें कई जगहों पर निर्माण की दूरी 200 मीटर तक रखी गई है. इसके अलावा अलग-अलग जगहों पर टाउन प्लानर और मास्टरमाइंड में भी नदियों से दूर होने वाले व्यावसायिक व आवासीय निर्माण को लेकर परिभाषाएं दी गई हैं.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में बार बार फट रहे बादल, सरकार चिंतित, वजह जानने में जुटे वैज्ञानिक

वहीं, कमिश्नर गढ़वाल सुशील कुमार (Garhwal Commissioner Sushil Kumar) ने बताया कि कई जगहों पर उच्च न्यायालय की ओर से भी सीधे डायरेक्शन दिए गए हैं कि नदी श्रेणी भूमि से दूर निर्माण कार्य होने चाहिए. इसके बावजूद भी अगर नदी क्षेत्र में निर्माण कार्य हुए हैं तो उसको लेकर कार्रवाई की जाएगी. खासकर मालदेवता पर्यटक स्थल और बांदल नदी के किनारे मौजूद होटलों को लेकर शासन प्रशासन का कहना है कि जल्द ही सर्वे किया जाएगा.

वहीं, आवासीय और ग्रामीण क्षेत्रों में आपदा राहत कार्य का काम पूरा होने के बाद इन व्यावसायिक निर्माण को लेकर सर्वे किया जाएगा. इसके लिए एक पूरी ड्राइव चलाई जाएगी. जिसमें देहरादून और आसपास नदी क्षेत्र में बनाए गए व्यावसायिक निर्माण को लेकर सर्वे किया जाएगा. यदि कोई गलत पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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देहरादूनः बीती 19 अगस्त की रात को देहरादून और टिहरी जिले के सीमावर्ती क्षेत्र सरखेत में भीषण आपदा आई थी. जिसमें कई लोग काल कवलित हो गए तो कई लोग लापता हो गए. लोग आज भी इस आपदा को याद कर सिहर उठते हैं. यहां पर आपदा के निशान मौजूद हैं, जो उस खौफनाक मंजर को बयां कर रहे हैं. जब सरखेत में बादल फटा तो देहरादून के मालदेवता पर्यटक स्थल में बने तमाम आलीशान रिजॉर्ट नदियों में तब्दील हो गए. ऐसे में कई सवाल उठ रहे हैं कि नदी रिजॉर्ट में घुसी है या रिजॉर्ट को जबरन नदी में घुसाया गया था.

ग्रामीणों के लिए प्राकृतिक तो आलीशान होटलों के लिए मानव निर्मित थी आपदा? देहरादून के पर्यटक स्थल मालदेवता में आई भीषण आपदा का मंजर 20 अगस्त की सुबह दिल दहलाने वाला था. जहां एक तरफ सरखेत गांव के ऊपर बादल फटने से जल सैलाब आ गया. जिसमें घरों में सो रहे लोग जिंदा कई फीट मलबे में दब गए. सैलाब सब कुछ रौंदता हुआ आगे बढ़ता गया. पहले ही नाले खाले उफान पर बह रहे थे तो बांदल नदी ने भी रौद्र रूप ले लिया. जो भी इसकी चपेट में आया, वो धराशायी हो गया. आमतौर पर इसे छोटी और सामान्य नदी माना जाता था, लेकिन उस दिन इसका भयानक रूप देखने को मिला.

नदी किनारों को घेरकर बने रिजॉर्ट.

छोटी नदी समझकर लोग इसके स्वरूप यानी आकार को छोटा करते गए. यानी पिछले कई दशकों से बांदल नदी के किनारे दर्जनों व्यावसायिक होटल और रिजॉर्ट बना लिए गए. जिससे नदी की धारा संकरी और पतली होती गई. इतना ही नहीं लोगों ने नदी तट को भी नहीं बख्शा. यहां पर भी अपना अधिकार समझ निर्माण कर दिए. नदियों से सटे लग्जरी रिजॉर्ट का सबसे ज्यादा खौफनाक मंजर मालदेवता में देखने को मिला. यहां आपदा से पहले तमाम रिजॉर्ट पर्यटकों से भरे हुए थे, लेकिन जैसे ही रात को बादल फटा और नदी का पानी बढ़ा तो पर्यटकों को जान बचाने के लिए बाहर निकालना पड़ा. सुबह होते-होते ये तमाम रिजॉर्ट नदी के पानी से लबालब हो गए.
ये भी पढ़ेंः आपदा में जिंदा दफन हुए लोगों की तलाश में NDRF का सर्च ऑपरेशन जारी, अभीतक 11 शव मिले

सवालों के घेरे में नदी किनारे बने आलीशान रिजॉर्टः देहरादून के मालदेवता में बांदल नदी की चपेट में आए तमाम आलीशान होटलों को लेकर आज कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. जहां एक तरफ ग्रामीण इस प्राकृतिक आपदा के शिकार हुए तो वहीं दूसरी तरफ आलीशान होटलों में आई इस आपदा को मानव निर्मित आपदा करार दिया जा रहा है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि नदी के किनारे वाली जमीन को बीते लंबे समय से खुर्दबुर्द किया गया है. वहां पर कई तरह के व्यावसायिक निर्माण बनाए गए हैं, जो कि मानकों के अनुरूप नहीं हैं.

