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World Blood Donor Day: ब्लड डोनेट करने में देहरादून आगे, चमोली सबसे पीछे

राज्य में रक्तदान करने में देहरादून सबसे आगे है. सिर्फ देहरादून में 63,811 यूनिट ब्लड डोनेट किया गया है, जबकि चमोली रक्तदान में सबसे पीछे हैं.

विश्व मतदाता दिवस
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Published : Jun 14, 2019, 12:07 PM IST

देहरादून: रक्त दान महादान! यह शब्द हम सभी ने सुना और पढ़ा है. हम में से कई लोगों ने कभी न कभी किसी जरूरतमंद के लिए खून दान किया होगा. हर पल ऐसे हजारों-लाखों मरीज हैं, जिन्हें खून की जरूरत होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रक्तदान से न सिर्फ आप किसी को नया जीवन देते हैं, बल्कि ये प्रक्रिया खुद दान दाता के शरीर के लिए भी काफी फायदेमंद होती है. वहीं उत्तराखंड में स्वैछिक रक्तदान करने वालों की कमी नहीं है. साल 2018 के आंकड़ों पर गौर करें तो लोगों ने बढ़-चढ़कर रक्त दान किया है.

World Blood Donor Day
नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन

2018 के आंकड़ों के मुताबिक स्वैच्छिक रक्तदान में 13 जिलों में सबसे राजधानी देहरादून टॉप पर है. देहरादून में सबसे ज्यादा 63,811 लोगों ने रक्त दान किया गया है. वहीं चमोली में सबसे कम रक्त दान किया गया है.

क्रमांक जिले का नाम ब्लड (यूनिट)
1. देहरादून 63,811
2. ऊधमसिंह नगर 25,449
3. नैनीताल 18928
4. हरिद्वार 14431
5. पौड़ी गढ़वाल 4560
6. पिथौरागढ़ 2699
7. अल्मोड़ा 1161
8. उत्तरकाशी 452
9. चमोली 282
10. रुदप्रयाग सेंटर अभी शुरू हुआ है.
11. बागेश्वर सेंटर अभी शुरू हुआ है.
12. चम्पावत सेंटर अभी शुरू हुआ है.
13. टिहरी 324

राज्य भर में कुल 42 ब्लड बैंक हैं. जिसमें से केवल 18 ब्लड बैंकों को नाको सहयोग करता है.

देहरादून में कुल 9 ब्लड बैंक हैं. दून मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ब्लड बैंक, श्री महंत इंद्रेश ब्लड बैंक, जॉलीग्रांट अस्पताल ब्लड बैंक, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस ऋषिकेश ब्लड बैंक और एसपीएस ऋषिकेश ब्लड बैंक शामिल हैं.

डॉ. अर्जुन सिंह सेंगर, अपर परियोजना निदेशक, नाको

समूचे उत्तराखंड की अगर बात करें तो वर्तमान में 11832 यूनिट रक्त उपलब्ध है. जिसमें से अभी मात्र 20 प्रतिशत रक्त ब्लड बैंकों में है. बाकी यूज हो गया है.

रक्त से संबंधित सत्य
रक्त के अभाव में शरीर की कोशिकाएं एवं उत्तक समाप्त हो जाते हैं. जैसे फेफड़ों से ऑक्सीजन और पाचन तंत्र से पोषक तत्व कोशिकाओं तक पहुंचाता है. CO2 को फेफड़ों द्वारा बाहर फेंकता है और दूषित तत्व को किडनी के द्वारा बाहर निकालता है. रक्त हार्मोन और क्लोटिंग एजेंट्स को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने का कार्य करता है.

डॉ. अर्जुन सिंह सेंगर, अपर परियोजना निदेशक, नाको

रक्त दान क्यों

  • अस्पतालों में खून की बहुत अधिक मांग रहती है और रक्त के अभाव में कई व्यक्ति अकाल मौत के मुंह में समा जाते हैं. इसलिए मानव रक्त का कोई अन्य विकल्प नहीं है. रक्त को कृत्रिम विधि से उत्पादित नहीं किया जा सकता है और न ही किसी जानवर का रक्त किसी व्यक्ति को दिया जा सकता है.
  • रक्त का भंडारण अधिक समय तक नहीं किया जा सकता है, इसलिए रक्तदान की आवश्यकता हर समय बनी रहती है.
  • हिमोफीलिया और थैलीसीमिया जैसे रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को नियमित रूप से नए रक्त चढ़ाए जाने की जरूरत होती है. दुर्भाग्य से ऐसे मरीजों में रक्त की कमी हमेशा बनी रहती है जो कि रक्त दान जैसे नेक कार्य से ही पूरी हो सकती है.

