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GROUND REPORT: चुक्खूवाला हादसे से कब लेंगे सबक? देहरादून में मौत बनकर खड़े हैं कई गिरासू भवन

चुक्खूवाला में बिल्डिंग हादसे के बाद ईटीवी भारत ने देहरादून शहर के कई गिरासू भवनों का जायजा लिया. इनमें से तो कई इतने जर्जर हालात में हैं कि कोी कभी भी गिर सकते हैं और बड़ा हादसा हो सकता है. देहरादून शहर में वर्तमान समय में 48 गिरासू भवनों पर नोटिस लगा हुआ है लेकिन मामला कोर्ट में होने के चलते इनको गिराया नहीं जा सका है.

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देहरादून में मौत बनकर खड़े हैं ये गिरासू भवन
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Published : Jul 15, 2020, 5:53 PM IST

Updated : Jul 16, 2020, 12:46 PM IST

देहरादून: चुक्खूवाला इंदिरा कॉलोनी में मंगलवार देर रात भारी बारिश के चलते दो मकान जमींदोज हो गये. इस घटना में चार लोगों की मौत हो गई. घटना के बाद एक बार फिर शहर में चिन्हित गिरासू भवनों का विषय चर्चाओं में है. हर बार मॉनसून में 80 से 100 साल पुराने जर्जर भवनों के गिरने से जन-धन की हानि होती है. इन सबके बावजूद जिला प्रशासन और नगर निगम कई तरह की कानूनी तकनीकी पेचीदगियों का हवाला देते हुए इस तरह के मामलों से पल्ला झाड़ते नजर आते हैं.

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देहरादून का गिरासू भवन.

देहरादून शहर में ऐसी कई दशकों पुरानी बिल्डिंग हैं जिनके गिरने से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. खतरे की जद में रहने वाले इन भवनों में न सिर्फ बड़ी संख्या में लोग दुकानें चलाते हैं, बल्कि कई परिवार इन इमारतों में रहते हैं. ईटीवी भारत ने देहरादून शहर में जर्जर हालत के गिरासू भवनों का जायजा लिया.

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मौत बनकर खड़े हैं कई गिरासू भवन.

48 गिरासू भवनों में कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

नगर निगम की जानकारी के मुताबिक, देहरादून शहर में वर्तमान समय में 48 गिरासू भवनों पर पहले से ही नोटिस लगा हुआ है. मगर इनमें से 32 बड़ी बिल्डिंग का मामला कोर्ट में स्टे के कारण विचाराधीन है. जिसके चलते इनको गिराया नहीं जा सकता है. वहीं 16 अन्य बेहद जर्जर हालत वाले भवनों पर भी नोटिस चस्पा किया गया है. उसके बावजूद भी इन भवनों को खाली नहीं किया गया है.

देहरादून में मौत बनकर खड़े हैं ये गिरासू भवन

पढ़ें- 'संकटमोचक' SDRF की एक और कंपनी को मिली मंजूरी, जानिए कैसा है एडवांस 'ऑपरेशनल' हेडक्वार्टर

गिरासू भवनों में मकान मालिक और किराएदार के बीच चलने वाला विवाद प्रशासन के लिए बाधा
देहरादून शहर के तहसील चौक, घंटाघर, राजा रोड, तिलक रोड, आढ़त बाजार, झंडा बाजार, पुरानी सब्जी मंडी, मोती बाजार, घोसी गली, धारा चौकी के समीप गिरासू भवन मौजूद हैं. इन सभी भवनों में मकान मालिक और किराएदार के बीच एक अर्से से विवाद चल रहा है. जिसके कारण नगर निगम और जिला प्रशासन कार्रवाई नहीं कर पा रहा है.

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कभी भी गिर सकते हैं ये भवन.

अदालत में सबसे बड़े गिरासू भवन का मामला भी

वहीं, देहरादून के कनॉट प्लेस स्थित एलआईसी बिल्डिंग की बात करें तो यह लगभग 100 साल पुरानी सबसे लंबी-चौड़ी गिरासू बिल्डिंग है. इस बिल्डिंग के नीचे दर्जनों दुकानदार काम कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. भवन के ऊपरी हिस्से में दर्जनों परिवार लंबे समय से रह रहे हैं. बेहद जर्जर हो चुकी इस बिल्डिंग में कई जगह गिरासू भवन वाला नोटिस चस्पा है. मगर किराएदार और एलआईसी के बीच चल रहा विवाद कोर्ट में विचाराधीन है. जिसके चलते जिला प्रशासन इस पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पा रहा. हालांकि इस बिल्डिंग के कई हिस्से कानूनी प्रक्रिया के बाद खाली भी कराए जा चुके हैं.

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देहरादून के पुराने जर्जर भवन.

पढ़ें- आपदा के लिए कितना तैयार उत्तराखंड, क्या बैठकों से जीतेंगे 'जंग'?

देहरादून शहर में नगर निगम द्वारा चिन्हित किए गए 48 गिरासू भवनों के अलावा कई ऐसे नदी-नालों और तंग इलाकों में भी हैं जिन पर मॉनसून में खतरा बना रहता है. इस मामले में देहरादून नगर निगम मुख्य आयुक्त का भी मानना है कि ज्यादातर गिरासू भवनों के मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं, जिसके कारण कार्रवाई नहीं हो पा रही है. इसके अलावा नदियों-नालों और अन्य खतरनाक इलाकों में स्थित भवनों में रहने वाले लोगों को भी समय-समय पर चेतावनी दी जाती है.

पढ़ें-भूख के आगे बेबस जिंदगी : कूड़ेदान में पड़ा दूषित भोजन खाने को मजबूर हुआ इंसान

क्या कहते हैं आईजी?

