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यूनियन बैंक से लोन लेकर साढ़े ₹18 करोड़ का फर्जीवाड़ा, CBI ने 9 के खिलाफ केस दर्ज किया

देहरादून में सीबीआई ने बैंक लोन लेकर ₹18 करोड़ 49 लाख का फ्रॉड करने के आरोप में 9 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है. सीबीआई ने यूनियन बैंक की तरफ से की गई शिकायत के आधार पर यह कार्रवाई की है. इस धोखाधड़ी में संबंधित बैंक के अज्ञात कर्मचारी के अलावा रेडीमेड गार्मेंट कंपनी के मालिक सहित अन्य कंपनियों के लोग भी शामिल हैं.

dehradun cbi registered case
यूनियन बैंक फ्रॉड केस
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Published : Sep 30, 2022, 2:13 PM IST

देहरादून: यूनियन बैंक की तरफ से शिकायत के आधार पर देहरादून में सीबीआई ने बैंक लोन लेकर ₹18 करोड़ 49 लाख का फ्रॉड करने के आरोप में 9 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है. इस धोखाधड़ी के केस में संबंधित बैंक के मिलीभगत करने वाले अज्ञात कर्मचारी के अलावा रेडीमेड गार्मेंट कंपनी के मालिक सहित अन्य कंपनियों के लोग शामिल हैं.

जानकारी के अनुसार, एक रेडीमेड गार्मेंट और अन्य कंपनियों के संचालकों द्वारा क्रेडिट लोन सुविधा के नाम पर यह लोन फर्जीवाड़ा किया गया. बैंक से करोड़ों का लोन लेने के बाद जिन अकाउंट्स से मासिक EMI जानी थी वो अकाउंट्स निष्क्रिय पाए गये हैं.

ये मामला अप्रैल 2012 से 2020 के बीच का है. आरोप है कि मेमर्स शीन सोर्सिंग एंड बाइंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और मेमर्स किड्स स्टफ ने 2012 में नोएडा स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ब्रांच में क्रेडिट लिमिट के आधार पर टर्म लोन और वाहन लोन लेने के लिए आवेदन किया था. बैंक में क्रेडिट लिमिट के आधार पर औपचारिकताएं पूरी कर आवेदन के अनुसार ₹18 करोड़ 49 लाख का लोन पास कर दिया गया.

इधर, 11 जून 2012 को मेमर्स शीन सोर्सिंग एंड बाइंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का मेंमर्स किड्स स्टफ कम्पनी में विलय (Merge) हो गया. दोनों कंपनी एक होने का बकायदा सर्टिफिकेट भी बैंक में जमा कराया गया. लेकिन हैरानी की बात तब सामने आई जब बैंक से लिए गए लोन की किस्तें आना बंद हो गईं.
पढ़ें- Ankita Murder Case: फास्ट ट्रैक कोर्ट सुनवाई पर संशय, जानिए क्या कहते हैं वरिष्ठ अधिवक्ता

इतना ही नहीं, जिन बैंक अकाउंट से लोन की EMI आनी थी वो खातें NPA (Non Performing Asset) पाए गये. यानी पूरी तरह लेनदेन में निष्क्रिय हो गए. इस पूरे फर्जीवाड़े के खेल में कंपनियों के चार्टर्ड अकाउंटेंट भी जांच के दायरे में हैं.

बैंक कर्मियों पर भी जांच की कार्रवाई: जानकारी के अनुसार, करोड़ों रुपए के लोन में संबंधित बैंक के कुछ कर्मचारी और अधिकारियों की मिलीभगत की जानकारी भी सामने आ रही है. सीबीआई उनको भी जांच के घेरे में लेकर कार्रवाई में जुटी है. बताया जा रहा है कि कंपनी के लोगों ने मिलकर षड्यंत्र के तहत बैंक को गुमराह कर लोन देकर सरकारी धन का गबन किया.

देहरादून: यूनियन बैंक की तरफ से शिकायत के आधार पर देहरादून में सीबीआई ने बैंक लोन लेकर ₹18 करोड़ 49 लाख का फ्रॉड करने के आरोप में 9 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है. इस धोखाधड़ी के केस में संबंधित बैंक के मिलीभगत करने वाले अज्ञात कर्मचारी के अलावा रेडीमेड गार्मेंट कंपनी के मालिक सहित अन्य कंपनियों के लोग शामिल हैं.

जानकारी के अनुसार, एक रेडीमेड गार्मेंट और अन्य कंपनियों के संचालकों द्वारा क्रेडिट लोन सुविधा के नाम पर यह लोन फर्जीवाड़ा किया गया. बैंक से करोड़ों का लोन लेने के बाद जिन अकाउंट्स से मासिक EMI जानी थी वो अकाउंट्स निष्क्रिय पाए गये हैं.

ये मामला अप्रैल 2012 से 2020 के बीच का है. आरोप है कि मेमर्स शीन सोर्सिंग एंड बाइंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और मेमर्स किड्स स्टफ ने 2012 में नोएडा स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ब्रांच में क्रेडिट लिमिट के आधार पर टर्म लोन और वाहन लोन लेने के लिए आवेदन किया था. बैंक में क्रेडिट लिमिट के आधार पर औपचारिकताएं पूरी कर आवेदन के अनुसार ₹18 करोड़ 49 लाख का लोन पास कर दिया गया.

इधर, 11 जून 2012 को मेमर्स शीन सोर्सिंग एंड बाइंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का मेंमर्स किड्स स्टफ कम्पनी में विलय (Merge) हो गया. दोनों कंपनी एक होने का बकायदा सर्टिफिकेट भी बैंक में जमा कराया गया. लेकिन हैरानी की बात तब सामने आई जब बैंक से लिए गए लोन की किस्तें आना बंद हो गईं.
पढ़ें- Ankita Murder Case: फास्ट ट्रैक कोर्ट सुनवाई पर संशय, जानिए क्या कहते हैं वरिष्ठ अधिवक्ता

इतना ही नहीं, जिन बैंक अकाउंट से लोन की EMI आनी थी वो खातें NPA (Non Performing Asset) पाए गये. यानी पूरी तरह लेनदेन में निष्क्रिय हो गए. इस पूरे फर्जीवाड़े के खेल में कंपनियों के चार्टर्ड अकाउंटेंट भी जांच के दायरे में हैं.

बैंक कर्मियों पर भी जांच की कार्रवाई: जानकारी के अनुसार, करोड़ों रुपए के लोन में संबंधित बैंक के कुछ कर्मचारी और अधिकारियों की मिलीभगत की जानकारी भी सामने आ रही है. सीबीआई उनको भी जांच के घेरे में लेकर कार्रवाई में जुटी है. बताया जा रहा है कि कंपनी के लोगों ने मिलकर षड्यंत्र के तहत बैंक को गुमराह कर लोन देकर सरकारी धन का गबन किया.

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