ETV Bharat / state

कोरोना: सरकार के लिए चुनौती के साथ मौका भी, आबाद हो सकते हैं भूतिया गांव

कोरोना और लॉकडाउन की वजह से बाहरी प्रदेशों में नौकरी कर रहे लाखों लोगों का रोजगार चला गया. ऐसे हालात में अधिकांश प्रवासियों ने उत्तराखंड का रुख (रिवर्स पलायन) किया है. अब सरकार इन लोगों के गांव में रोजगार के अवसर तलाश रही है, ताकि सालों से वीरान (भूतिया गांव) पड़े गांवों को एक बार फिर से आबाद किया जा सके.

आबाद हो सकते हैं भूतिया गांव
आबाद हो सकते हैं भूतिया गांव
author img

By

Published : May 11, 2020, 8:11 AM IST

Updated : May 11, 2020, 3:57 PM IST

देहरादून: कोरोना की वजह से पूरे विश्व को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ रहा है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. पूरे देश पर इस समय मंदी की मार पड़ी हुई है. कई लोगों की नौकरी चली गई है. उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था भी चरमरा गई है. कोरोना की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन से उत्तराखंड को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ. लेकिन अब कोरोना वायरस उत्तराखंड के लिए एक बड़ा अवसर बन सकता है. आखिर क्या है इसके पीछे की वजह, पढ़िए ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.

उत्तराखंड गठन से पहले और बाद में भी पहाड़ी जिलों के लिए पलायन एक बड़ी समस्या रहा है. अभीतक सरकारों ने पलायन को रोकने के लिए कई योजनाएं तो बनाईं लेकिन जमीनी स्तर पर एक भी कारगार साबित नहीं हुई हैं. त्रिवेंद्र सरकार ने तो पलायन आयोग तक का गठन किया था, ताकि प्रदेश में पलायन को रोकने के साथ ही रिवर्स पलायन भी हो सके. लेकिन सरकार की सभी कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं. लेकिन कोरोना ने वो कर दिया है, जो सरकारें सालों से नहीं कर पाई थीं.

आबाद हो सकते हैं भूतिया गांव.

पढ़ें-लॉकडाउन 3.0: रविवार को 159 प्रवासी लौटे अपने घर

दरअसल, कोरोना और लॉकडाउन की वजह से उत्तराखंड से बाहर नौकरी कर रहे लाखों लोगों का रोजगार चला गया. ऐसे हालात में अधिकांश प्रवासियों ने उत्तराखंड का रुख (रिवर्स पलायन) किया है. अब सरकार इसे एक अवसर के रूप में ले रही है. यानी सालों से वीरान (भूतिया गांव) पड़े गांवों को एक बार फिर से आबाद किया जा सकता है. लाखों प्रवासी जो उत्तराखंड लौट कर आए हैं, उनके लिए गांव में ही रोजगार के अवसर खोले जा सकते हैं. भूतिया गांव फिर से गुलजार हो सकते हैं. लेकिन क्या वास्तव में प्रवासी कोरोना वायरस के खत्म होने के बाद उत्तराखंड में रुकेंगे, ये बड़ा सवाल भी सरकार के सामने है?

प्रवासियों की वापसी से बढ़ेगी उत्तराखंड की आर्थिकी

सरकार भी प्रवासियों की घर वापसी को एक अवसर के रूप में ही देख रही है. उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री और शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक की मानें तो इस महामारी को अगर हम अवसर के रूप में तब्दील कर लेते हैं तो इससे राज्य की आर्थिकी भी बढ़ेगी. अगर ये प्रवासी राज्य में रुककर स्वरोजगार से जुड़ते हैं तो ऐसे में वह खुद भी घर बैठे अपनी आर्थिकी को मजबूत कर पाएंगे. साथ ही कई अन्य लोगों को रोजगार भी मुहैया कराएंगे. सरकार का यह प्रयास अगर सफल हो जाता है तो ये राज्य सरकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी.

