देहरादूनः उत्तराखंड में 25 जून के बाद कभी भी मॉनसून दस्तक दे सकता है. ऐसे में सरकार और प्रशासन अभी से तैयारियों में जुट गए हैं. जिससे आम जनता को बरसात के दिनों के जलभराव की समस्या (water logging problem in dehradun) से निजात मिल सके. देहरादून नगर निगम के तहत 40 से ज्यादा बड़े नाले हैं, जो बरसात के दिनों में चोक हो जाते हैं. ऐसे में बारिश का गंदा पानी कॉलोनियों में घुस जाता है. जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लिहाजा, दून नगर निगम की अपनी तैयारियों पुख्ता करने में जुटा है.
देहरादून नगर निगम दावा कर रहा है कि मॉनसून आने से पहले शहर के 95 प्रतिशत मुख्य नालों की सफाई की जा चुकी है. साथ ही रिस्पना और बिंदाल नदियों में काफी हद तक सफाई खत्म हो चुकी है. वहीं, 25 जून तक शहर के सभी नदी-नालों की सफाई का काम निपटा दिया जाएगा. साथ ही इस साल नगर निगम की टीम ने मुख्य उन नालों को चिन्हित किया है, जिनके कारण कॉलोनियों में पानी भरता है. बरसात के दिनों में अगर किसी कॉलोनी में आपदा जैसी स्थिति आती है तो नगर निगम परिसर में आपदा कंट्रोल रूम बनाया गया है. जिसमें 24 घंटे कर्मचारियों की ड्यूटी तैनात की गई है. साथ ही बार नोडल अधिकारी को भी नियुक्त किया जाएगा.
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नगर आयुक्त मनुज गोयल ने बताया कि नगर निगम की ओर से शहर के सभी प्रमुख नदी नालों की सफाई गतिमान है, करीब 95 प्रतिशत नालों की सफाई हो चुकी है और हमारा प्रयास रहेगा कि अगले चार-पांच दिनों में बाकी बचे नदी नालों की सफाई पूरी की जाए. इसके साथ ही आपदा का 24x7 कंट्रोल रूम भी स्थापित किया गया है. आपदा को लेकर नगर निगम में बैठक भी की गई थी. एक क्विक रिस्पांस टीम भी बनाई गई है. इसके माध्यम से हमारा प्रयास रहेगा कि जो भी कोई इमरजेंसी कॉल आती है तो उसका समाधान करने के लिए जल्द से जल्द कार्रवाई कर सकें.
उन्होंने बताया कि शहर के वो नाले और नदी जिनके कारण कॉलोनियों में पानी भरने की समस्या आती है, ऐसे नदी-नालों को चिन्हित करते हुए सफाई प्राथमिकता से कराई गई है. कुछ नालों की सफाई पूरी हो चुकी है और कुछ अंतिम चरणों में है, जो जल्द पूरी हो जाएगी. इसके अलावा जहां पर पानी की निकासी नहीं है और लोगों ने घर बना लिए हैं. ऐसे लोगों के लिए अस्थाई व्यवस्था क्या हो सकती है? उसका भी प्रयास नगर निगम कर रहा है. साथ ही इस बार निगम के पास जितने भी पम्पिंग हैं, इन्हें सभी जोनल ऑफिस में दिए जाएंगे, ताकि रिस्पॉन्स समय में सुधार हो सके.
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वहीं, शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल भी नगर निगम और नगर निकाय को निर्देशित कर चुके हैं कि बरसात के मौसम को देखते हुए सभी नालों की साफ-सफाई मॉनसून आने से पहले पूरा किया जाए. क्योंकि, बरसात के मौसम में नालों का गंदा पानी सड़कों पर बहता है. जिससे आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. साथ ही अगर कॉलोनियों में आपदा जैसी स्थिति आती है तो नगर आयुक्त ही जिम्मेदार होंगे.
हर साल नगर निगम की ओर से बरसात से पहले नदी नालों की सफाई को लेकर दावा किया जाता है, लेकिन जब मॉनसून से भारी बारिश होती है तो शहर की कई कॉलोनियों ऐसी हैं, जो जलमग्न हो जाती हैं और कॉलोनीवासियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अब देखने वाली बात रहेगी कि मॉनसून से पहले नगर निगम की ओर से की गई तैयारी कितनी सफल होती है या फिर मॉनसून की बारिश होने के बाद निगम के सभी सभी दावे खोखले साबित होंगे.