देहरादून: प्रदेश के 13 जिलों में से 10 जिले पर्वतीय जिलों में शुमार हैं, लेकिन नौ पर्वतीय जिलों के करीब 40 फीसदी मार्गों पर परिवहन निगम की बस सेवा बंद हो चुकी है. हालांकि पर्वतीय क्षेत्रों में बसों के संचालन और बसों के बेड़े को बढ़ाने के लिए 20 अनुबंधित बसें मंगाई गई थी, लेकिन बसों के आने के दो महीने बाद भी अभी तक इनका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. जिससे जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
परिवहन निगम पहले से ही हर साल करोड़ों के घाटे में जा रहा है. इसके चलते परिवहन निगम यही तर्क देता है कि जिन मार्गों पर सवारियां कम होती हैं, वहां घाटे में बसों को संचालित नहीं कर सकते हैं. इसके उलट रोडवेज के बसों का संचालन न होने से निजी बसें और निजी वाहन मनमाने रूप से संचालित हो रहे हैं. अनुबंध बस संचालकों को 500 रुपए प्रतिदिन का जुर्माना भरना पड़ रहा है, तो वहीं, परिवहन निगम पर्वतीय मार्गों के लिए 100 नई बसों को खरीदने का दावा कर रहा है.
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अनुबंधित बसों का संचालन न होने से ये बसे देहरादून आईएसबीटी समेत अन्य स्थानों पर खड़ी हुई है. हालांकि, प्रदेश के तमाम पर्वतीय मार्ग हैं, जहां इन बसों का संचालन किया जा सकता है. पिछले कई सालों से बसों का संचालन नहीं हो रहा है. जिसके तहत देहरादून-छीवां, चकराता, देहरादून-पैडुल, देहरादून-केराड़, पौड़ी गढ़वाल, टिहरी, चमोली, उत्तरकाशी, देहरादून-जाखणीधार, देहरादून-उत्तरकाशी वाया चंबा, देहरादून-उत्तरकाशी वाया विकासनगर, देहरादून-तिलवाड़ा वाया घनसाली, देहरादून-हनुमान चट्टी, देहरादून-ग्वालदम और मसूरी-नैनीताल मार्ग आता है.
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