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बदल गए देहरादून और टिहरी के कप्तान, जानें कैसा रहा इनका सफरनामा - नवनियुक्त IPS तृप्ति भट्ट टिहरी

देहरादून के नवनियुक्त एसएसपी योगेंद्र सिंह रावत और टिहरी की नवनियुक्त तृप्ति भट्ट का यहां तक का सफर बेहद खास रहा है. दोनों ही अफसर मेहनत और लगन में विश्वास रखने वाले हैं.

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देहरादून
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Published : Dec 21, 2020, 8:51 AM IST

देहरादून: राजधानी में नए एसएसपी के रूप में 2007 बैच के आईपीएस योगेंद्र सिंह रावत और टिहरी में 2013 बैच की आईपीएस तृप्ति भट्ट को नियुक्त किया गया है. यह दोनों अधिकारी अपने काम के प्रति गंभीर हैं. दोनों का अब तक का सफरनामा बेहद उतार-चढ़ाव वाला रहा.

आईपीएस योगेंद्र सिंह रावत का सफरनामा

राजधानी के मौजूदा कप्तान योगेंद्र सिंह रावत का जन्म एक पुलिस परिवार में हुआ. रावत हालांकि चमोली के मूल निवासी हैं. लेकिन, पिता की सर्विस श्रीनगर में होने की वजह से इनका बचपन और शिक्षा भी श्रीनगर में ही हुई. योगेंद्र रावत ने श्रीनगर गढ़वाल यूनिवर्सिटी से वर्ष 1987 में फिजिक्स में एमएससी पूरी की और इसके बाद उन्होंने 1993 में पीएचडी भी कर डाली.

डॉ. योगेंद्र सिंह रावत लंबे समय तक श्रीनगर गढ़वाल यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के प्रोफेसर के रूप में कार्यरत रहे. उनका सपना प्रशासनिक सेवाओं में जाने का था और वह अपनी साइंस की पढ़ाई के साथ-साथ प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी भी करते रहे. जिसके बाद वर्ष 1997 में उन्होंने पीसीएस परीक्षा कर पुलिस सेवा में एंट्री मारी. योगेंद्र यादव की पहली पोस्टिंग संयुक्त राज्य उत्तर प्रदेश के सबसे चुनौती भरे मेरठ जिले में क्षेत्राधिकारी के रूप में हुई. इसके बाद वह हरिद्वार के मंगलौर, नैनीताल के रामनगर में क्षेत्राधिकारी रहे. इसके अलावा इस दौरान वह 31 बटालियन पीएसी रुद्रपुर के उप सेनानायक भी रहे.

आईपीएस अधिकारी तृप्ति भट्ट का सफरनामा

वर्ष 2013 बैच की आईपीएस अधिकारी तृप्ति भट्ट का पैतृक गांव अल्मोड़ा है. तृप्ति भट्ट एक शिक्षक परिवार से आती हैं. मैकेनिकल इंजीनियरिंग पंतनगर यूनिवर्सिटी से पूरी करने के बाद कई बड़े सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों से तृप्ति भट्ट को जॉब ऑफर मिले. लेकिन, उन्हें केवल आईपीएस ऑफिसर बनना था. यहां तक कि उन्होंने इसरो से साइंटिस्ट बनने के ऑफर को भी ठुकरा दिया था.

तृप्ति लगातार सिविल सर्विसेज की तैयारी करती रहीं. कड़ी मेहनत और लगन के बाद इंडियन पुलिस सर्विस में उनका सिलेक्शन हो गया. ट्रेनिंग के बाद सबसे पहली पोस्टिंग देहरादून के विकासनगर थाने में हुई. जहां उन्होंने खनन माफियाओं के कई सालों से जमे पैर उखाड़ दिए. तृप्ति पिछले लंबे समय से उत्तराखंड के चमोली जिले की एसएसपी थी और वह एसडीआरएफ में मुख्य सेनानायक के रूप में भी कार्यरत थीं.

देहरादून: राजधानी में नए एसएसपी के रूप में 2007 बैच के आईपीएस योगेंद्र सिंह रावत और टिहरी में 2013 बैच की आईपीएस तृप्ति भट्ट को नियुक्त किया गया है. यह दोनों अधिकारी अपने काम के प्रति गंभीर हैं. दोनों का अब तक का सफरनामा बेहद उतार-चढ़ाव वाला रहा.

आईपीएस योगेंद्र सिंह रावत का सफरनामा

राजधानी के मौजूदा कप्तान योगेंद्र सिंह रावत का जन्म एक पुलिस परिवार में हुआ. रावत हालांकि चमोली के मूल निवासी हैं. लेकिन, पिता की सर्विस श्रीनगर में होने की वजह से इनका बचपन और शिक्षा भी श्रीनगर में ही हुई. योगेंद्र रावत ने श्रीनगर गढ़वाल यूनिवर्सिटी से वर्ष 1987 में फिजिक्स में एमएससी पूरी की और इसके बाद उन्होंने 1993 में पीएचडी भी कर डाली.

डॉ. योगेंद्र सिंह रावत लंबे समय तक श्रीनगर गढ़वाल यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के प्रोफेसर के रूप में कार्यरत रहे. उनका सपना प्रशासनिक सेवाओं में जाने का था और वह अपनी साइंस की पढ़ाई के साथ-साथ प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी भी करते रहे. जिसके बाद वर्ष 1997 में उन्होंने पीसीएस परीक्षा कर पुलिस सेवा में एंट्री मारी. योगेंद्र यादव की पहली पोस्टिंग संयुक्त राज्य उत्तर प्रदेश के सबसे चुनौती भरे मेरठ जिले में क्षेत्राधिकारी के रूप में हुई. इसके बाद वह हरिद्वार के मंगलौर, नैनीताल के रामनगर में क्षेत्राधिकारी रहे. इसके अलावा इस दौरान वह 31 बटालियन पीएसी रुद्रपुर के उप सेनानायक भी रहे.

आईपीएस अधिकारी तृप्ति भट्ट का सफरनामा

वर्ष 2013 बैच की आईपीएस अधिकारी तृप्ति भट्ट का पैतृक गांव अल्मोड़ा है. तृप्ति भट्ट एक शिक्षक परिवार से आती हैं. मैकेनिकल इंजीनियरिंग पंतनगर यूनिवर्सिटी से पूरी करने के बाद कई बड़े सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों से तृप्ति भट्ट को जॉब ऑफर मिले. लेकिन, उन्हें केवल आईपीएस ऑफिसर बनना था. यहां तक कि उन्होंने इसरो से साइंटिस्ट बनने के ऑफर को भी ठुकरा दिया था.

तृप्ति लगातार सिविल सर्विसेज की तैयारी करती रहीं. कड़ी मेहनत और लगन के बाद इंडियन पुलिस सर्विस में उनका सिलेक्शन हो गया. ट्रेनिंग के बाद सबसे पहली पोस्टिंग देहरादून के विकासनगर थाने में हुई. जहां उन्होंने खनन माफियाओं के कई सालों से जमे पैर उखाड़ दिए. तृप्ति पिछले लंबे समय से उत्तराखंड के चमोली जिले की एसएसपी थी और वह एसडीआरएफ में मुख्य सेनानायक के रूप में भी कार्यरत थीं.

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