देहरादून: उत्तराखंड सहकारी बैंकों का पिछले कई सालों से करीब ₹548.32 करोड़ एनपीए में फंसा हुआ है, जिसकी रिकवरी के लिए सहकारी बैंक लगातार कोशिशें कर रहा है. अब सहकारी बैंकों को करीब ₹113 करोड़ जो एनपीए में फंसा हुआ है, उसकी रिकवरी की उम्मीद ना के बराबर है. प्रदेश में लोन ले चुके करीब 29 हजार लोग ऐसे हैं, जिन्होंने लोन लिया था लेकिन अब उनकी मौत हो गई है. ऐसे में विभाग इन लोगों के लोन माफी का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे आगामी कैबिनेट के सम्मुख रखा जाएगा.
सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि मृत किसान बकायेदारों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की लोन माफी के मूल्यांकन के लिए सहकारी बैंक के रजिस्ट्रार ने कमेटी बना दी है. जल्द ही इसका प्रस्ताव कैबिनेट के सम्मुख रखा जाएगा.
पढे़ं- Budget Session: गैरसैंण में बजट सत्र कराने की तैयारी, बढ़ी सरगर्मी
दरअसल, सहकारिता विभाग के अनुसार उत्तराखंड सहकारी बैंक का बकाया यानी एनपीए (गैर निष्पादित परिसंपत्ति) करीब 548.32 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. साल दर साल यह बकाया बढ़ता जा रहा है. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 1,19,735 लोग ऐसे हैं, जिन्होंने लोन तो लिया लेकिन लोन का भुगतान नहीं किया है, जिससे विभाग के लिए रिकवरी बड़ी चिंता की बात है. दरअसल 1,19,735 लोगों ने 397.39 करोड़ का लोन लिया था, जो कि मूलधन है. इसके साथ ही ब्याज सहित यह अमाउंट बढ़कर 548.32 करोड़ रुपया हो गया है.
इसके साथ ही इन सभी बकायेदारों में से 28,961 लोग ऐसे हैं जिन्होंने लोन तो लिया लेकिन लोन का भुगतान करने से पहले ही इन लोगों का निधन हो गया. जिसके चलते विभाग को बड़ा झटका लगा है. विभागीय आंकड़ों के अनुसार, 28,961 लोगों ने करीब 67.80 करोड़ रुपए का लोन लिया था, जो कि बैंक का मूलधन है. लेकिन ब्याज सहित यह अमाउंट करीब 113.08 करोड़ तक पहुंच गई है. इन सभी राज्य सहकारी बैंक के बकाएदारों के निधन के बाद रिकवरी की संभावना न के बराबर है.
पढे़ं- Uttarakhand Budget: विकास की लड़ाई अब किसके सहारे? पिछले बजट का आधा भी खर्च नहीं कर पाए कई विभाग
इसके चलते अब राज्य सहकारी बैंक इन सभी मृत बकायेदारों के लोन को माफ करने के लिए प्रस्ताव तैयार कर रही है, जिसे कैबिनेट के सम्मुख रखा जाएगा, जिससे फाइनल सेटलमेंट किया जा सके. इसके साथ ही अन्य बकायेदारों के लिए विभाग 10 फरवरी से 15 मार्च तक वन टाइम सेटलमेंट योजना चलाने जा रही है, जिससे एनपीए हुआ पैसा वापस आ सके.