देहरादून: उत्तरप्रदेश से अलग हुए उत्तराखंड राज्य को 18 साल हो चुके हैं. लेकिन राज्य अबतक अपनी स्थाई राजधानी घोषित नहीं कर पाया है. उत्तराखंड की सत्ता पर बारी-बारी से काबिज रही बीजेपी और कांग्रेस लगातार गैरसैंण को राजधानी बनाने का दावा करती रही. लेकिन समय के साथ-साथ उनके सभी दावे हवाई साबित हुए.
बता दें कि 9 नवंबर 2000 में उत्तराखंड को अलग राज्य का दर्जा मिलने के साथ ही राज्य के भीतर गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग उठने लगी. गैरसैंण को राजधानी बनाने के लिए सैकड़ों बार धरने प्रदर्शन हो भी हुए. लेकिन सत्ता पर काबिज रही पार्टियों ने गैरसैंण पर कभी कोई ठोस फैसला नहीं लिया. पार्टियां जब सत्ता में रहती हैं तो गैरसैंण को ठंडे बस्ते में डाल देती हैं और जब विपक्ष में आती तो गैरसैंण का झंडा बुलंद कर देती हैं.
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राज्य की स्थायी राजधानी के सवाल पर कांग्रेस नेता राजेन्द्र शाह का कहना है कि गैरसैंण कोई नारा नहीं, बल्कि उत्तराखंड राज्य बनाने को लेकर शहीद हुए शहीदों का सपना है. शहीदों के सपनों के आगे कोई भी अड़चन डालेगा तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि तत्काल प्रभाव से गैरसैंण को उत्तराखंड राज्य की स्थायी राजधानी घोषित की जाए.
वहीं बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने बताया कि कांग्रेस गैरसैंण के मुद्दे पर राजनीति कर रही है. कांग्रेस की नीयत गैरसैंण को लेकर कभी भी साफ नहीं रही है. उन्होंने कहा कि बीजेपी गैरसैंण को लेकर पूरी तरह से गंभीर है. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में भी गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने की बात कही है. जिसका कार्य शुरू हो चुका है और यही वजह है कि बीजेपी ने अपना बजट सत्र गैरसैंण में किया था. इसके साथ ही देवेंद्र भसीन ने बताया कि सरकार गैरसैंण को राज्य के मुख्य केंद्र के रूप में बनाना चाहती है. जिसमें गैरसैंण को पर्यटन और प्रशासनिक तौर पर स्थापित करने की बात हो रही है.