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देवभूमि में गौ माता की दशा! गौशाला संचालक ने कीचड़ में तड़पने के लिए छोड़ा, FIR करेंगे पार्षद - Plight of Cows in Rishikesh

देशभर में लंपी वायरस से गायों की मौत हो रही है. लेकिन ऋषिकेश के भानियावाला स्थित गौशाला में इस बीमारी से नहीं बल्कि अव्यवस्थाओं के चलते गायों की दुर्दशा देखने को मिल रही है. जब मामले में गठित समिति ने गौशाला का निरीक्षण किया तो गौवंश की दुर्दशा देख उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं. यहां चारा पानी का इंतजाम तो दूर की बात, गायें कीचड़ में तड़पती मिलीं.

Rishikesh Caw bad condition
गायों की दुर्दशा
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Published : Oct 11, 2022, 12:32 PM IST

ऋषिकेशः शास्त्रों में गाय को माता का दर्जा दिया गया है. मौजूदा सरकार भी गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रभावी कदम उठाने का दावा करती है. लेकिन देवों की भूमि उत्तराखंड में गायों की जमीनी हकीकत इसके उलट है. सरकारी अनदेखी के चलते सैकड़ों गायें चारा पानी तो छोड़िए, अनुबंधित गौशाला में ही कीचड़ में लोटने और तड़पने को मजबूर हैं. जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

दरअसल, ऋषिकेश नगर निगम (Rishikesh Municipal Corporation) प्रशासन ने कुछ समय पहले निराश्रित गौवंशों को ठिकाना उपलब्ध कराने के लिए भानियावाला की कृष्णा धाम गौशाला (Krishna Dham Gaushala Bhaniyawala) को अनुबंधित किया था. करार के तहत निराश्रित गायों के रहने और चारा-पानी का बेहतर इंतजाम गौशाला संचालक को करना था. इसके लिए बाकायदा अनुबंध में भुगतान भी तय है. बीती 30 सितंबर को आयोजित नगर निगम की बोर्ड बैठक के दौरान गौशाला में गायों के रखरखाव में लापरवाही का मामला उठा था. इस पर सहायक नगर आयुक्त की अगुवाई में गौशाला के स्थलीय निरीक्षण के लिए आठ पार्षदों की एक समिति का गठन किया गया था.

गौशाला संचालक ने गायों को कीचड़ में तड़पने के लिए छोड़ा

सोमवार को तय दिन पर समिति सदस्य गौशाला का निरीक्षण करने पहुंचे तो गौवंश की दुर्दशा देख उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं. चारा-पानी में सदस्यों के मुताबिक लापरवाही मिली है. उन्हें गायें कीचड़ में पड़ी नजर आईं. आरोप है कि निरीक्षण में गौशाला संचालक और कर्मचारियों ने बदसलूकी भी की. इस बीच सदस्यों के साथ धक्का-मुक्की भी हुई. नगर निगम में समिति सदस्यों ने इससे नगर आयुक्त को अवगत कराया. उन्होंने गौशाला संचालक के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम (Prevention of Cruelty to Animals Act) के तहत कार्रवाई की मांग भी की.
ये भी पढ़ेंः 17 सालों से दे रही दूध दे रही है ये कमाल की 'कामधेनु', आजीविका का भी बन रही सहारा

गौशाला संचालक पर दर्ज होनी चाहिए एफआईआरः समिति सदस्य पार्षद विकास तेवतिया (Councilor Vikas Teotia) के मुताबिक, एक अक्टूबर को गौशाला संचालक निगम पहुंचीं थीं. उन्होंने करीब 80 लाख रुपए बकाया का क्लेम किया था. जबकि, एक साल में 30 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है. यह रकम गायों के लिए बेहतर इंतजाम के लिए दी गई. लेकिन बतौर समिति सदस्य गौशाला में उन्होंने खुद गायों की दुर्दशा देखी. उन्होंने कहा कि बकाया अपनी जगह, लेकिन वहां पर गायों को मरने के लिए नहीं छोड़ा गया है. उन्होंने नगर आयुक्त से संचालक पर पशु क्रूरता के तहत केस दर्ज कराने की मांग की है. वहीं, नगर निगम प्रशासन की ओर से कार्रवाई न होने पर उन्होंने खुद शिकायत लेकर पुलिस के पास जाने की बात कही.

मामले में नगर आयुक्त ने क्या कहा? वहीं, नगर आयुक्त राहुल कुमार गोयल (Rishikesh Municipal Commissioner Rahul Kumar Goyal) ने बताया कि बोर्ड बैठक में अनुबंधित गौशाला की व्यवस्था को लेकर प्रश्नचिह्न लगे थे. इसकी वास्तविक स्थिति जानने के लिए सहायक नगर आयुक्त और पार्षदों की समिति को स्थलीय निरीक्षण के लिए भेज गया था. अब यह भी निर्णय लिया गया है कि निगम की जमीन पर कांजी हाउस का निर्माण किया जाएगा. जिससे गायों की देखरेख निगम के हाथों में रहे.

