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लॉकडाउन से 'रिचार्ज' हुआ जल संस्थान, बढ़ गई निजी टैंकर संचालकों की परेशानी

उत्तराखंड में लचर व्यवस्था के चलते आलोचना में रहने वाली पेयजल व्यवस्था लॉकडाउन के चलते सुधर गई है. लॉकडाउन ने उत्तराखंड की पेयजल व्यवस्था को बेहतर बना दिया है.

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लॉकडाउन से 'रिचार्ज' हुआ जल संस्थान.
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Published : Jun 7, 2020, 10:04 PM IST

Updated : Jun 9, 2020, 4:11 PM IST

देहरादून: कोरोना वायरस ने हमारे आस-पास मौजूद हर एक तंत्र पर असर डाला है. जहां कोरोना और लॉकडाउन के कारण देश की आर्थिकी को खासा नुकसान हुआ है, वहीं कई ऐसे क्षेत्र भी हैं, जहां इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले हैं. पर्यावरण और पानी ये ऐसी ही दो चीजें हैं, जिनका लॉकडाउन के बाद स्वरुप बदला है. बात अगर उत्तराखंड की करें तो यहां भी लॉकडाउन के बाद पेयजल व्यवस्था के हालात बदले हैं. लॉकडाउन ने उत्तराखंड की पेयजल व्यवस्था को बेहतर बना दिया है, वहीं एक तबका ऐसा भी है जिसको लॉकडाउन और कोरोना के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

उत्तराखंड में लचर व्यवस्था के चलते आलोचनाओं में रहने वाली पेयजल व्यवस्था के हालात लॉकडाउन में बदल गये हैं. लॉकडाउन ने उत्तराखंड की पेयजल व्यवस्था को बेहतर बना दिया है. बेहतरी की तस्दीक विभागीय आंकड़े भी कर रहे हैं. उत्तराखंड जल संस्थान से मिली जानकारी के अनुसार इन दिनों जहां विभाग पर पेयजल आपूर्ति के लिए दबाव बना रहा करता था, वहीं कोरोना काल में स्थिति बिल्कुल सामान्य और नियंत्रण में है.

लॉकडाउन से 'रिचार्ज' हुआ जल संस्थान.

प्रदेश में चल रही सभी 4,285 पेयजल से हो रही बेहतर आपूर्ति
उत्तराखंड जल संस्थान के महाप्रबंधक ने बताया कि प्रदेश में मौजूदा समय में 4,285 वाटर सप्लाई स्कीम चला रही हैं. उत्तराखंड जल संस्थान बखूबी इन सभी को ऑपरेट करते हुए मेंटेनेंस भी कर रहा है. इनमें से 92 योजनाएं शहरी क्षेत्र और बाकी की ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित हो रही हैं.

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गर्मियों से पहले जलापूर्ति की तैयारी
जल संस्थान के महाप्रबंधक एसके शर्मा ने बताया कि जल संस्थान गर्मियों से पहले ही जलापूर्ति की तैयारी कर लेता है. इसके लिए सभी योजनाओं के लिए कार्ययोजना बनाई जाती है. जिसके तहत उन इलाकों, गांवों और मोहल्लों को चिन्हित किया जाता है. जहां पर पिछले ट्रेंड्स को देखते हुए पेयजल किल्लत की संभावनाएं नजर आती हैं. इनमें से ज्यादातर क्षेत्र ऐसे होते हैं, जहां पेयजल लाइनें क्षतिग्रस्त होती हैं. ऐसी जगहों पर टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति की जाती है.

पढ़ें- लंबे इंतजार के बाद दर्शन देंगे भोलेनाथ, टपकेश्वर मंदिर की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचा ETV BHARAT

टैंकरों से जल आपूर्ति की स्थिति
जल संस्थान से मिली जानकारी के अनुसार विभाग के पास 68 वाटर टैंकर हैं. इसके अतिरिक्त गर्मियों के मौसम में तकरीबन 200 अतिरिक्त निजी टैंकरों की व्यवस्था जल संस्थान द्वारा की जाती है. इन टैंकरों के संचालन की दर जिलास्तर पर विभागीय अधिकारी और जिलाधिकारियों के माध्यम से आवश्यकता अनुसार तय की जाती है. मौजूदा समय में 51 योजनाओं के तहत टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति की जा रही है. जिसमें 111 मोहल्लों और 101 ग्रमीण बस्तियों में टैंकरों का संचालन किया जा रहा है.

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इस बार पेयजल की स्थिति बेहतर
उत्तराखंड जल संस्थान के महाप्रबंधक एसके शर्मा ने बताया कि इस बार प्रदेश में पेयजल की स्थिति बेहतर है. ये चाहे लॉकडाउन के कारण हुआ हो या फिर प्रकृति की मेहरबानी रही हो, लेकिन इस बार पेयजल में कोई समस्या नहीं है. उन्होंने कहा इस बार मौसम लगातार साथ दे रहा है और लगातार बारिश हो रही है, जिससे ग्रामीण जल स्रोत रिचार्ज हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस सीजन में जल संस्थान पर जल आपूर्ति का बिल्कुल भी दबाव नहीं है.

