देहरादून: सिंगल यूज प्लास्टिक (single use plastic) के इस्तेमाल को कम करने की अनूठी पहल के लिए देहरादून कैंट बोर्ड (Dehradun Cantt Board) को अमृत महोत्सव स्वच्छ श्रेणी सर्वेक्षण 2020-21 श्रेणी में राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा गया है. देहरादून कैंट बोर्ड राजधानी में संचालित दो स्कूलों में सिंगल यूज प्लास्टिक बोतलों का इस्तेमाल कर पर्यावरण को सुरक्षित करने की दिशा में देहरादून कैंट बोर्ड को राष्ट्रपति पुरस्कार दिया गया है. तो वहीं, इंदौर को लगातार 5वीं बार भारत के सबसे स्वच्छ शहर का घोषित किया गया है.
देहरादून कैंट बोर्ड द्वारा संचालित दो स्कूलों में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस तरह से इस्तमेमाल किया जा रहा है, जो ना सिर्फ पर्यावरण सुरक्षित करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं बल्कि सिंगल यूज प्लास्टिक से ब्रिक्स बनाने और प्लास्टिक की बोतलों को निर्माण कार्यों में इस्तेमाल किया जा रहा है. राष्ट्रपति पुरस्कार पाने वाले कैंट बोर्ड के स्कूल प्रधानाचार्य बसंत उपाध्याय ने बताया कि कोरोना काल से पहले कैंट बोर्ड की सीईओ तनुज जैन ने स्कूल टीचर और बच्चों के माध्यम से जन जागरूकता अभियान चलाकर प्लास्टिक के बेहतर इस्तेमाल और पर्यावरण बचाओ को लेकर शुरू की गई.
इस अभियान के तहत कैंट बोर्ड के प्रेम नगर स्थित जूनियर हाईस्कूल और गढ़ी कैंट स्थित ब्लूमिंग बड्स स्कूल के बच्चों और टीचर्स ने पहल करते हुए अपने घरों और आसपास के क्षेत्रों से सिंगल यूज प्लास्टिक को इकट्ठा किया. फिर स्कूल में प्लास्टिक ब्रिक्स बनाया और स्कूल परिसर में तरह-तरह के निर्माण कार्य किए. वहीं, सिंगल यूज प्लास्टिक की बोतलों को अलग-अलग माध्यम से एकत्र कर महाकुंभ मेले के लिए भारी तादाद में डस्टबिन तैयार किए गए. इतना ही नहीं, कुंभ मेले में पर्यावरण को सुरक्षित रखने का संदेश देने के लिए स्कूली बच्चों न 1500 किलोग्राम प्लास्टिक बोतलों से हाथी का पुतला तैयार किया और हरिद्वार पहुंचाया गया.
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यहां स्कूल टीचर और बच्चों ने स्कूलों में बागवानी के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक से ब्रिक बनाकर गमले और पेड़ों के चबूतरे बनाए गए, जो ना सिर्फ प्लास्टिक की बेहतर इस्तेमाल बल्कि पर्यावरण बचाओ का संदेश देते हुए प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल कर उसका सदुपयोग भी कैंट बोर्ड स्कूलों द्वारा लाया जा रहा है.
गढ़ी कैंट बोर्ड के ब्लूइंग बर्ड्स स्कूल के हेडमास्टर बसंत उपाध्याय के मुताबिक पिछले दो वर्षों में विद्यालय में कक्षा 1 से 8 तक पढ़ने वाले 683 छात्र-छात्राओं द्वारा 4500 प्लास्टिक बोतल से तरह-तरह की साज सज्जा सामान और अन्य निर्माण कार्य में प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया है. लगभग 6 कुंतल किलोग्राम सिंगल यूज प्लास्टिक एकत्र कर उनके बिक्र्स तैयार किए. उन ब्रिक्स से कैंट बोर्ड के दोनों स्कूलों में अलग-अलग निर्माण कार्य कराए जा चुके हैं.
बसंत उपाध्याय का कहना है कि प्लास्टिक हमारी जिंदगी से जुड़ गया है और चाह कर भी खत्म नहीं किया जा सकता. ऐसे में अगर पर्यावरण को प्लास्टिक से बचाने के प्रयास में सभी लोग थोड़ा-थोड़ा योगदान देकर सिंगल यूज प्लास्टिक की बोतलों का सही रूप में सदुपयोग करें, तो ना सिर्फ पर्यावरण सुरक्षित होगा बल्कि प्लास्टिक के सही इस्तेमाल से कई तरह के निर्माण कार्य में इसकी उपयोगिता से कई तरह के फायदे हो सकते हैं.