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पेशावर कांड की 91वीं वर्षगांठ पर महानायक को किया गया याद - CPM program on peshawar Rebellion

23 अप्रैल 1930 को घटित हुआ था पेशावर कांड. यही वो दिन था जब दुनिया से एक वीर सैनिक का असली परिचय हुआ था. एक वीर सैनिक ने पेशावर में देश की आजादी के लिये लड़ने वाले निहत्थे पठानों पर गोली चलाने से इनकार जो कर दिया था.

dehradun
पेशावर विद्रोह की 19वीं वर्षगांठ
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Published : Apr 23, 2021, 4:16 PM IST

Updated : Apr 23, 2021, 4:26 PM IST

देहरादून: पेशावर विद्रोह की 91वीं वर्षगांठ पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से प्रदेश कार्यालय में कार्यक्रम का आयोजित किया गया. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सहित ऐतिहासिक विद्रोह में शामिल सैनिकों को याद कर उनके चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किए.

आयोजन कार्यालय में वक्ताओं ने कहा कि यह दिन देश भक्ति और सांप्रदायिक एकता की मिसाल है. 23 अप्रैल 1930 को वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नेतृत्व में सैनिकों ने पेशावर के किस्सा खानी बाजार में पठानों पर गोली चलाने से साफ इनकार कर दिया था. आगे चलकर इन सैनिकों को इस नाफरमानी की भारी कीमत चुकानी पड़ी थी, लेकिन सैनिकों ने गढ़वाल का सिर दुनिया के सामने ऊंचा कर दिया था.

ये भी पढ़ें: किसान ने जैविक तरीके से उगाया काला गेहूं, कई बीमारियों में है फायदेमंद

इस मौके पर सीटू के जिला अध्यक्ष लेखराज ने कहा कि आज पेशावर विद्रोह के सैनिकों का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है. क्योंकि इतिहास के पन्नों में पेशावर विद्रोह महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक रहा है. उन्होंने कहा कि कड़ी सजा पाने के बावजूद भी पेशावर विद्रोह के सैनिकों ने आजादी के बाद नए भारत के निर्माण के लिए अपना अहम योगदान दिया.

देहरादून: पेशावर विद्रोह की 91वीं वर्षगांठ पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से प्रदेश कार्यालय में कार्यक्रम का आयोजित किया गया. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सहित ऐतिहासिक विद्रोह में शामिल सैनिकों को याद कर उनके चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किए.

आयोजन कार्यालय में वक्ताओं ने कहा कि यह दिन देश भक्ति और सांप्रदायिक एकता की मिसाल है. 23 अप्रैल 1930 को वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नेतृत्व में सैनिकों ने पेशावर के किस्सा खानी बाजार में पठानों पर गोली चलाने से साफ इनकार कर दिया था. आगे चलकर इन सैनिकों को इस नाफरमानी की भारी कीमत चुकानी पड़ी थी, लेकिन सैनिकों ने गढ़वाल का सिर दुनिया के सामने ऊंचा कर दिया था.

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इस मौके पर सीटू के जिला अध्यक्ष लेखराज ने कहा कि आज पेशावर विद्रोह के सैनिकों का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है. क्योंकि इतिहास के पन्नों में पेशावर विद्रोह महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक रहा है. उन्होंने कहा कि कड़ी सजा पाने के बावजूद भी पेशावर विद्रोह के सैनिकों ने आजादी के बाद नए भारत के निर्माण के लिए अपना अहम योगदान दिया.

Last Updated : Apr 23, 2021, 4:26 PM IST
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