पढ़ें- उत्तराखंड: अबतक 13 लोगों की मौत, कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा पहुंचा 1308

टैंकर संचालकों के लिए प्रतिकूल बना माहौल
एक तरफ जहां जल संस्थान इस बार राहत की सांस ले रहा है तो वहीं दूसरी ओर निजी वाटर टैंकर संचालक परेशान हैं. टैंकर संचालकों का कहना है लॉकडाउन के कारण उन पर दोहरी मार पड़ी है. पानी की डिमांड कम होने के कारण उनका धंधा चौपट हो गया है. निजी टैंकर चालकों का कहना है कि इस सीजन में राजधानी देहरादून में टैंकरों की भारी डिमांड होती थी, मगर इस बार ऐसा नहीं है.

पढ़ें- CORONA: निरंजनपुर मंडी 11 जून तक बंद, वैन से सब्जी-फलों की बिक्री

भले ही इस बार जल संस्थान पर पेयजल आपूर्ति का दबाव न हो, लेकिन कोविड-19 के इस दौर में जल संस्थान को एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है. जिम्मदारी कोविड-19 के तहत बनाये गए 350 से ज्यादा क्वारंटाइन सेंटर्स तक पेयजल आपूर्ति की. जल संस्थान के महाप्रबंधक एसके शर्मा ने बताया कि प्रदेश में कोविड के दृष्टिगत बनाये गए 350 क्वारंटाइन सेंटर्स में से 112 ऐसे केंद्र है. जहां पर वाटर सप्लाई की पाइप लाइन पहले से मौजूद है. वहीं तकरीबन 179 ऐसे केंद्र ऐसे हैं. जहां पर पेयजल की सामान्य व्यवस्था नहीं है, ऐसे जगहों पर वैकल्पिक व्यवस्थाएं जल संस्थान कर रहा है.

लॉक़डाउन और कोरोना वायरस की वजह से जहां कुछ लोगों को परेशानी हुई है, तो वहीं कुछ ने चैन की सांस भी ली है. भले ही निजी टैंकर संचालक पानी की डिमांड कम होने से परेशान हो मगर आम जनता और जल संस्थान इससे काफी खुश नजर आ रहा है. ऐसे में कहा जा सकता है कि लॉकडाउन के दौर में पानी की कम खपत ने लचर पड़ चुकी जल संस्थान की सेवाओं को रिचार्ज कर दिया है.

देहरादून: कोरोना वायरस ने हमारे आस-पास मौजूद हर एक तंत्र पर असर डाला है. जहां कोरोना और लॉकडाउन के कारण देश की आर्थिकी को खासा नुकसान हुआ है, वहीं कई ऐसे क्षेत्र भी हैं, जहां इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले हैं. पर्यावरण और पानी ये ऐसी ही दो चीजें हैं, जिनका लॉकडाउन के बाद स्वरुप बदला है. बात अगर उत्तराखंड की करें तो यहां भी लॉकडाउन के बाद पेयजल व्यवस्था के हालात बदले हैं. लॉकडाउन ने उत्तराखंड की पेयजल व्यवस्था को बेहतर बना दिया है, वहीं एक तबका ऐसा भी है जिसको लॉकडाउन और कोरोना के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

उत्तराखंड में लचर व्यवस्था के चलते आलोचनाओं में रहने वाली पेयजल व्यवस्था के हालात लॉकडाउन में बदल गये हैं. लॉकडाउन ने उत्तराखंड की पेयजल व्यवस्था को बेहतर बना दिया है. बेहतरी की तस्दीक विभागीय आंकड़े भी कर रहे हैं. उत्तराखंड जल संस्थान से मिली जानकारी के अनुसार इन दिनों जहां विभाग पर पेयजल आपूर्ति के लिए दबाव बना रहा करता था, वहीं कोरोना काल में स्थिति बिल्कुल सामान्य और नियंत्रण में है.

लॉकडाउन से 'रिचार्ज' हुआ जल संस्थान.

प्रदेश में चल रही सभी 4,285 पेयजल से हो रही बेहतर आपूर्ति
उत्तराखंड जल संस्थान के महाप्रबंधक ने बताया कि प्रदेश में मौजूदा समय में 4,285 वाटर सप्लाई स्कीम चला रही हैं. उत्तराखंड जल संस्थान बखूबी इन सभी को ऑपरेट करते हुए मेंटेनेंस भी कर रहा है. इनमें से 92 योजनाएं शहरी क्षेत्र और बाकी की ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित हो रही हैं.

