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पक्ष और विपक्ष के बीच झूल रहा 'गैरसैंण', कब साकार होगा 'सपना' कोई नहीं जानता

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Published : Jul 22, 2019, 5:28 PM IST

गैरसैंण को राजधानी बनाने का मुद्दा पिछले 18 सालों से अधर में लटका हुआ है. हर चुनाव में राजनीतिक पार्टियां गैरसैंण को चुनावी नारों की तरह इस्तेमाल करती आ रही हैं. लेकिन अबतक गैरसैंण पर नीति-नियंताओं ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.

गैरसैंण स्थित विधानसभा

देहरादून: उत्तरप्रदेश से अलग हुए उत्तराखंड राज्य को 18 साल हो चुके हैं. लेकिन राज्य अबतक अपनी स्थाई राजधानी घोषित नहीं कर पाया है. उत्तराखंड की सत्ता पर बारी-बारी से काबिज रही बीजेपी और कांग्रेस लगातार गैरसैंण को राजधानी बनाने का दावा करती रही. लेकिन समय के साथ-साथ उनके सभी दावे हवाई साबित हुए.

पक्ष और विपक्ष के बीच झूल रहा गैरसैंण का मुद्दा

बता दें कि 9 नवंबर 2000 में उत्तराखंड को अलग राज्य का दर्जा मिलने के साथ ही राज्य के भीतर गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग उठने लगी. गैरसैंण को राजधानी बनाने के लिए सैकड़ों बार धरने प्रदर्शन हो भी हुए. लेकिन सत्ता पर काबिज रही पार्टियों ने गैरसैंण पर कभी कोई ठोस फैसला नहीं लिया. पार्टियां जब सत्ता में रहती हैं तो गैरसैंण को ठंडे बस्ते में डाल देती हैं और जब विपक्ष में आती तो गैरसैंण का झंडा बुलंद कर देती हैं.

पढे़ं- शिक्षक-पुस्तक आंदोलन: छात्रों ने पोस्टर पेंटिंग के साथ किया कविता पाठ, सो रहे जिम्मेदार

राज्य की स्थायी राजधानी के सवाल पर कांग्रेस नेता राजेन्द्र शाह का कहना है कि गैरसैंण कोई नारा नहीं, बल्कि उत्तराखंड राज्य बनाने को लेकर शहीद हुए शहीदों का सपना है. शहीदों के सपनों के आगे कोई भी अड़चन डालेगा तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि तत्काल प्रभाव से गैरसैंण को उत्तराखंड राज्य की स्थायी राजधानी घोषित की जाए.

वहीं बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने बताया कि कांग्रेस गैरसैंण के मुद्दे पर राजनीति कर रही है. कांग्रेस की नीयत गैरसैंण को लेकर कभी भी साफ नहीं रही है. उन्होंने कहा कि बीजेपी गैरसैंण को लेकर पूरी तरह से गंभीर है. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में भी गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने की बात कही है. जिसका कार्य शुरू हो चुका है और यही वजह है कि बीजेपी ने अपना बजट सत्र गैरसैंण में किया था. इसके साथ ही देवेंद्र भसीन ने बताया कि सरकार गैरसैंण को राज्य के मुख्य केंद्र के रूप में बनाना चाहती है. जिसमें गैरसैंण को पर्यटन और प्रशासनिक तौर पर स्थापित करने की बात हो रही है.

देहरादून: उत्तरप्रदेश से अलग हुए उत्तराखंड राज्य को 18 साल हो चुके हैं. लेकिन राज्य अबतक अपनी स्थाई राजधानी घोषित नहीं कर पाया है. उत्तराखंड की सत्ता पर बारी-बारी से काबिज रही बीजेपी और कांग्रेस लगातार गैरसैंण को राजधानी बनाने का दावा करती रही. लेकिन समय के साथ-साथ उनके सभी दावे हवाई साबित हुए.

पक्ष और विपक्ष के बीच झूल रहा गैरसैंण का मुद्दा

बता दें कि 9 नवंबर 2000 में उत्तराखंड को अलग राज्य का दर्जा मिलने के साथ ही राज्य के भीतर गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग उठने लगी. गैरसैंण को राजधानी बनाने के लिए सैकड़ों बार धरने प्रदर्शन हो भी हुए. लेकिन सत्ता पर काबिज रही पार्टियों ने गैरसैंण पर कभी कोई ठोस फैसला नहीं लिया. पार्टियां जब सत्ता में रहती हैं तो गैरसैंण को ठंडे बस्ते में डाल देती हैं और जब विपक्ष में आती तो गैरसैंण का झंडा बुलंद कर देती हैं.

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राज्य की स्थायी राजधानी के सवाल पर कांग्रेस नेता राजेन्द्र शाह का कहना है कि गैरसैंण कोई नारा नहीं, बल्कि उत्तराखंड राज्य बनाने को लेकर शहीद हुए शहीदों का सपना है. शहीदों के सपनों के आगे कोई भी अड़चन डालेगा तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि तत्काल प्रभाव से गैरसैंण को उत्तराखंड राज्य की स्थायी राजधानी घोषित की जाए.