उन्होंने कहा कि गायों की दुर्दशा को लेकर गौशाला संचालक से बात की जाएगी. मामले में विधिक कार्रवाई पर भी विचार किया जा रहा है. वहीं, समिति सदस्यों में सहायक नगर आयुक्त रावत, पार्षद मनीष शर्मा, शिवकुमार गौतम, विकास तेवतिया, देवेंद्र प्रजापति आदि शामिल रहे. इस मामले में गौशाला के संचालक का पक्ष आने के बाद प्रसारित किया जाएगा.

ऋषिकेशः शास्त्रों में गाय को माता का दर्जा दिया गया है. मौजूदा सरकार भी गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रभावी कदम उठाने का दावा करती है. लेकिन देवों की भूमि उत्तराखंड में गायों की जमीनी हकीकत इसके उलट है. सरकारी अनदेखी के चलते सैकड़ों गायें चारा पानी तो छोड़िए, अनुबंधित गौशाला में ही कीचड़ में लोटने और तड़पने को मजबूर हैं. जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

दरअसल, ऋषिकेश नगर निगम (Rishikesh Municipal Corporation) प्रशासन ने कुछ समय पहले निराश्रित गौवंशों को ठिकाना उपलब्ध कराने के लिए भानियावाला की कृष्णा धाम गौशाला (Krishna Dham Gaushala Bhaniyawala) को अनुबंधित किया था. करार के तहत निराश्रित गायों के रहने और चारा-पानी का बेहतर इंतजाम गौशाला संचालक को करना था. इसके लिए बाकायदा अनुबंध में भुगतान भी तय है. बीती 30 सितंबर को आयोजित नगर निगम की बोर्ड बैठक के दौरान गौशाला में गायों के रखरखाव में लापरवाही का मामला उठा था. इस पर सहायक नगर आयुक्त की अगुवाई में गौशाला के स्थलीय निरीक्षण के लिए आठ पार्षदों की एक समिति का गठन किया गया था.

गौशाला संचालक ने गायों को कीचड़ में तड़पने के लिए छोड़ा

सोमवार को तय दिन पर समिति सदस्य गौशाला का निरीक्षण करने पहुंचे तो गौवंश की दुर्दशा देख उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं. चारा-पानी में सदस्यों के मुताबिक लापरवाही मिली है. उन्हें गायें कीचड़ में पड़ी नजर आईं. आरोप है कि निरीक्षण में गौशाला संचालक और कर्मचारियों ने बदसलूकी भी की. इस बीच सदस्यों के साथ धक्का-मुक्की भी हुई. नगर निगम में समिति सदस्यों ने इससे नगर आयुक्त को अवगत कराया. उन्होंने गौशाला संचालक के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम (Prevention of Cruelty to Animals Act) के तहत कार्रवाई की मांग भी की.
ये भी पढ़ेंः 17 सालों से दे रही दूध दे रही है ये कमाल की 'कामधेनु', आजीविका का भी बन रही सहारा

गौशाला संचालक पर दर्ज होनी चाहिए एफआईआरः समिति सदस्य पार्षद विकास तेवतिया (Councilor Vikas Teotia) के मुताबिक, एक अक्टूबर को गौशाला संचालक निगम पहुंचीं थीं. उन्होंने करीब 80 लाख रुपए बकाया का क्लेम किया था. जबकि, एक साल में 30 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है. यह रकम गायों के लिए बेहतर इंतजाम के लिए दी गई. लेकिन बतौर समिति सदस्य गौशाला में उन्होंने खुद गायों की दुर्दशा देखी. उन्होंने कहा कि बकाया अपनी जगह, लेकिन वहां पर गायों को मरने के लिए नहीं छोड़ा गया है. उन्होंने नगर आयुक्त से संचालक पर पशु क्रूरता के तहत केस दर्ज कराने की मांग की है. वहीं, नगर निगम प्रशासन की ओर से कार्रवाई न होने पर उन्होंने खुद शिकायत लेकर पुलिस के पास जाने की बात कही.

मामले में नगर आयुक्त ने क्या कहा? वहीं, नगर आयुक्त राहुल कुमार गोयल (Rishikesh Municipal Commissioner Rahul Kumar Goyal) ने बताया कि बोर्ड बैठक में अनुबंधित गौशाला की व्यवस्था को लेकर प्रश्नचिह्न लगे थे. इसकी वास्तविक स्थिति जानने के लिए सहायक नगर आयुक्त और पार्षदों की समिति को स्थलीय निरीक्षण के लिए भेज गया था. अब यह भी निर्णय लिया गया है कि निगम की जमीन पर कांजी हाउस का निर्माण किया जाएगा. जिससे गायों की देखरेख निगम के हाथों में रहे.

उन्होंने कहा कि गायों की दुर्दशा को लेकर गौशाला संचालक से बात की जाएगी. मामले में विधिक कार्रवाई पर भी विचार किया जा रहा है. वहीं, समिति सदस्यों में सहायक नगर आयुक्त रावत, पार्षद मनीष शर्मा, शिवकुमार गौतम, विकास तेवतिया, देवेंद्र प्रजापति आदि शामिल रहे. इस मामले में गौशाला के संचालक का पक्ष आने के बाद प्रसारित किया जाएगा.

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