देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना की रफ्तार कम होने के साथ ही सिस्टम ने लापरवाही बरतनी शुरू कर दी है. तीसरी लहर की आशंका के बीच हेल्थ डिपार्टमेंट की ये लापरवाही उत्तराखंड पर भारी पड़ सकती है. कोरोना का ग्राफ गिरने के साथ ही प्रदेश में टेस्ट की संख्या में भी 62 प्रतिशत की कमी आई है.
कोरोना को मात देने के लिए वैक्सीनेशन के साथ सैंपिलिंग पर भी विशेष ध्यान देना होगा. तभी कोरोना को हराया जा सकता है. वैक्सीनेशन पर तो सरकार का पूरा फोकस है, लेकिन कोरोना जांच पर रफ्तार धीमी होती जा रही है. ये बड़ी चिंता का विषय है. वो भी ऐसे समय में जब प्रदेश में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के नए मामले मिल मिल रहे हैं.
पढ़ें- COVID 3rd Wave से निपटने की तैयारी, AIIMS ऋषिकेश में Tele ICU सेवा शुरू
प्रदेश के कोविड वीक 76 में 62 प्रतिशत कम टेस्ट हुए हैं. टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट वैक्सीन और एप्रोप्रियेट बेहेवियर इस लड़ाई में सबसे बड़े हथियार हैं. केंद्र सरकार ने भी सभी प्रदेशों को कोरोना टेस्ट पर विशेष ध्यान देने को कहा था. वहीं उत्तराखंड सरकार ने भी प्रतिदिन 40 हजार कोरोना टेस्ट का लक्ष्य रखा था. लेकिन प्रदेश में कोरोना के 76वें हफ्ते में कोरोना जांच में 62 प्रतिशत की कमी आई है.
76वें (22 से 28 अगस्त) हफ्ते में प्रदेश में कुल 1,06,756 सैंपल लिए गए हैं. इस हिसाब से देखा जाए तो प्रदेश में प्रतिदिन 15,250 ही टेस्ट किए जा रहे हैं. जबकि सरकार ने प्रतिदिन 40 हजार कोरोना टेस्ट का लक्ष्य रखा था.
सोशल डेवलपमेंट फार कम्युनिटी फांउडेशन ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके हिसाब से पिछले पांच हफ्तों से लगातार कोविड टेस्ट में गिरावट देखी जा रही है. कोरोना के लिहाज ये अच्छा नहीं है.