ETV Bharat / state

उत्तराखंड के तीन प्रत्याशियों के ठेंगे पर चुनाव आयोग के नियम, क्या होगी इन पर कोई कार्रवाई?

उत्तराखंड की लोकसभा सीटों के प्रत्याशियों का कुछ ऐसा है आपराधिक रिकॉर्ड. देखें पूरा आंकड़ा

कॉन्सेप्ट इमेज.
author img

By

Published : Apr 24, 2019, 3:02 PM IST

Updated : Apr 25, 2019, 7:46 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड के पांच लोकसभा सीटों पर 52 प्रत्याशियों की किस्मत 11 अप्रैल को ईवीएम में कैद हो चुकी है. मतदान दिवस से 48 घंटे पहले सभी प्रत्याशियों को अपना अपराधिक इतिहास सर्वजनिक करना था. लेकिन, कई प्रत्याशी ऐसी भी हैं जिन्होंने अपना आपराधिक इतिहास सार्वजनिक नहीं किया है. प्रदेश की सभी सीटों की बात करें तो 52 प्रत्याशियों द्वारा दिए गये एफिडेविट के मुताबिक 8 प्रत्याशी ऐसे हैं, जिनका आपराधिक इतिहास रहा है. इनमें से तीन प्रत्याशियों ने इसे सार्वजनिक नहीं किया है. जिसका ये मतलब है कि इन्हें चुनाव आयोग का भी डर नहीं है.

निर्वाचन आयोग के नियमानुसार 26 मार्च को नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि के बाद सभी प्रत्याशियों को मतदान दिवस से 48 घंटा पहले अपना आपराधिक इतिहास सार्वजनिक करना था. बावजूद इसके तीन प्रत्याशियों ने नियम का उल्लंघन किया है. इसमें टिहरी लोकसभा सीट से उत्तराखंड क्रांति दल के प्रत्याशी जयप्रकाश, बहुजन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सतपाल शामिल हैं. इसके अलावा टिहरी लोकसभा सीट से ही उत्तराखंड क्रांति दल डेमोक्रेटिक के प्रत्याशी अनु पंत ने सिर्फ एक अखबार में अपना अपराध इतिहास पब्लिश करवाया है.

वी.षणमुगम, अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी.

लोकसभा की 5 सीटों में से अगर टिहरी लोकसभा सीट की बात करें तो इस सीट पर सबसे ज्यादा चार उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. इसके अलावा अन्य चारों लोकसभा सीटों पर एक-एक प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं.

पढ़ें- लकी ड्रॉ के नाम पर लगाया 7 करोड़ का चूना, पुलिस हिरासत में 'बंटी-बबली'

