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129 मलिन बस्तियों पर मंडरा रहा खतरा, सितंबर में खत्म हो रहा न हटाने का अध्यादेश - देहरादून मेयर सुनील उनियाल गामा

सितंबर माह में देहरादून की 129 मलिन बस्तियों को न हटाने की मियाद खत्म हो जाएगा. जिससे मलिन बस्तियों के तकरीबन 40 हजार अवैध भवन में रह रहे लोगों के सामने संकट पैदा हो सकता है.

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मलिन बस्तियों पर मंडरा रहा खतरा
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Published : Jul 18, 2021, 8:09 PM IST

देहरादून: राजधानी की 129 मलिन बस्तियों पर फिर से खतरा मंडराने लगा है. क्योंकि सितंबर में मलिन बस्तियों न हटाने की मियाद पूरी होने वाली है. मलिन बस्तियों की मियाद बढ़ाने के लिए निगम की पिछली बोर्ड बैठक में चर्चा हो चुकी है, लेकिन निगम ने बैठक में प्रस्ताव पास करके कैबिनेट पर फैसला छोड़ दिया है.

वहीं, मेयर सुनील उनियाल गामा को उम्मीद है कि अगली कैबिनेट में मलिन बस्तियों की मियाद बढ़ाई जा सकती है. अगर सितंबर तक अध्यादेश बढ़ाने का फैसला नहीं होता है तो मलिन बस्तियों के तकरीबन 40 हजार अवैध भवन में रह रहे लोगों के सामने संकट पैदा हो सकता है.

मलिन बस्तियों पर मंडरा रहा खतरा

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में SDRF की 28 टीमें अलर्ट, तीन दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी

4 साल पहले सत्ता में आने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बस्तियों के विनियमितीकरण का फैसला लिया था, लेकिन तकनीकी अड़चनों के कारण सरकार इसे आगे बढ़ाती रही. मेयर सुनील उनियाल गामा ने बताया कि मलिन बस्तियों के लिए भाजपा पहली भी चिंतित थी. नगर निगम ने बोर्ड में प्रस्ताव पास करके सरकार से अनुरोध कर रहे है कि मलिन बस्तियों का अध्यादेश जो सितंबर में खत्म हो रहा है, उससे अगले तीन साल के लिए बढ़ाया जाए. ताकि मलिन बस्तियों के लोगों को मालिकाना हक दिलवा सकें.

देहरादून: राजधानी की 129 मलिन बस्तियों पर फिर से खतरा मंडराने लगा है. क्योंकि सितंबर में मलिन बस्तियों न हटाने की मियाद पूरी होने वाली है. मलिन बस्तियों की मियाद बढ़ाने के लिए निगम की पिछली बोर्ड बैठक में चर्चा हो चुकी है, लेकिन निगम ने बैठक में प्रस्ताव पास करके कैबिनेट पर फैसला छोड़ दिया है.

वहीं, मेयर सुनील उनियाल गामा को उम्मीद है कि अगली कैबिनेट में मलिन बस्तियों की मियाद बढ़ाई जा सकती है. अगर सितंबर तक अध्यादेश बढ़ाने का फैसला नहीं होता है तो मलिन बस्तियों के तकरीबन 40 हजार अवैध भवन में रह रहे लोगों के सामने संकट पैदा हो सकता है.

मलिन बस्तियों पर मंडरा रहा खतरा

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4 साल पहले सत्ता में आने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बस्तियों के विनियमितीकरण का फैसला लिया था, लेकिन तकनीकी अड़चनों के कारण सरकार इसे आगे बढ़ाती रही. मेयर सुनील उनियाल गामा ने बताया कि मलिन बस्तियों के लिए भाजपा पहली भी चिंतित थी. नगर निगम ने बोर्ड में प्रस्ताव पास करके सरकार से अनुरोध कर रहे है कि मलिन बस्तियों का अध्यादेश जो सितंबर में खत्म हो रहा है, उससे अगले तीन साल के लिए बढ़ाया जाए. ताकि मलिन बस्तियों के लोगों को मालिकाना हक दिलवा सकें.

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