वहीं, गढ़वाल आईजी अभिनव कुमार ने भी गिरासू भवनों में होने वाले हादसे को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा देहरादून की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए कई तरह की समस्याएं कार्रवाई में सामने आती हैं. इतना ही नहीं खतरे की जद में आने वाले कई स्थानों पर अतिक्रमण कर जिस तरह से भवन बनाए गए हैं वह बेहद ही चिंता का विषय है.

देहरादून: चुक्खूवाला इंदिरा कॉलोनी में मंगलवार देर रात भारी बारिश के चलते दो मकान जमींदोज हो गये. इस घटना में चार लोगों की मौत हो गई. घटना के बाद एक बार फिर शहर में चिन्हित गिरासू भवनों का विषय चर्चाओं में है. हर बार मॉनसून में 80 से 100 साल पुराने जर्जर भवनों के गिरने से जन-धन की हानि होती है. इन सबके बावजूद जिला प्रशासन और नगर निगम कई तरह की कानूनी तकनीकी पेचीदगियों का हवाला देते हुए इस तरह के मामलों से पल्ला झाड़ते नजर आते हैं.

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देहरादून का गिरासू भवन.

देहरादून शहर में ऐसी कई दशकों पुरानी बिल्डिंग हैं जिनके गिरने से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. खतरे की जद में रहने वाले इन भवनों में न सिर्फ बड़ी संख्या में लोग दुकानें चलाते हैं, बल्कि कई परिवार इन इमारतों में रहते हैं. ईटीवी भारत ने देहरादून शहर में जर्जर हालत के गिरासू भवनों का जायजा लिया.

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मौत बनकर खड़े हैं कई गिरासू भवन.

48 गिरासू भवनों में कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

नगर निगम की जानकारी के मुताबिक, देहरादून शहर में वर्तमान समय में 48 गिरासू भवनों पर पहले से ही नोटिस लगा हुआ है. मगर इनमें से 32 बड़ी बिल्डिंग का मामला कोर्ट में स्टे के कारण विचाराधीन है. जिसके चलते इनको गिराया नहीं जा सकता है. वहीं 16 अन्य बेहद जर्जर हालत वाले भवनों पर भी नोटिस चस्पा किया गया है. उसके बावजूद भी इन भवनों को खाली नहीं किया गया है.

देहरादून में मौत बनकर खड़े हैं ये गिरासू भवन

पढ़ें- 'संकटमोचक' SDRF की एक और कंपनी को मिली मंजूरी, जानिए कैसा है एडवांस 'ऑपरेशनल' हेडक्वार्टर

गिरासू भवनों में मकान मालिक और किराएदार के बीच चलने वाला विवाद प्रशासन के लिए बाधा
देहरादून शहर के तहसील चौक, घंटाघर, राजा रोड, तिलक रोड, आढ़त बाजार, झंडा बाजार, पुरानी सब्जी मंडी, मोती बाजार, घोसी गली, धारा चौकी के समीप गिरासू भवन मौजूद हैं. इन सभी भवनों में मकान मालिक और किराएदार के बीच एक अर्से से विवाद चल रहा है. जिसके कारण नगर निगम और जिला प्रशासन कार्रवाई नहीं कर पा रहा है.

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कभी भी गिर सकते हैं ये भवन.

अदालत में सबसे बड़े गिरासू भवन का मामला भी

वहीं, देहरादून के कनॉट प्लेस स्थित एलआईसी बिल्डिंग की बात करें तो यह लगभग 100 साल पुरानी सबसे लंबी-चौड़ी गिरासू बिल्डिंग है. इस बिल्डिंग के नीचे दर्जनों दुकानदार काम कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. भवन के ऊपरी हिस्से में दर्जनों परिवार लंबे समय से रह रहे हैं. बेहद जर्जर हो चुकी इस बिल्डिंग में कई जगह गिरासू भवन वाला नोटिस चस्पा है. मगर किराएदार और एलआईसी के बीच चल रहा विवाद कोर्ट में विचाराधीन है. जिसके चलते जिला प्रशासन इस पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पा रहा. हालांकि इस बिल्डिंग के कई हिस्से कानूनी प्रक्रिया के बाद खाली भी कराए जा चुके हैं.

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देहरादून के पुराने जर्जर भवन.

पढ़ें- आपदा के लिए कितना तैयार उत्तराखंड, क्या बैठकों से जीतेंगे 'जंग'?

देहरादून शहर में नगर निगम द्वारा चिन्हित किए गए 48 गिरासू भवनों के अलावा कई ऐसे नदी-नालों और तंग इलाकों में भी हैं जिन पर मॉनसून में खतरा बना रहता है. इस मामले में देहरादून नगर निगम मुख्य आयुक्त का भी मानना है कि ज्यादातर गिरासू भवनों के मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं, जिसके कारण कार्रवाई नहीं हो पा रही है. इसके अलावा नदियों-नालों और अन्य खतरनाक इलाकों में स्थित भवनों में रहने वाले लोगों को भी समय-समय पर चेतावनी दी जाती है.

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क्या कहते हैं आईजी?

वहीं, गढ़वाल आईजी अभिनव कुमार ने भी गिरासू भवनों में होने वाले हादसे को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा देहरादून की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए कई तरह की समस्याएं कार्रवाई में सामने आती हैं. इतना ही नहीं खतरे की जद में आने वाले कई स्थानों पर अतिक्रमण कर जिस तरह से भवन बनाए गए हैं वह बेहद ही चिंता का विषय है.

Last Updated : Jul 16, 2020, 12:46 PM IST
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