देहरादून: कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने प्रदेश में जमकर कहर बरपाया. इस दौरान सरकार, प्रशासनिक अमला और आम लोग लगातार एक दूसरे से जुड़कर लोगों की मदद में लगे रहे. इस दौर में लोगों की मदद के लिए तमाम सामाजिक संगठनों ने भी हाथ बढ़ाए. हजारों लोगों की मदद की. इसी क्रम में कुछ अनजान लोगों ने एक साथ मिलकर सैकड़ों अनजान लोगों की मदद की. समाजसेवी विजय पाल रावत उन्हीं में से एक हैं. विजय ने व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से कई अनजान लोगों को जोड़कर सैकड़ों जरूरतमंद लोगों को मदद की.
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान समाजसेवी विजय पाल रावत ने लोगों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाये. उन्होंने फिजिकली लोगों की मदद करने की बजाय सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म को चुना. जिसके लिए उन्होंने सबसे पहले कोविड हेल्प सेंटर यूके (covid help center uk) नाम से एक ग्रुप बनाया. इसमें उन्होंने अपने जानने वालों को जोड़ना शुरू किया.
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ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए विजय पाल रावत ने बताया कि उनके दिमाग में कुछ ऐसा आया कि वह घर बैठे ही लोगों की मदद कर सकें. तभी उन्हें इस बात की जानकारी मिली कि अधिकतम लोगों को सही सूचनाएं नहीं मिल पा रही हैं. जिसके चलते उन्होंने आम लोगों तक सही सूचनाएं पहुंचाने के लिए एक ग्रुप तैयार किया.
शुरुआत में 200 लोगों को जोड़ा गया. फिर धीरे-धीरे इस ग्रुप में उनके जानकारों के साथ ही उनके जानकारों ने अपने जानकारों को जोड़ना शुरू किया. धीरे-धीरे उन्होंने लोगों की मदद करने के लिए एक पूरा नेटवर्क खड़ा कर दिया, जिसमें सैकड़ों लोगों को शामिल किया गया.
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ऐसे में ग्रुप में जिसकी भी समस्याएं आती थी, उसके निस्तारण के लिए उन्हें सही सुझाव दिया जाता था. सही सूचना देकर उनकी समस्याओं को सुलझाया जाता था. शुरुआत में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे जब उनके साथ लोग जुड़ने लगे तो ऐसे में लोगों ने सही सूचनाओं को साझा करना शुरू किया. जिससे एक पूरा नेटवर्क तैयार हो गया. यहां लोगों को एक दूसरे की मदद करने में आसानी होने लगी.
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विजय पाल बताते हैं कि उनके देहरादून ग्रुप में जितने लोग हैं, उनमें से अधिकांश लोगों से वह कभी मिले ही नहीं हैं. मगर व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से लोगों से बातचीत होती रही. जिससे सभी अनजान लोग मिलकर कई लोगों की मदद कर सके.
इस ग्रुप से जुड़े अन्य लोगों ने बताया कि अलग-अलग काम के लिए अलग-अलग व्यक्ति को चिह्नित किया गया, ताकि काम में घालमेल ना हो. इसके लिए हर एक व्यक्ति को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई. इसके लिए एक अतिरिक्त ग्रुप स्पेशल 30 बनाया गया. जिसमें किस तरह से लोगों की मदद की जानी है उसको लेकर रणनीतियां बनाई गईं.
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ग्रुप से जुड़े सदस्यों ने बताया कि वह लोग न तो घर-घर जाकर राशन बांट रहे हैं. न ही अन्य लोगों की तरह लोगों की मदद कर रहे हैं. बल्कि उन्होंने घर बैठे ही लोगों की मदद करने का काम किया. वर्तमान समय में ये लोग 1000 से अधिक परिवारों की मदद कर चुके हैं.
सदस्यों का मानना है कि अगर लोगों को सही सूचना मिल जाए तो ऐसे में उन्हें किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होगी. लोगों को सही सूचना न मिल पाने की वजह से ही आम जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.