रक्त दान के बाद उसका क्या किया जाता है
एचआईवी, सिफलिस, हेपेटाइटिस सी, हेपटाइटिस बी, मलेरिया के साथ ही ब्लड ग्रुप और आरएच की पहचान की जाती है. इसके साथ ही अलग-अलग तत्वों में अलग किया जाता है, जिससे चार व्यक्तियों के जीवन को बचाया जा सकता है.

देहरादून: रक्त दान महादान! यह शब्द हम सभी ने सुना और पढ़ा है. हम में से कई लोगों ने कभी न कभी किसी जरूरतमंद के लिए खून दान किया होगा. हर पल ऐसे हजारों-लाखों मरीज हैं, जिन्हें खून की जरूरत होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रक्तदान से न सिर्फ आप किसी को नया जीवन देते हैं, बल्कि ये प्रक्रिया खुद दान दाता के शरीर के लिए भी काफी फायदेमंद होती है. वहीं उत्तराखंड में स्वैछिक रक्तदान करने वालों की कमी नहीं है. साल 2018 के आंकड़ों पर गौर करें तो लोगों ने बढ़-चढ़कर रक्त दान किया है.

World Blood Donor Day
नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन

2018 के आंकड़ों के मुताबिक स्वैच्छिक रक्तदान में 13 जिलों में सबसे राजधानी देहरादून टॉप पर है. देहरादून में सबसे ज्यादा 63,811 लोगों ने रक्त दान किया गया है. वहीं चमोली में सबसे कम रक्त दान किया गया है.

क्रमांक जिले का नाम ब्लड (यूनिट)
1. देहरादून 63,811
2. ऊधमसिंह नगर 25,449
3. नैनीताल 18928
4. हरिद्वार 14431
5. पौड़ी गढ़वाल 4560
6. पिथौरागढ़ 2699
7. अल्मोड़ा 1161
8. उत्तरकाशी 452
9. चमोली 282
10. रुदप्रयाग सेंटर अभी शुरू हुआ है.
11. बागेश्वर सेंटर अभी शुरू हुआ है.
12. चम्पावत सेंटर अभी शुरू हुआ है.
13. टिहरी 324

राज्य भर में कुल 42 ब्लड बैंक हैं. जिसमें से केवल 18 ब्लड बैंकों को नाको सहयोग करता है.

देहरादून में कुल 9 ब्लड बैंक हैं. दून मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ब्लड बैंक, श्री महंत इंद्रेश ब्लड बैंक, जॉलीग्रांट अस्पताल ब्लड बैंक, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस ऋषिकेश ब्लड बैंक और एसपीएस ऋषिकेश ब्लड बैंक शामिल हैं.

डॉ. अर्जुन सिंह सेंगर, अपर परियोजना निदेशक, नाको

समूचे उत्तराखंड की अगर बात करें तो वर्तमान में 11832 यूनिट रक्त उपलब्ध है. जिसमें से अभी मात्र 20 प्रतिशत रक्त ब्लड बैंकों में है. बाकी यूज हो गया है.

रक्त से संबंधित सत्य
रक्त के अभाव में शरीर की कोशिकाएं एवं उत्तक समाप्त हो जाते हैं. जैसे फेफड़ों से ऑक्सीजन और पाचन तंत्र से पोषक तत्व कोशिकाओं तक पहुंचाता है. CO2 को फेफड़ों द्वारा बाहर फेंकता है और दूषित तत्व को किडनी के द्वारा बाहर निकालता है. रक्त हार्मोन और क्लोटिंग एजेंट्स को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने का कार्य करता है.

डॉ. अर्जुन सिंह सेंगर, अपर परियोजना निदेशक, नाको

रक्त दान क्यों

  • अस्पतालों में खून की बहुत अधिक मांग रहती है और रक्त के अभाव में कई व्यक्ति अकाल मौत के मुंह में समा जाते हैं. इसलिए मानव रक्त का कोई अन्य विकल्प नहीं है. रक्त को कृत्रिम विधि से उत्पादित नहीं किया जा सकता है और न ही किसी जानवर का रक्त किसी व्यक्ति को दिया जा सकता है.
  • रक्त का भंडारण अधिक समय तक नहीं किया जा सकता है, इसलिए रक्तदान की आवश्यकता हर समय बनी रहती है.
  • हिमोफीलिया और थैलीसीमिया जैसे रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को नियमित रूप से नए रक्त चढ़ाए जाने की जरूरत होती है. दुर्भाग्य से ऐसे मरीजों में रक्त की कमी हमेशा बनी रहती है जो कि रक्त दान जैसे नेक कार्य से ही पूरी हो सकती है.

रक्त दान के बाद उसका क्या किया जाता है
एचआईवी, सिफलिस, हेपेटाइटिस सी, हेपटाइटिस बी, मलेरिया के साथ ही ब्लड ग्रुप और आरएच की पहचान की जाती है. इसके साथ ही अलग-अलग तत्वों में अलग किया जाता है, जिससे चार व्यक्तियों के जीवन को बचाया जा सकता है.