8 प्रत्याशियों का आपराधिक इतिहास

  1. टिहरी लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी प्रीतम सिंह का अपराधिक इतिहास रहा है. प्रीतम सिंह पर IPC धारा 147, 149, 332, 353, 336 के तहत मुकदमे दर्ज हैं. इन सभी आपराधिक मामलों में अभी दोष सिद्ध नहीं हुआ है. प्रीतम सिंह ने मतदान से पहले तीन अखबारों में अपना अपराधिक इतिहास छपवाया है.
  2. टिहरी लोकसभा सीट से यूकेडी (डेमोक्रेटिक) के प्रत्याशी अनु पंत पर IPC की धारा 147, 323, 504 के तहत मुकदमे दर्ज हैं. इनपर लगे इन धाराओं में अभी दोष सिद्ध नहीं हुआ है. अनुपम ने मतदान से पहले सिर्फ एक अखबार में अपना अपराधिक इतिहास छपवाया था, जबकि इसे कम से कम 3 अखबारों में पब्लिश करवाना था.
  3. टिहरी लोकसभा सीट से यूकेडी के प्रत्याशी जयप्रकाश उपाध्याय पर आईपीसी की धारा 147, 341, 353 के तहत मुकदमे दर्ज हैं. जयप्रकाश ने अपना अपराधिक इतिहास सर्वजनिक ही नहीं किया, जबकि नियमानुसार कम से कम तीन अखबारों में इसे प्रकाशित करना था. बता दें कि इन सभी अपराधिक मामलों में अभी दोष सिद्ध नहीं हुआ है.
  4. टिहरी लोकसभा सीट से बहुजन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सतपाल का आपराधिक इतिहास रहा है. सतपाल पर आईपीसी की धारा 420, 120-बी, 504 के तहत मुकदमे दर्ज हैं. इनमें से किसी भी मामले में इनपर दोष सिद्ध नहीं हुआ है. लेकिन, जयप्रकाश ने अपना अपराधिक इतिहास सार्वजनिक नहीं किया.
  5. अल्मोड़ा लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा पर आईपीसी धारा 147, 149, 332, 353, 336 के तहत मुकदमे दर्ज रहे हैं. इनपर भी मामले को लेकर दोष सिद्ध नहीं हुआ है और न ही कोई भी अपराधिक मामला लंबित है. प्रदीप टम्टा ने मतदान से पहले अपने अपराधिक इतिहासों को सार्वजनिक कर दिया था.
  6. नैनीताल-उधम सिंह नगर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत का भी आपराधिक इतिहास रहा है. हरीश रावत पर आईपीसी धारा 499, 500, 120-b के तहत मुकदमे दर्ज हैं. वर्तमान समय में हरीश रावत पर कोई भी अपराधिक मामला लंबित नहीं है और न ही कोई अपराध सिद्ध हुआ है. मतदान से पहले हरदा भी अपने अपराधिक इतिहासों को प्रकाशित करवा चुके हैं.
  7. गढ़वाल लोकसभा सीट से उत्तराखंड क्रांति दल के प्रत्याशी शांति प्रसाद भट्ट का आपराधिक इतिहास रहा है. भट्ट पर आईपीसी की धारा 147, 353, 427, 436, 323, 504, 506 के तहत मुकदमे दर्ज हैं. इनमें से किसी मामले में दोष सिद्ध नहीं हुआ है. मतदान से पहले ये अपना आपराधिक इतिहास अखबारों में छपवा चुके हैं.
  8. हरिद्वार लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी मनीष वर्मा पर धारा 406, 467, 468, 471, 147, 148, 452, 353, 504, 506, 437 के तहत मुकदमे दर्ज हैं. इनमें से किसी भी मामले में दोष सिद्ध नहीं हुआ है. वर्मा अपने आपराधिक इतिहासों को पब्लिश करवा चुके हैं.

आपराधिक मामलों को सार्वजनिक करना क्यों जरूरी है ?
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सितंबर 2018 में लिए गए फैसले को ध्यान में रखते हुए भारत निर्वाचन आयोग ने पहली बार लोकसभा चुनाव 2019 में इस व्यवस्था को लागू किया. इसके तहत आपराधिक रिकॉर्ड वाले प्रत्याशियों को नामांकन भरने के बाद अपने आपराधिक मामलों को सार्वजनिक करने की व्यवस्था की है. इसके लिए सभी आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को तीन बार अखबारों में विज्ञापन पब्लिश करवाना होता है, ताकि आम लोगों को उन प्रत्याशियों के आपराधिक मामलों की जानकारी हो सके और आम जनता सही फैसला ले सके.

विज्ञापन सार्वजनिक न करने पर होगी ये कार्रवाई
निर्वाचन आयोग की मानें तो अपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार अगर अपने आपराधिक मामलों को सार्वजनिक नहीं करते हैं, तो ऐसे प्रत्याशियों को उनके संबंधित आरओ (RO) नोटिस भेजता है. ऐसे प्रत्याशियों को अदालत की अवमानना का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि अबतक ये स्पष्ट नहीं है कि इसके तहत आपराधिक पृष्ठिभूमि वाले उम्मीदवारों को अपने आपराधिक मामलों को सार्वजनिक न करने पर किस तरह का दंड भुगतना पड़ सकता है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की इस व्यवस्था से राजनीति के आपराधीकरण पर प्रभावी ढंग से अंकुश जरूर लगेगा.

देहरादून: उत्तराखंड के पांच लोकसभा सीटों पर 52 प्रत्याशियों की किस्मत 11 अप्रैल को ईवीएम में कैद हो चुकी है. मतदान दिवस से 48 घंटे पहले सभी प्रत्याशियों को अपना अपराधिक इतिहास सर्वजनिक करना था. लेकिन, कई प्रत्याशी ऐसी भी हैं जिन्होंने अपना आपराधिक इतिहास सार्वजनिक नहीं किया है. प्रदेश की सभी सीटों की बात करें तो 52 प्रत्याशियों द्वारा दिए गये एफिडेविट के मुताबिक 8 प्रत्याशी ऐसे हैं, जिनका आपराधिक इतिहास रहा है. इनमें से तीन प्रत्याशियों ने इसे सार्वजनिक नहीं किया है. जिसका ये मतलब है कि इन्हें चुनाव आयोग का भी डर नहीं है.

