देहरादून: एसटीएफ को बड़ी सफलता हाथ लगी है. एसटीएफ ने लोगों से ठगी करने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. एसटीएफ आरोपी की तलाश में कई शहरों की खाक छान रही थी. आरोपी सोसायटी में निवेश के नाम पर रकम दोगुनी करने का झांसा देकर करोड़ों की ठगी कर चुका है. जेकेवी मल्टी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी के डायरेक्टर को एसटीएफ ने गाजीपुर (यूपी) के एक होटल से गिरफ्तारी की गयी है. वहीं आरोपी पर पुलिस ने 25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था, साथ ही आरोपी दो साल से फरार चल रहा था.
बता दें कि आरोपी विकास नाथ त्रिपाठी ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर, एक जेकेवी मल्टी स्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव नामक सोसाइटी बनाई और सोसाइटी में डायरेक्टर के पद पर था. आरोपियों ने सोसाइटी बनाकर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश,राजस्थान और बिहार में अपनी ब्रांच खोलकर लोगों को अलग-अलग स्कीमों में ज्यादा ब्याज का लालच देकर करोड़ों रुपए की ठगी कर ली. समिति की खटीमा और हल्द्वानी में भी ब्रांच थी. जिसमें खटीमा के लोगों का करीब एक करोड़ 25 लाख रुपए और हल्द्वानी में करीब 90 लाख रुपए रुपए का गबन आरोपियों द्वारा किया गया था. जिसके बाद आरोपी विकास नाथ त्रिपाठी के खिलाफ थाना खटीमा जनपद उधम सिंह नगर में धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया गया था. मुकदमा पंजीकृत होने के बाद आरोपी लगातार फरार चल रहा था.
पढ़ें-हल्द्वानी के युवक को फिनलैंड में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगे करीब 10 लाख रुपए, ऐसे आया साइबर ठगों के झांसे में
एसएसपी नैनीताल ने आरोपी पर 25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था. पुलिस लगातार आरोपों की गिरफ्तारी के लिए उसके संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही थी. जिसके बाद एसटीएफ टीम ने आरोपी विकास नाथ त्रिपाठी निवासी बहराइच को गाजीपुर के एक होटल से गिरफ्तारी की गयी है.आरोपी के अन्य साथियों की गिरफ्तारी के लिए भी टीमें सक्रिय है और जल्द और भी गिरफ्तारियां की जाएगी. एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया है कि टीम द्वारा एक शातिर अन्तर्राज्यीय ठग को गाजीपुर से गिरफ्तार किया है. जिसके ऊपर उत्तराखंड और यूपी में धोखाधड़ी व ठगी के करीब 18 मुकदमे दर्ज हैं.
पढ़ें-हरिद्वार में फर्जी डीएम गिरफ्तार, युवाओं को नौकरी दिलाने के नाम पर करता था ठगी
यह एक तरह का आर्गेनाइज्ड क्राइम था. साथ ही सोसायटी के निदेशक,अधिकारी, कर्मी अशिक्षित, गरीब, बेरोजगारों को कम समय में रकम दोगुनी करने का झांसा देते थे. इसके लिए लोगों का सोसायटी में खाता खुलवाया जाता और रकम जमा कराई जाती थी. बाद में बैंक खातों के जरिये जमा रकम को सोसायटी के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता था. वहां से रकम का गबन हो जाता था. अभी तक की जांच-पड़ताल से दो करोड़ से ज्यादा का गबन सामने आया है. वहीं अन्य राज्यों की शाखाओं का गबन मिलाकर घोटाला कई करोड़ों तक पहुंच सकता है.