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हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है जनजाति दीपावली, तांदी हारूल नृत्य कर दी एक-दूसरे को बधाई

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Published : Nov 27, 2019, 8:04 PM IST

Updated : Nov 27, 2019, 8:18 PM IST

जौनसार बावर में जनजाति दीपावली हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है. दीपवली हर साल पौराणिक परंपराओं से मनाई जाती है. जोकि आपसी भाईचारे, प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है.

deepawali
जनजाति दीपावली

विकासनगर: जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र में बुधवार को दीपावली को लेकर भिरुड़ी पर्व मनाया गया. इस दौरान गांव के मुखिया ने पंचायती आंगन से महासू देवता के नाम अखरोट बिखेरे. जिसे लोगों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया. लोगों ने पंचायती आंगन में सामूहिक रूप से तांदी हारूल नृत्य कर एक-दूसरे को पर्व की बधाई दी.

तांदी हारूल नृत्य कर दी एक-दूसरे को बधाई .

दरअसल, देहरादून जिले से सटे हुए जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र में इन दिनों दीपावली मनाया जा रहा है. बुधवार को लोगों ने सुबह उठकर भीमल से बने मशाल जलाकर पर्व का आगाज किया. साथ ही इष्ट देवता के मंदिरों में जाकर माथा टेक सुख समृद्धि की कामना की. पंचायती आंगन में सभी ग्रामीणों ने एकत्रित होकर तांदी, हारूल, झैंता, रासो नृत्य कर दिवाली की खुशी जाहिर की.

पढ़ें- देवभूमि में बढ़ेगी ठंड, कई जिलों में बर्फबारी की संभावना

ग्रामीण चंद बिष्ट ने बताया कि जौनसार बावर में जनजाति दीपावली हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है. दीपवली हर साल पौराणिक परंपराओं से मनाई जाती है.उन्होंने बताया कि यह त्योहार आपसी भाईचारे, प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है. वहीं, एक स्थानीय महिला ने बताया कि दीपावली हमारी परंपरा है, जिसे हम हर वर्ष हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं.

विकासनगर: जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र में बुधवार को दीपावली को लेकर भिरुड़ी पर्व मनाया गया. इस दौरान गांव के मुखिया ने पंचायती आंगन से महासू देवता के नाम अखरोट बिखेरे. जिसे लोगों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया. लोगों ने पंचायती आंगन में सामूहिक रूप से तांदी हारूल नृत्य कर एक-दूसरे को पर्व की बधाई दी.

तांदी हारूल नृत्य कर दी एक-दूसरे को बधाई .

दरअसल, देहरादून जिले से सटे हुए जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र में इन दिनों दीपावली मनाया जा रहा है. बुधवार को लोगों ने सुबह उठकर भीमल से बने मशाल जलाकर पर्व का आगाज किया. साथ ही इष्ट देवता के मंदिरों में जाकर माथा टेक सुख समृद्धि की कामना की. पंचायती आंगन में सभी ग्रामीणों ने एकत्रित होकर तांदी, हारूल, झैंता, रासो नृत्य कर दिवाली की खुशी जाहिर की.

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ग्रामीण चंद बिष्ट ने बताया कि जौनसार बावर में जनजाति दीपावली हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है. दीपवली हर साल पौराणिक परंपराओं से मनाई जाती है.उन्होंने बताया कि यह त्योहार आपसी भाईचारे, प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है. वहीं, एक स्थानीय महिला ने बताया कि दीपावली हमारी परंपरा है, जिसे हम हर वर्ष हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं.

Intro:विकासनगर जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र में दूसरे दिन दीपावली को लेकर भिरुडी पर्व मनाया गया गांव के मुखिया ने पंचायती आंगन से महासू देवता के नाम अखरोट बिखेर कर लोगों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया लोगों ने पंचायती आंगन में सामूहिक रूप से तांदी हारूल नृत्य कर पर्व की बधाई देख कर खुशी मनाई


Body:देहरादून जिले से सटे हुए जौनसार बाबर जनजाति क्षेत्र में इन दिनों दीपावली का जश्न मनाया जा रहा है दिवाली के दूसरे दिन लोगों ने सुबह उठकर सबसे पहले विमल से बने मसाले जलाकर पर्व का आगाज किया उसके बाद लोगों ने अपने इष्ट देवता के मंदिरों में जाकर माथा टेक सुख समृद्धि की कामना की पंचायती आंगन में सभी ग्रामीण एकत्रित होकर तांदी ,हारूल ,झैंता ,रासो नृत्य कर दिवाली की खुशी जाहिर की एक दूसरे के गले मिलकर दिवाली की बधाई दी उसके पश्चात गांव के बाजगी समाज के लोगों ने गेहूं व जौं से उगाई गई हरियाली देवता के मंदिर में चढ़ा कर महिला व पुरुष व बच्चों को दी गई जिसे लोगों ने हर्ष के साथ स्वीकार किया साथ ही महिलाओं ने सामूहिक रूप से देवता के आशीर्वाद स्वरुप बाजगी से गीत के माध्यम से स्थानीय भाषा में हरियाली की मांग की जिसे सोने की हरियाली भी कहा जाता है पंचायती आंगन मैं गांव के मुखिया ऊंचे स्थान से महासू देवता को समर्पित प्रसाद के रूप में अखरोट बिखेरे जाते है जिसे भिरुडी कहा जाता है और सभी स्थानीय ग्रामीण प्रसाद के रूप में अखरोट उठाकर स्वीकार करते हैं पर्व पर जौनसार बावर में हारूल ,झैंता ,तांदी नृत्य गीत का सिलसिला देर रात तक जारी है


Conclusion: ग्रामीण श्री चंद बिष्ट ने बताया कि हमारे जौनसार बावर में जनजाति दीपावली हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है दिवाली पौराणिक परंपराओं से मनाई जाति रही है और हम अपने गांव में प्रतिवर्ष दिवाली मनाने आते हैं यह त्यौहार आपसी भाईचारे व प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है
महिला रोशनी बताती है कि यह दीपावली हमारी परंपरा है हम लोग बाहर रहते हैं मेरे पति नौकरी करते हैं हम अपने गांव इस पौराणिक परंपरा से चली आ रही दिवाली पर जरूर आते हम सब लोग प्रेम भाव से इस त्योहार को मनाते हैं आज भिरुडी पर्व है जो महासू देवता को समर्पित है इसमें प्रसाद के रूप में लोग अखरोट को ग्रहण करते हैं सभी लोग महिला पुरुष बच्चे आंगन में हर्षोल्लास के साथ दिवाली का त्यौहार मना रहे हैं

बाइट _श्रीचंद बिष्ट
बाइट_ रोशनी बिष्ट

पीटीसी
Last Updated : Nov 27, 2019, 8:18 PM IST
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