निर्वाचन आयोग के नियमानुसार 26 मार्च को नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि के बाद सभी प्रत्याशियों को मतदान दिवस से 48 घंटा पहले अपना आपराधिक इतिहास सार्वजनिक करना था. बावजूद इसके तीन प्रत्याशियों ने नियम का उल्लंघन किया है. इसमें टिहरी लोकसभा सीट से उत्तराखंड क्रांति दल के प्रत्याशी जयप्रकाश, बहुजन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सतपाल शामिल हैं. इसके अलावा टिहरी लोकसभा सीट से ही उत्तराखंड क्रांति दल डेमोक्रेटिक के प्रत्याशी अनु पंत ने सिर्फ एक अखबार में अपना अपराध इतिहास पब्लिश करवाया है.

वी.षणमुगम, अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी.

लोकसभा की 5 सीटों में से अगर टिहरी लोकसभा सीट की बात करें तो इस सीट पर सबसे ज्यादा चार उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. इसके अलावा अन्य चारों लोकसभा सीटों पर एक-एक प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं.

पढ़ें- लकी ड्रॉ के नाम पर लगाया 7 करोड़ का चूना, पुलिस हिरासत में 'बंटी-बबली'

8 प्रत्याशियों का आपराधिक इतिहास

  1. टिहरी लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी प्रीतम सिंह का अपराधिक इतिहास रहा है. प्रीतम सिंह पर IPC धारा 147, 149, 332, 353, 336 के तहत मुकदमे दर्ज हैं. इन सभी आपराधिक मामलों में अभी दोष सिद्ध नहीं हुआ है. प्रीतम सिंह ने मतदान से पहले तीन अखबारों में अपना अपराधिक इतिहास छपवाया है.
  2. टिहरी लोकसभा सीट से यूकेडी (डेमोक्रेटिक) के प्रत्याशी अनु पंत पर IPC की धारा 147, 323, 504 के तहत मुकदमे दर्ज हैं. इनपर लगे इन धाराओं में अभी दोष सिद्ध नहीं हुआ है. अनुपम ने मतदान से पहले सिर्फ एक अखबार में अपना अपराधिक इतिहास छपवाया था, जबकि इसे कम से कम 3 अखबारों में पब्लिश करवाना था.
  3. टिहरी लोकसभा सीट से यूकेडी के प्रत्याशी जयप्रकाश उपाध्याय पर आईपीसी की धारा 147, 341, 353 के तहत मुकदमे दर्ज हैं. जयप्रकाश ने अपना अपराधिक इतिहास सर्वजनिक ही नहीं किया, जबकि नियमानुसार कम से कम तीन अखबारों में इसे प्रकाशित करना था. बता दें कि इन सभी अपराधिक मामलों में अभी दोष सिद्ध नहीं हुआ है.
  4. टिहरी लोकसभा सीट से बहुजन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सतपाल का आपराधिक इतिहास रहा है. सतपाल पर आईपीसी की धारा 420, 120-बी, 504 के तहत मुकदमे दर्ज हैं. इनमें से किसी भी मामले में इनपर दोष सिद्ध नहीं हुआ है. लेकिन, जयप्रकाश ने अपना अपराधिक इतिहास सार्वजनिक नहीं किया.
  5. अल्मोड़ा लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा पर आईपीसी धारा 147, 149, 332, 353, 336 के तहत मुकदमे दर्ज रहे हैं. इनपर भी मामले को लेकर दोष सिद्ध नहीं हुआ है और न ही कोई भी अपराधिक मामला लंबित है. प्रदीप टम्टा ने मतदान से पहले अपने अपराधिक इतिहासों को सार्वजनिक कर दिया था.
  6. नैनीताल-उधम सिंह नगर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत का भी आपराधिक इतिहास रहा है. हरीश रावत पर आईपीसी धारा 499, 500, 120-b के तहत मुकदमे दर्ज हैं. वर्तमान समय में हरीश रावत पर कोई भी अपराधिक मामला लंबित नहीं है और न ही कोई अपराध सिद्ध हुआ है. मतदान से पहले हरदा भी अपने अपराधिक इतिहासों को प्रकाशित करवा चुके हैं.
  7. गढ़वाल लोकसभा सीट से उत्तराखंड क्रांति दल के प्रत्याशी शांति प्रसाद भट्ट का आपराधिक इतिहास रहा है. भट्ट पर आईपीसी की धारा 147, 353, 427, 436, 323, 504, 506 के तहत मुकदमे दर्ज हैं. इनमें से किसी मामले में दोष सिद्ध नहीं हुआ है. मतदान से पहले ये अपना आपराधिक इतिहास अखबारों में छपवा चुके हैं.
  8. हरिद्वार लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी मनीष वर्मा पर धारा 406, 467, 468, 471, 147, 148, 452, 353, 504, 506, 437 के तहत मुकदमे दर्ज हैं. इनमें से किसी भी मामले में दोष सिद्ध नहीं हुआ है. वर्मा अपने आपराधिक इतिहासों को पब्लिश करवा चुके हैं.