स्थानीय लोगों का कहना है कि कई साल पहले नदी की धारा जिस जगह पर बहती थी, आज उसी जगह से वापस बहने लगी है. इस दरमियान जिन लोगों ने नदी के हिस्से में निर्माण किया है, उन्हें आज नदी ने ही नष्ट कर दिया है. ऐसे में साफ है कि इंसानों ने नदी की भूमि में अपने आशियाने बनाए हैं. जो भी मालदेवता के आसपास के बड़े रिजॉर्ट (Illegal Resort on River Site) में नुकसान हुआ है, वो नदी का ही अभिशाप बनकर रह गया है.

अवैध निर्माण तो नहीं! नुकसान का आकलन करने से शासन प्रशासन ने हाथ खींचे पीछेः सरखेत गांव में बादल फटने के बाद बांदल नदी के उफान ने रास्ते में आने वाले हर एक भवन को नेस्तनाबूद कर दिया. नदी से बिल्कुल सटकर बने व्यावसायिक निर्माण, जिनमें कई आलीशान रिजॉर्ट भी शामिल हैं, वहां पर भारी नुकसान हुआ है. यह सारे रिजॉर्ट नदी के इतने नजदीक कैसे बनाए गए कि इन पर तमाम सवाल किए जा रहे हैं. वहीं, स्थानीय लोग भी सवाल खड़े कर रहे हैं. यही वजह है कि शासन प्रशासन की ओर से इन रिजॉर्ट में हुए नुकसान को लेकर किसी तरह की कोई मदद नहीं पहुंचाई जा रही है. वहीं, आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत भी व्यावसायिक निर्माणों को इस तरह की मदद देने का प्रावधान नहीं है.
ये भी पढ़ेंः मालदेवता आपदा में हवाई सर्वे से नेताओं ने किया किनारा, ग्राउंड जीरो पर जमीनी हकीकत से हुए रूबरू

पिछले साल रामनगर में भी ऐसे ही थे हालातः नदियों के किनारे होने वाले इस तरह के व्यावसायिक निर्माण हमेशा से ही मुसीबत का सबब बने हैं. ऐसा हमेशा देखने को मिला है कि इन आलीशान रिजॉर्ट में आने वाली मुसीबत एक मानव निर्मित मुसीबत ही है. बीते साल 18 और 19 अक्टूबर को कुमाऊं क्षेत्र में भारी बारिश के चलते आपदा जैसे हालत हो गए थे. रामनगर के कई रिजॉर्ट जो नदियों के बेहद नजदीक बनाए गए थे, वहां पर भी कई पर्यटक फंस गए थे. पर्यटकों से खचाखच भरे इन रिजॉर्ट और आलीशान होटलों में पानी भर गया था. ऐसा ही कुछ हाल इस बार बादल फटने से मालदेवता पर्यटक स्थल पर मौजूद रिजॉर्ट में भी देखने को मिला.

जानें क्या कहते हैं नियम? राहत और बचाव कार्य के बाद होगी कार्रवाईः नियमों की अगर बात की जाए तो प्रशासनिक अधिकारी बताते हैं कि नदी बाढ़ क्षेत्र प्रबंधन अधिनियम यानी रिवर फ्लड एरिया कंट्रोल एक्ट के तहत नदियों के चिन्हित बाढ़ क्षेत्र से 30 मीटर दूर ही किसी तरह का निर्माण किया जा सकता है. इतना ही नहीं उत्तराखंड में गंगा और गंगा की सहायक नदियों को लेकर एनजीटी व सुप्रीम कोर्ट की भी गाइडलाइन है. जिनमें कई जगहों पर निर्माण की दूरी 200 मीटर तक रखी गई है. इसके अलावा अलग-अलग जगहों पर टाउन प्लानर और मास्टरमाइंड में भी नदियों से दूर होने वाले व्यावसायिक व आवासीय निर्माण को लेकर परिभाषाएं दी गई हैं.
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वहीं, कमिश्नर गढ़वाल सुशील कुमार (Garhwal Commissioner Sushil Kumar) ने बताया कि कई जगहों पर उच्च न्यायालय की ओर से भी सीधे डायरेक्शन दिए गए हैं कि नदी श्रेणी भूमि से दूर निर्माण कार्य होने चाहिए. इसके बावजूद भी अगर नदी क्षेत्र में निर्माण कार्य हुए हैं तो उसको लेकर कार्रवाई की जाएगी. खासकर मालदेवता पर्यटक स्थल और बांदल नदी के किनारे मौजूद होटलों को लेकर शासन प्रशासन का कहना है कि जल्द ही सर्वे किया जाएगा.

वहीं, आवासीय और ग्रामीण क्षेत्रों में आपदा राहत कार्य का काम पूरा होने के बाद इन व्यावसायिक निर्माण को लेकर सर्वे किया जाएगा. इसके लिए एक पूरी ड्राइव चलाई जाएगी. जिसमें देहरादून और आसपास नदी क्षेत्र में बनाए गए व्यावसायिक निर्माण को लेकर सर्वे किया जाएगा. यदि कोई गलत पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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Last Updated : Aug 26, 2022, 4:53 PM IST
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