पढ़ें- प्रवासी उत्तराखंडियों की घर वापसी का दिन हुआ तय, सूरत से हल्द्वानी के लिए निकलेगी पहली ट्रेन

स्वरोजगार से जोड़ने के लिए बेहतर रोडमैप की है जरूरत

इस बारे में उत्तराखंड इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने बताया कि जो प्रवासी उत्तराखंड वापस आ रहे हैं उनके लिए उत्तराखंड कैबिनेट पहले ही निर्णय कर चुकी है कि उन्हें स्वरोजगार उपलब्ध कराएगी. लेकिन उत्तराखंड सरकार ने जो निर्णय लिया है उसमें स्वरोजगार पर सब्सिडी देने की बात कही है जो नाकाफी है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि इन प्रवासियों के लिए एक बेहतर रोडमैप तैयार करें. ताकि उन्हें बार-बार बैंकों और ऑफिसों के चक्कर न काटने पड़ें और वे सही ढंग से स्वरोजगार से जुड़ सकें.

सबसे बड़ी चुनौती

जहां सरकार प्रवासियों की वापसी में अवसर तलाश रही है तो वहीं कुछ लोग इसे सरकार के लिए बड़ी चुनौती मान रहे हैं. वरिष्ठ जानकार भागीरथ शर्मा की मानें तो प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में छोटे उद्योग लगाने की संभावना बहुत कम है. अगर वहां उद्योग लगाते भी हैं तो उससे कितने लोगों को रोजगार मिलेगा और बैंक कितना स्पोर्ट करेंगे यह एक बड़ा सवाल है? ऐसे में राज्य सरकार का यह कहना कि करोना वायरस एक अवसर है, ये बहुत जल्दबाजी होगी. क्योंकि कोरोना वायरस एक अवसर नहीं बल्कि एक नई चुनौती है. यही नहीं राज्य में तो पहले से ही बेरोजगारों की फौज खड़ी है. ऐसे में इन्हीं बेरोजगारों की संख्या और बढ़ती जा रही है. लिहाजा सरकार को एक दुरुस्त रोडमैप तैयार करने की जरूरत है, नहीं तो यह बेरोजगारी एक बम बनकर फटेगी, जो करोना वायरस से ज्यादा खतरनाक होगा.

पढ़ें-यूपी-उत्तराखंड बॉर्डर पर लिए सात फेरे, दुल्हन ने खुद को किया होम क्वारंटाइन

1,87,909 प्रवासी करा चुके हैं ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन

उत्तराखंड वापस आने को लेकर प्रवासियों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. जी हां, अपने घर वापस आने को लेकर अभी तक देशभर के तमाम राज्यों से 1 लाख 87 हजार 909 लोगों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा लिया है. इसमें से 26 हजार 54 लोगों को उत्तराखंड लाया जा चुका है. इनमें मुख्य रूप से हरियाणा से 12,644, चंडीगढ़ से 4,867, उत्तर प्रदेश से 3,803, राजस्थान से 2,444, दिल्ली से 661, गुजरात से 641, पंजाब से 453, समेत अन्य राज्यों से 541 लोग शामिल हैं.

देहरादून: कोरोना की वजह से पूरे विश्व को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ रहा है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. पूरे देश पर इस समय मंदी की मार पड़ी हुई है. कई लोगों की नौकरी चली गई है. उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था भी चरमरा गई है. कोरोना की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन से उत्तराखंड को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ. लेकिन अब कोरोना वायरस उत्तराखंड के लिए एक बड़ा अवसर बन सकता है. आखिर क्या है इसके पीछे की वजह, पढ़िए ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.

उत्तराखंड गठन से पहले और बाद में भी पहाड़ी जिलों के लिए पलायन एक बड़ी समस्या रहा है. अभीतक सरकारों ने पलायन को रोकने के लिए कई योजनाएं तो बनाईं लेकिन जमीनी स्तर पर एक भी कारगार साबित नहीं हुई हैं. त्रिवेंद्र सरकार ने तो पलायन आयोग तक का गठन किया था, ताकि प्रदेश में पलायन को रोकने के साथ ही रिवर्स पलायन भी हो सके. लेकिन सरकार की सभी कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं. लेकिन कोरोना ने वो कर दिया है, जो सरकारें सालों से नहीं कर पाई थीं.

आबाद हो सकते हैं भूतिया गांव.

पढ़ें-लॉकडाउन 3.0: रविवार को 159 प्रवासी लौटे अपने घर

दरअसल, कोरोना और लॉकडाउन की वजह से उत्तराखंड से बाहर नौकरी कर रहे लाखों लोगों का रोजगार चला गया. ऐसे हालात में अधिकांश प्रवासियों ने उत्तराखंड का रुख (रिवर्स पलायन) किया है. अब सरकार इसे एक अवसर के रूप में ले रही है. यानी सालों से वीरान (भूतिया गांव) पड़े गांवों को एक बार फिर से आबाद किया जा सकता है. लाखों प्रवासी जो उत्तराखंड लौट कर आए हैं, उनके लिए गांव में ही रोजगार के अवसर खोले जा सकते हैं. भूतिया गांव फिर से गुलजार हो सकते हैं. लेकिन क्या वास्तव में प्रवासी कोरोना वायरस के खत्म होने के बाद उत्तराखंड में रुकेंगे, ये बड़ा सवाल भी सरकार के सामने है?