आपराधिक मामलों को सार्वजनिक करना क्यों जरूरी है ?
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सितंबर 2018 में लिए गए फैसले को ध्यान में रखते हुए भारत निर्वाचन आयोग ने पहली बार लोकसभा चुनाव 2019 में इस व्यवस्था को लागू किया. इसके तहत आपराधिक रिकॉर्ड वाले प्रत्याशियों को नामांकन भरने के बाद अपने आपराधिक मामलों को सार्वजनिक करने की व्यवस्था की है. इसके लिए सभी आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को तीन बार अखबारों में विज्ञापन पब्लिश करवाना होता है, ताकि आम लोगों को उन प्रत्याशियों के आपराधिक मामलों की जानकारी हो सके और आम जनता सही फैसला ले सके.

विज्ञापन सार्वजनिक न करने पर होगी ये कार्रवाई
निर्वाचन आयोग की मानें तो अपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार अगर अपने आपराधिक मामलों को सार्वजनिक नहीं करते हैं, तो ऐसे प्रत्याशियों को उनके संबंधित आरओ (RO) नोटिस भेजता है. ऐसे प्रत्याशियों को अदालत की अवमानना का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि अबतक ये स्पष्ट नहीं है कि इसके तहत आपराधिक पृष्ठिभूमि वाले उम्मीदवारों को अपने आपराधिक मामलों को सार्वजनिक न करने पर किस तरह का दंड भुगतना पड़ सकता है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की इस व्यवस्था से राजनीति के आपराधीकरण पर प्रभावी ढंग से अंकुश जरूर लगेगा.

Intro:उत्तराखंड के पांचों लोकसभा सीटों पर 52 प्रत्याशी चुनावी अखाड़े में है। जिनका भाग्य 11 अप्रैल ईवीएम में कैद हो चुका है। हालांकि मतदान दिवस से 48 घंटे पहले सभी प्रत्याशियों को अपना अपराधिक इतिहास सर्वजनिक करना था। लेकिन कई प्रत्याशी ऐसी भी हैं जिन्होंने अपना अपराधिक इतिहास सर्वजनिक नहीं किया। हालांकि अगर प्रदेश के पांचों सीटों की बात करें तो पांचों सीटों में कुल 52 प्रत्याशी चुनावी अखाड़े में है, और प्रत्याशीयो द्वारा भरे गए एफिडेविट के मुताबिक 8 प्रत्याशी ऐसे हैं जिनका अपराधिक इतिहास रहा है।


Body:निर्वाचन आयोग की नियमानुसार 26 मार्च को नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि के बाद सभी प्रत्याशियों को मतदान दिवस से 48 घंटा पहले अपना अपराधिक इतिहास सर्वजनिक करना था। बावजूद इसके तीन प्रत्याशी ऐसे भी हैं जिन्होंने अपना अपराधिक इतिहास सार्वजनिक रूप से पब्लिक नहीं किया। हालांकि अपना अपराधिक इतिहास पब्लिश ना करने वाले प्रत्याशियों की बात करें तो टिहरी लोकसभा सीट से उत्तराखंड क्रांति दल के प्रत्याशी जयप्रकाश, बहुजन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सतपाल ने अपना आपराधिक इतिहास पब्लिस नही किया है। इसके साथ ही टिहरी लोकसभा सीट से ही उत्तराखंड क्रांति दल डेमोक्रेटिक के प्रत्याशी अनु पंत ने मात्र एक अखबार में अपना अपराध इतिहास पब्लिश किया है।


8 प्रत्याशियो का है आपराधिक इतिहास ........

