डोईवाला: संविदा और बेरोजगार स्टाफ नर्सेज महासंघ ने स्टाफ नर्स की भर्ती प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं. मुख्यमंत्री से मिलकर संविदा कर्मचारियों ने दूसरे राज्यों की तरह पुराने और ओवर एज हो रहे संविदा स्टाफ नर्स को स्थाई नियुक्ति की बात कही है. संविदा और बेरोजगार स्टाफ नर्सेज महासंघ ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की और अपनी समस्याओं को उनके सामने रखा. संविदा स्टाफ नर्स के रूप में कार्य कर रहे संविदा कर्मचारियों ने बताया कि सरकार द्वारा जो स्टाफ नर्स की नई भर्ती निकाली गई है उसकी चयन प्रक्रिया वर्ष वार की जानी चाहिए.
संविदा और बेरोजगार स्टाफ नर्सेज महासंघ ने कहा कि हिमाचल प्रदेश और राजस्थान की तर्ज पर कई वर्षों से कार्य कर रहे संविदा कर्मचारी को समायोजित किया जाना चाहिए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो सैकड़ों संविदा कर्मचारी जो स्टाफ नर्स के रूप में कार्य कर रहे हैं. वह नए स्टाफ नर्स और बीएससी नर्सिंग करने वाले छात्रों के सामने पीछे रह जाएंगे. उनका यह वर्ष अंतिम वर्ष है इसके बाद सैकड़ों संविदा स्टाफ नर्स ओवर एज हो जाएंगे. वहीं कई वर्षों तक स्वास्थ्य विभाग में नौकरी करने के साथ ही कोविड-19 में जान जोखिम में डालकर कार्य करने के बाद भी वो घर बैठने को मजबूर हो जाएंगे. सैकड़ों कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी पीड़ा को बताया. साथ ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से नर्सेज भर्ती प्रक्रिया में संशोधन कर कई वर्षों से कार्य कर रहे और ओवर एज होने वाले संविदा कर्मियों को समायोजित करने के लिए गुहार लगाई.
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संविदा कर्मचारियों ने कहा कि डिप्लोमा धारी स्टाफ नर्स के साथ डिग्री धारी स्टाफ नर्स को एक साथ परीक्षा द्वारा चयन करना सही नहीं है. डिप्लोमा और डिग्री धारी भर्तियों का चयन पहले की भांति 70% डिप्लोमा और 30% डिग्री धारी होना चाहिए. वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि स्टाफ नर्स की भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए परीक्षा कराई जा रही है.