पढ़ें- विधायक गणेश जोशी ने CISF को दी पीपीई किट, कहा- संसाधन मुहैया कराना प्राथमिकता

गर्मियों से पहले जलापूर्ति की तैयारी
जल संस्थान के महाप्रबंधक एसके शर्मा ने बताया कि जल संस्थान गर्मियों से पहले ही जलापूर्ति की तैयारी कर लेता है. इसके लिए सभी योजनाओं के लिए कार्ययोजना बनाई जाती है. जिसके तहत उन इलाकों, गांवों और मोहल्लों को चिन्हित किया जाता है. जहां पर पिछले ट्रेंड्स को देखते हुए पेयजल किल्लत की संभावनाएं नजर आती हैं. इनमें से ज्यादातर क्षेत्र ऐसे होते हैं, जहां पेयजल लाइनें क्षतिग्रस्त होती हैं. ऐसी जगहों पर टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति की जाती है.

पढ़ें- लंबे इंतजार के बाद दर्शन देंगे भोलेनाथ, टपकेश्वर मंदिर की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचा ETV BHARAT

टैंकरों से जल आपूर्ति की स्थिति
जल संस्थान से मिली जानकारी के अनुसार विभाग के पास 68 वाटर टैंकर हैं. इसके अतिरिक्त गर्मियों के मौसम में तकरीबन 200 अतिरिक्त निजी टैंकरों की व्यवस्था जल संस्थान द्वारा की जाती है. इन टैंकरों के संचालन की दर जिलास्तर पर विभागीय अधिकारी और जिलाधिकारियों के माध्यम से आवश्यकता अनुसार तय की जाती है. मौजूदा समय में 51 योजनाओं के तहत टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति की जा रही है. जिसमें 111 मोहल्लों और 101 ग्रमीण बस्तियों में टैंकरों का संचालन किया जा रहा है.

पढ़ें- काशीपुर: पति, पत्नी और वो...बीच सड़क पर जमकर हुई 'गुत्थमगुत्था'

इस बार पेयजल की स्थिति बेहतर
उत्तराखंड जल संस्थान के महाप्रबंधक एसके शर्मा ने बताया कि इस बार प्रदेश में पेयजल की स्थिति बेहतर है. ये चाहे लॉकडाउन के कारण हुआ हो या फिर प्रकृति की मेहरबानी रही हो, लेकिन इस बार पेयजल में कोई समस्या नहीं है. उन्होंने कहा इस बार मौसम लगातार साथ दे रहा है और लगातार बारिश हो रही है, जिससे ग्रामीण जल स्रोत रिचार्ज हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस सीजन में जल संस्थान पर जल आपूर्ति का बिल्कुल भी दबाव नहीं है.

पढ़ें- उत्तराखंड: अबतक 13 लोगों की मौत, कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा पहुंचा 1308

टैंकर संचालकों के लिए प्रतिकूल बना माहौल
एक तरफ जहां जल संस्थान इस बार राहत की सांस ले रहा है तो वहीं दूसरी ओर निजी वाटर टैंकर संचालक परेशान हैं. टैंकर संचालकों का कहना है लॉकडाउन के कारण उन पर दोहरी मार पड़ी है. पानी की डिमांड कम होने के कारण उनका धंधा चौपट हो गया है. निजी टैंकर चालकों का कहना है कि इस सीजन में राजधानी देहरादून में टैंकरों की भारी डिमांड होती थी, मगर इस बार ऐसा नहीं है.

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भले ही इस बार जल संस्थान पर पेयजल आपूर्ति का दबाव न हो, लेकिन कोविड-19 के इस दौर में जल संस्थान को एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है. जिम्मदारी कोविड-19 के तहत बनाये गए 350 से ज्यादा क्वारंटाइन सेंटर्स तक पेयजल आपूर्ति की. जल संस्थान के महाप्रबंधक एसके शर्मा ने बताया कि प्रदेश में कोविड के दृष्टिगत बनाये गए 350 क्वारंटाइन सेंटर्स में से 112 ऐसे केंद्र है. जहां पर वाटर सप्लाई की पाइप लाइन पहले से मौजूद है. वहीं तकरीबन 179 ऐसे केंद्र ऐसे हैं. जहां पर पेयजल की सामान्य व्यवस्था नहीं है, ऐसे जगहों पर वैकल्पिक व्यवस्थाएं जल संस्थान कर रहा है.

लॉक़डाउन और कोरोना वायरस की वजह से जहां कुछ लोगों को परेशानी हुई है, तो वहीं कुछ ने चैन की सांस भी ली है. भले ही निजी टैंकर संचालक पानी की डिमांड कम होने से परेशान हो मगर आम जनता और जल संस्थान इससे काफी खुश नजर आ रहा है. ऐसे में कहा जा सकता है कि लॉकडाउन के दौर में पानी की कम खपत ने लचर पड़ चुकी जल संस्थान की सेवाओं को रिचार्ज कर दिया है.

Last Updated : Jun 9, 2020, 4:11 PM IST
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