प्रदेश की 5 लोकसभा सीटों पर कुल 8 प्रत्याशी ऐसे हैं जिन पर अपराधिक मामले दर्ज हैं हालांकि 5 सीटों में से अगर टिहरी लोकसभा सीट की बात करें तो टिहरी लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा चार उम्मीदवार ऐसे हैं जिन पर अपराधिक मामले दर्ज हैं। इसके साथ ही बाकी बचे चारों लोकसभा सीटों पर एक-एक प्रत्याशीयो पर अपराधिक मामले दर्ज हैं।


1 - टिहरी लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी प्रीतम सिंह का अपराधिक इतिहास रहा है। और प्रीतम सिंह पर आईपीसी धारा 147, 149, 332, 353, 336 के तहत मुकदमे दर्ज हैं, हालांकि इन सभी आपराधिक मामलों में अभी दोष सिद्ध नहीं हुआ है। और प्रीतम सिंह ने मतदान से पहले तीन अखबारों में अपना अपराधिक इतिहास पब्लिश कर चुके हैं।


2 - टिहरी लोकसभा सीट से यूकेडी (डेमोक्रेटिक) के प्रत्याशी अनु पंत का अपराधिक इतिहास रहा है और अनु पंत पर आईपीसी धारा 147, 323, 504 के तहत मुकदमे दर्ज है। हालांकि इन सभी अपराधिक मामलों में अभी दोष सिद्ध नहीं हुआ है और अनुपम ने मतदान से पहले सिर्फ एक अखबार में अपना अपराधिक इतिहास पब्लिश किया है। बाकी 2 और अखबारों में पब्लिश करना था लेकिन वहां पब्लिश नहीं किया।


3 - टिहरी लोकसभा सीट से यूकेडी के प्रत्याशी जयप्रकाश उपाध्याय का अपराधिक इतिहास रहा है और जयप्रकाश पर आईपीसी धारा 147, 341, 353 के तहत मुकदमे दर्ज है। हालांकि इन सभी अपराधिक मामलों में अभी दोष सिद्ध नहीं हुआ है और जयप्रकाश ने अपना अपराधिक इतिहास सर्वजनिक नहीं किया है।


4 - टिहरी लोकसभा सीट से बहुजन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सतपाल का अपराधिक इतिहास रहा है और सतपाल पर आईपीसी धारा 420, 120 बी, 504 के तहत मुकदमे दर्ज है। हालांकि इन सभी आपराधिक मामले में अभी दोष सिद्ध नहीं हुआ है, लेकिन जयप्रकाश ने अपना अपराधिक इतिहास सर्वजनिक नहीं किया है।


5 - अल्मोड़ा लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा का अपराधिक इतिहास रहा है। और प्रदीप टम्टा पर आईपीसी धारा 147, 149, 332, 353, 336 के तहत मुकदमे दर्ज हैं, हालांकि इन सभी आपराधिक मामलों में अभी दोष सिद्ध नहीं हुआ है। और वर्तमान समय में टम्टा पर कोई भी अपराधिक मामला लंबित नहीं है। और प्रदीप टम्टा ने मतदान से पहले अपने अपराधिक इतिहासो को पब्लिस कर चुके हैं।


6 - नैनीताल - उधमसिंह नगर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत का आपराधिक इतिहास रहा है। और हरीश रावत पर आईपीसी धारा 499, 500, 120-b के तहत मुकदमे दर्ज हैं। हालांकि इन सभी आपराधिक मामलों में अभी दोष सिद्ध नहीं हुआ है। और वर्तमान समय में हरीश रावत पर कोई भी अपराधिक मामला लंबित नहीं है। और मतदान से पहले अपने अपराधिक इतिहासो को पब्लिस कर चुके हैं।


7 - गढ़वाल लोकसभा सीट से उत्तराखंड क्रांति दल के प्रत्याशी शांति प्रसाद भट्ट का आपराधिक इतिहास रहा है। और भट्ट पर आईपीसी धारा 147, 353, 427, 436, 323, 504, 506 के तहत मुकदमे दर्ज है। हालांकि इन सभी आपराधिक मामलों में अभी दोष सिद्ध नहीं हुआ है। और मतदान से पहले अपने अपराधिक इतिहासो को पब्लिस कर चुके हैं।


8 - हरिद्वार लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी मनीष वर्मा का अपराधिक इतिहास रहा है। और मनीष वर्मा पर धारा 406, 467, 468, 471, 147, 148, 452, 353, 504, 506, 437 के तहत मुकदमे दर्ज है। हालांकि इन सभी आपराधिक मामलों में अभी दोष सिद्ध नहीं हुआ है। और मतदान से पहले वर्मा अपने अपराधिक इतिहासो को पब्लिस कर चुके हैं।


Conclusion:
Last Updated : Apr 25, 2019, 7:46 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.