देहरादून: अनलॉक में धीरे-धीरे सरकार के सभी विभागों ने अपने विकास कार्यों पर रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है, लेकिन देहरादून नगर निगम के कुछ विकास कार्य ऐसे है, जो सालों से लटके हुए है. जिन का काम अभी भी शुरू नहीं हो पाया है. हम बात कर रहे नगर निगम के मिथेन-गैस ऊर्जा प्लांट की.
साल 2014 में देहरादून नगर निगम ने एक योजना बनाई थी जिसके तहत शहर की सभी डेयरियों से गोबर उठाकर उसे ब्राह्मणवाला में एक प्लांट में एकत्र किया जाएगा, जहां पर मिथेन-गैस बनाई जाएगी. इस ऊजा प्लांट के लिए सरकार की मंजूरी भी मिल चुकी है, लेकिन अब नगर निगम के सामने नई समस्या खड़ी हो गई है. निगम को शहर से गोबर उठाने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे है.
इस बारे में नगर निगम देहरादून के मेयर सुनिय उनियाल गामा ने कहा कि अब वे इसके लिए दूसरा विकल्प तलाश रहे हैं. इस प्रोजेक्ट को अब ओएनजीसी और दरबार साहिब सहित जिंदल जैसे बड़े ग्रुप को पीपीपी मोड देने की तैयारी कर रहे है.
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नगर निगम ने बीते दिनों शासन में नई डीपीआर भेजी थी, जिसमें प्लांट के निर्माण पर आने वाला पूरा खर्च खुद वहन करने की बात कही. जिसे शासन ने मंजूरी दे दी. अब इसमें ओएनजीसी दस करोड़ रुपये देने को तैयार है. इसके अलावा नालियों में बहाने के बजाए डेयरी संचालक गोबर नगर निगम को देगे और निगम की गाड़ियां हर डेयरी डेयरियों पर गोबार उठाने का काम करेंगी.
संचालकों से यह भी कहा गया कि गोबर उठाने के लिए हर महीने प्रति पशु निगम को तीन सौ रुपये देने होंगे. बता दें कि 16 सितंबर 2014 को तत्कालीन मेयर विनोद चमोली ने ऊर्चा प्लांट प्रस्ताव तैयार कर डीपीआर बनाने के आदेश दिए थे. जिसका 25 फीसदी बजट शासन देगा और बाकी का नगर निगम खुद इंतजाम करेगा.