वहीं बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने बताया कि कांग्रेस गैरसैंण के मुद्दे पर राजनीति कर रही है. कांग्रेस की नीयत गैरसैंण को लेकर कभी भी साफ नहीं रही है. उन्होंने कहा कि बीजेपी गैरसैंण को लेकर पूरी तरह से गंभीर है. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में भी गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने की बात कही है. जिसका कार्य शुरू हो चुका है और यही वजह है कि बीजेपी ने अपना बजट सत्र गैरसैंण में किया था. इसके साथ ही देवेंद्र भसीन ने बताया कि सरकार गैरसैंण को राज्य के मुख्य केंद्र के रूप में बनाना चाहती है. जिसमें गैरसैंण को पर्यटन और प्रशासनिक तौर पर स्थापित करने की बात हो रही है.

Intro:उत्तराखंड राज्य बने 19 साल होने को है लेकिन अभी तक उत्तराखंड राज्य अपनी स्थाई राजधानी घोषित नहीं कर पाई है। उत्तराखंड की सत्ता पर बारी बारी से काबिज रही भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही पार्टियों ने गैरसैंण को राजधानी बनाने को लेकर तो लाख दावे करती रही लेकिन अभी तक उत्तराखंड राज्य को अपनी स्थायी राजधानी नही मिल पाई है। तो वही अब प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टियां आरोप प्रत्यारोप कर सियाशी राजनीति चमकाने में लगे है। ऐसे में उत्तराखंड राज्य को कब स्थायी राजधानी मिल पाएगी, ये एक बड़ा सवाल है?


Body:आपको बात दे कि साल 2000 में उत्तराखंड को राज्य को दर्जा मिलने के साथ ही राज्य के भीतर गैरसैंण को राजधानी बनाने की उठने लगी थीं। और प्रदेश के भीतर गैरसैंण को राजधानी बनाने को लेकर सैकड़ो बार धरने प्रदर्शन हो चुके है लेकिन सत्ता पर काबिज रही पार्टियों ने राजधानी को लेकर कोई भी पहल नही किया। जब जब सत्ता में रहे तब तब राजधानी के मसले को टालते रहे और विपक्ष में आने के बाद फिर राजधानी बनाने को लेकर हल्ला बोलते रहें। 


राज्य की स्थायी राजधानी के सवाल पर कांग्रेस नेता राजेन्द्र शाह ने बताया कि गैरसैण उत्तराखंड के शहीदों की आत्मा है और गैरसैंण कोई नारा नहीं है बल्कि उत्तराखंड राज्य बनाने को लेकर शहीद हुए शहीदों का नारा है। शहीदों के आगे और शहीदों के नारों के आगे कोई भी अड़चन डालेगा तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। साथ ही बताया कि पार्टीयां आती रहती है जाती रहती हैं नेता आते रहते हैं जाते रहते हैं। और अगर एक बार लोगो का दिमाग खराब हो गया तो ये सभी नेता भागते हुए फिरेंगे। इसलिए तत्काल प्रभाव से गैरसैंण को उत्तराखंड राज्य की स्थायी राजधानी घोषित किया जाए। साथ ही भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि जनता को दोहरे चरित्र और दोगले नेताओ से प्रदेश की जनता को सावधान रहने की जरूरत है। और इन दोगले नेताओ को सबक सिखाने की आवश्यकता है। 

बाइट - राजेन्द्र शाह, नेता, कांग्रेस


वही भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने बताया कि बस कॉन्ग्रेस इस पर राजनीति कर रही है और कांग्रेस की नीयत ग़ैरसैंड को लेकर कभी भी साफ नहीं रही है। लेकिन भाजपा गैरसैण को लेकर पूरी तरह गंभीर है और इसलिए भाजपा ने संकल्प पत्र में कहा था कि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया जाएगा, जिसका कार्य प्रारंभ हो चुका है और यही वजह है कि भाजपा ने अपने बजट सत्र वहां किया था। साथ ही भसीन ने बताया कि सरकार गैरसैंण को मुख्यकेंद्र के रूप में बनाएगी, जिसमे गैरसैंण को पर्यटन, प्रशासनिक दृष्टिकोण से और अवस्थापना की भी बात हो रही है। इसके साथ अन्य सुविधाओं और विकास कार्यो होने की दिशा में काम हो रही है। साथ ही भसीन ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए बताया कि पर दो कांग्रेस ने उत्तराखंड का विरोध किया और जब कैटसेन कुछ करने का नंबर आया तो उन्होंने वहां भ्रष्टाचार किया और तीन-तीन राजधानी को लेकर जनता को भ्रमित करने का काम किया, और जनता इनकी सच्चाई को जानती है।

बाइट - देवेंद्र भसीन, प्रदेश मीडिया प्रभारी, भाजपा


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