प्रवासियों की वापसी से बढ़ेगी उत्तराखंड की आर्थिकी

सरकार भी प्रवासियों की घर वापसी को एक अवसर के रूप में ही देख रही है. उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री और शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक की मानें तो इस महामारी को अगर हम अवसर के रूप में तब्दील कर लेते हैं तो इससे राज्य की आर्थिकी भी बढ़ेगी. अगर ये प्रवासी राज्य में रुककर स्वरोजगार से जुड़ते हैं तो ऐसे में वह खुद भी घर बैठे अपनी आर्थिकी को मजबूत कर पाएंगे. साथ ही कई अन्य लोगों को रोजगार भी मुहैया कराएंगे. सरकार का यह प्रयास अगर सफल हो जाता है तो ये राज्य सरकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी.

पढ़ें- प्रवासी उत्तराखंडियों की घर वापसी का दिन हुआ तय, सूरत से हल्द्वानी के लिए निकलेगी पहली ट्रेन

स्वरोजगार से जोड़ने के लिए बेहतर रोडमैप की है जरूरत

इस बारे में उत्तराखंड इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने बताया कि जो प्रवासी उत्तराखंड वापस आ रहे हैं उनके लिए उत्तराखंड कैबिनेट पहले ही निर्णय कर चुकी है कि उन्हें स्वरोजगार उपलब्ध कराएगी. लेकिन उत्तराखंड सरकार ने जो निर्णय लिया है उसमें स्वरोजगार पर सब्सिडी देने की बात कही है जो नाकाफी है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि इन प्रवासियों के लिए एक बेहतर रोडमैप तैयार करें. ताकि उन्हें बार-बार बैंकों और ऑफिसों के चक्कर न काटने पड़ें और वे सही ढंग से स्वरोजगार से जुड़ सकें.

सबसे बड़ी चुनौती

जहां सरकार प्रवासियों की वापसी में अवसर तलाश रही है तो वहीं कुछ लोग इसे सरकार के लिए बड़ी चुनौती मान रहे हैं. वरिष्ठ जानकार भागीरथ शर्मा की मानें तो प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में छोटे उद्योग लगाने की संभावना बहुत कम है. अगर वहां उद्योग लगाते भी हैं तो उससे कितने लोगों को रोजगार मिलेगा और बैंक कितना स्पोर्ट करेंगे यह एक बड़ा सवाल है? ऐसे में राज्य सरकार का यह कहना कि करोना वायरस एक अवसर है, ये बहुत जल्दबाजी होगी. क्योंकि कोरोना वायरस एक अवसर नहीं बल्कि एक नई चुनौती है. यही नहीं राज्य में तो पहले से ही बेरोजगारों की फौज खड़ी है. ऐसे में इन्हीं बेरोजगारों की संख्या और बढ़ती जा रही है. लिहाजा सरकार को एक दुरुस्त रोडमैप तैयार करने की जरूरत है, नहीं तो यह बेरोजगारी एक बम बनकर फटेगी, जो करोना वायरस से ज्यादा खतरनाक होगा.

पढ़ें-यूपी-उत्तराखंड बॉर्डर पर लिए सात फेरे, दुल्हन ने खुद को किया होम क्वारंटाइन

1,87,909 प्रवासी करा चुके हैं ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन

उत्तराखंड वापस आने को लेकर प्रवासियों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. जी हां, अपने घर वापस आने को लेकर अभी तक देशभर के तमाम राज्यों से 1 लाख 87 हजार 909 लोगों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा लिया है. इसमें से 26 हजार 54 लोगों को उत्तराखंड लाया जा चुका है. इनमें मुख्य रूप से हरियाणा से 12,644, चंडीगढ़ से 4,867, उत्तर प्रदेश से 3,803, राजस्थान से 2,444, दिल्ली से 661, गुजरात से 641, पंजाब से 453, समेत अन्य राज्यों से 541 लोग शामिल हैं.

Last Updated : May 11, 2020, 3:57 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.