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World Blood Donor Day: ब्लड डोनेट करने में देहरादून आगे, चमोली सबसे पीछे



देहरादून: रक्त दान महादान! यह शब्द हम सभी ने सुना और पढ़ा है. हम में से कई लोगों ने कभी न कभी किसी जरूरतमंद के लिए खून दान किया होगा. हर पल ऐसे हजारों-लाखों मरीज हैं, जिन्हें खून की जरूरत होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रक्तदान से न सिर्फ आप किसी को नया जीवन देते हैं, बल्कि ये प्रक्रिया खुद दान दाता के शरीर के लिए भी काफी फायदेमंद होती है. वहीं उत्तराखंड में स्वैछिक  रक्तदान करने वालों की कमी नहीं है. साल 2018 के आंकड़ों पर गौर करें तो लोगों ने बढ़-चढ़कर रक्त दान किया है. 

2018 के आंकड़ों के मुताबिक स्वैच्छिक रक्तदान में 13 जिलों में सबसे राजधानी देहरादून टॉप पर है. देहरादून में सबसे ज्यादा 63,811 लोगों ने रक्त दान किया गया है. वहीं चमोली में सबसे कम रक्त दान किया गया है. 

देहरादून-63811 यूनिट

ऊधमसिंह नगर-25449 यूनिट

नैनीताल-18928 यूनिट

हरिद्वार-14431 यूनिट

पौड़ी गढ़वाल-4560 यूनिट

पिथौरागढ़-2699 यूनिट

अल्मोड़ा-1161 यूनिट

उत्तरकाशी-452 यूनिट

चमोली-282 यूनिट

रुदप्रयाग-सेंटर अभी शुरू हुआ है

बागेश्वर-सेंटर अभी शुरू हुआ है

चम्पावत-सेंटर अभी शुरू हुआ है

टिहरी-324 यूनिट



राज्य भर में कुल 42 ब्लड बैंक हैं. जिसमें से केवल 18 ब्लड बैंकों को नाको सहयोग करता है.



देहरादून की अगर बात करें तो देहरादून में कुल 9 ब्लड बैंक हैं. दून मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ब्लड बैंक, श्री महंत इंद्रेश ब्लड बैंक, जॉलीग्रांट अस्पताल ब्लड बैंक, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस ऋषिकेश ब्लड बैंक और एसपीएस ऋषिकेश ब्लड बैंक शामिल हैं.

समूचे उत्तराखंड की अगर बात करें तो वर्तमान में 11832 यूनिट रक्त उपलब्ध है. जिसमें से अभी मात्र 20 प्रतिशत रक्त ब्लड बैंकों में है. बाकी यूज हो गया है.



रक्त से संबंधित सत्य

रक्त के अभाव में शरीर की कोशिकाएं एवं उत्तक समाप्त हो जाते हैं. जैसे फेफड़ों से ऑक्सीजन और पाचन तंत्र से पोषक तत्व कोशिकाओं तक पहुंचाता है. CO2 को फेफड़ों द्वारा बाहर फेंकता है और दूषित तत्व को किडनी के द्वारा बाहर निकालता है. रक्त हार्मोन और क्लोटिंग एजेंट्स को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने का कार्य करता है.



रक्त दान क्यों 

अस्पतालों में खून की बहुत अधिक मांग रहती है और रक्त के अभाव में कई व्यक्ति अकाल मौत के मुंह में समा जाते हैं. इसलिए मानव रक्त का कोई अन्य विकल्प नहीं है. रक्त को कृत्रिम विधि से उत्पादित नहीं किया जा सकता है और न ही किसी जानवर का रक्त किसी व्यक्ति को दिया जा सकता है.

रक्त का भंडारण अधिक समय तक नहीं किया जा सकता है, इसलिए रक्तदान की आवश्यकता हर समय बनी रहती है.

हिमोफीलिया और थैलीसीमिया जैसे रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को नियमित रूप से नए रक्त चढ़ाए जाने की जरूरत होती है. दुर्भाग्य से ऐसे मरीजों में रक्त की कमी हमेशा बनी रहती है जो कि रक्त दान जैसे नेक कार्य से ही पूरी हो सकती है.

रक्त दान के बाद उस रक्त का क्या किया जाता है

एचआईवी, सिफलिस, हेपेटाइटिस सी, हेपटाइटिस बी, मलेरिया के साथ ही ब्लड ग्रुप और आरएच की पहचान की जाती है. इसके साथ ही अलग-अलग तत्वों में अलग किया जाता है, जिससे चार व्यक्तियों के जीवन को बचाया जा सकता है. 

 


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