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यादों में मेजर विभूतिः जिस दिन था जन्मदिन उसी दिन आई शहादत की खबर

शहीद  मेजर विभूति ढौंडियाल  17 सितंबर 2011 को कमीशन पास करके भारतीय सेना का हिस्सा बने थे. विभूति ढौंडियाल ने सेंट जोसेफ स्कूल से पढ़ाई की थी और आर्मी जॉइन करने से पहले डीएवी कॉलेज से बीएससी पूरी की थी. मेजर विभूति का परिवार मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के ढ़ौंड गांव का रहने वाला है.

शहीद की अंतिम विदाई में उमड़ा जनसैलाब.
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Published : Feb 19, 2019, 2:35 PM IST

देहरादून: पुलवामा में सुरक्षा बल और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में शहीद हुए मेजर विभूति ढौंडियाल अपने जन्मदिन के दिन ही शहीद हो गए. जिस दिन शहीद हुए उस दिन उनका 35वां जन्मदिन था. शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल का जन्म 18 फरवरी 1985 को हुआ था. इस बात की जानकारी उनकी मां ने ईटीवी भारत को दी. इस पल को याद कर मां बिलख जाती हैं और अपने कलेजे को टुकड़ों की अंतिम विदाई पर रो-रोकर आंखें पथरा जाती हैं.

शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल 17 सितंबर 2011 को कमीशन पास करके भारतीय सेना का हिस्सा बने थे. विभूति ढौंडियाल ने सेंट जोसेफ स्कूल से पढ़ाई की थी और आर्मी जॉइन करने से पहले डीएवी कॉलेज से बीएससी पूरी की थी. मेजर विभूति का परिवार मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के ढ़ौंड गांव का रहने वाला है. दादा 1952 में देहरादून आ गए थे, विभूति के दादा और पिता दोनों ही एयरफोर्स के सीडीए दफ्तर से रिटायर हुए थे.

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पढ़ें-नगर निगम में लोगों को नहीं मिल रही है मूल भूत सुविधाएं, अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं लोग


बता दें कि रविवार आधी रात सेना और पुलिस को सूचना मिली थी कि पुलवामा आतंकी हमले का अंजाम देने वाले दो-तीन आतंकवादी पुलवामा के पिलगिन इलाके में छुपे हुए है. सेना ने आधी रात को सर्च ऑपरेशन चलाया और आतंकियों को घेर लिया. सोमवार सुबह तक सुरक्षा बलों और आतंवादियों के बीच मुठभेड़ चलती रही. इस मुठभेड़ में सोमवार सुबह 55 राष्ट्रीय रायफल्स के चार जवान शहीद हो गए थे. जिसमें से एक देहरादून के मेजर विभूति ढौंडियाल थे. शहीद मेजर तीन बहनों के इकलौते भाई थे. तीनों बहनें उनसे बड़ी हैं.


देहरादून: पुलवामा में सुरक्षा बल और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में शहीद हुए मेजर विभूति ढौंडियाल अपने जन्मदिन के दिन ही शहीद हो गए. जिस दिन शहीद हुए उस दिन उनका 35वां जन्मदिन था. शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल का जन्म 18 फरवरी 1985 को हुआ था. इस बात की जानकारी उनकी मां ने ईटीवी भारत को दी. इस पल को याद कर मां बिलख जाती हैं और अपने कलेजे को टुकड़ों की अंतिम विदाई पर रो-रोकर आंखें पथरा जाती हैं.

शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल 17 सितंबर 2011 को कमीशन पास करके भारतीय सेना का हिस्सा बने थे. विभूति ढौंडियाल ने सेंट जोसेफ स्कूल से पढ़ाई की थी और आर्मी जॉइन करने से पहले डीएवी कॉलेज से बीएससी पूरी की थी. मेजर विभूति का परिवार मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के ढ़ौंड गांव का रहने वाला है. दादा 1952 में देहरादून आ गए थे, विभूति के दादा और पिता दोनों ही एयरफोर्स के सीडीए दफ्तर से रिटायर हुए थे.

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बता दें कि रविवार आधी रात सेना और पुलिस को सूचना मिली थी कि पुलवामा आतंकी हमले का अंजाम देने वाले दो-तीन आतंकवादी पुलवामा के पिलगिन इलाके में छुपे हुए है. सेना ने आधी रात को सर्च ऑपरेशन चलाया और आतंकियों को घेर लिया. सोमवार सुबह तक सुरक्षा बलों और आतंवादियों के बीच मुठभेड़ चलती रही. इस मुठभेड़ में सोमवार सुबह 55 राष्ट्रीय रायफल्स के चार जवान शहीद हो गए थे. जिसमें से एक देहरादून के मेजर विभूति ढौंडियाल थे. शहीद मेजर तीन बहनों के इकलौते भाई थे. तीनों बहनें उनसे बड़ी हैं.


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यादों में मेजर विभूतिः जिस दिन था जन्मदिन उसी दिन आई शहादत की खबर

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शहीद  मेजर विभूति ढौंडियाल  17 सितंबर 2011 को कमीशन पास करके भारतीय सेना का हिस्सा बने थे. विभूति ढौंडियाल ने सेंट जोसेफ स्कूल से पढ़ाई की थी और आर्मी जॉइन करने से पहले डीएवी कॉलेज से बीएससी पूरी की थी. मेजर विभूति का परिवार मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के ढ़ौंड गांव का रहने वाला है. दादा 1952 में देहरादून आ गए थे, विभूति के दादा और पिता दोनों ही एयरफोर्स के सीडीए दफ्तर से रिटायर हुए थे.

बता दें कि रविवार आधी रात सेना और पुलिस को सूचना मिली थी कि पुलवामा आतंकी हमले का अंजाम देने वाले दो-तीन आतंकवादी पुलवामा के पिलगिन इलाके में छुपे हुए है. सेना ने आधी रात को सर्च ऑपरेशन चलाया और आतंकियों को घेर लिया. सोमवार सुबह तक सुरक्षा बलों और आतंवादियों के बीच मुठभेड़ चलती रही. इस मुठभेड़ में सोमवार सुबह 55 राष्ट्रीय रायफल्स के चार जवान शहीद हो गए थे. जिसमें से एक देहरादून के मेजर विभूति ढौंडियाल थे. शहीद मेजर तीन बहनों के इकलौते भाई थे. तीनों बहनें उनसे बड़ी हैं. 

 


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