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लोकसभा चुनाव 2019 के परिणामों पर टिकी प्रीतम की कार्यकारिणी, हरदा और किशोर बन सकते हैं मुश्किल?

लोकसभा चुनाव 2019 के लिए कल नतीजे आने वाले हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि अगर चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में नहीं आए तो कांग्रेस की कार्यकारणी अधर में लटक सकती है.

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Published : May 22, 2019, 8:29 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में कांग्रेस की कार्यकारिणी के गठन को लेकर कार्यकर्ताओं को अभी लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. माना जा रहा है कि प्रीतम की नई कार्यकारिणी की तस्वीर आगामी लोकसभा चुनाव के परिणामों पर निर्भर होगी. चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आए तो कार्यकारिणी के गठन की उम्मीदें ज्यादा होंगी. जबकि परिणामों के खराब आने पर प्रीतम सिंह की नई कार्यकारिणी गठन को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

पढ़ें- फैसले की घड़ीः कोई बनेगा चमकता चांद तो कोई टूटा हुआ तारा, ऐसा है सुरक्षा का चक्रव्यूह

उत्तराखंड में 2 साल पहले प्रीतम सिंह को प्रदेश की कमान सौंपे जाने के बाद से ही नई कार्यकारिणी के गठन को लेकर इंतजार चल रहा है. पार्टी कार्यकर्ता नई कार्यकारिणी को लेकर खुद असमंजस में फस गए हैं. हालांकि, लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद नई कार्यकारिणी के गठन की बातें जोर पकड़ने लगी हैं. लेकिन सूत्र बताते हैं कि चुनाव नतीजे कांग्रेस के पक्ष में नहीं आए तो नई कार्यकारिणी अधर में लटक सकती है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह की मानें तो चुनाव नतीजों के बाद कार्यकारिणी के गठन को हरी झंडी दिखा दी जाएगी.

चुनाव के परिणामों पर टिकी प्रीतम की कार्यकारिणी

चर्चाएं हैं कि प्रीतम सिंह कार्यकारिणी को छोटा स्वरूप देना चाहते हैं. हालांकि, ऐसा हुआ तो भी नई कार्यकारिणी के गठन पर अड़ंगा लग सकता है. क्योंकि, छोटी कार्यकारिणी में कई नेताओं को समायोजित नहीं किया जा सकेगा. वहीं हरीश और किशोर उपाध्याय गुट इसके खिलाफ सिर उठा सकता है. हालांकि, पार्टी नेता छोटी कार्यकारिणी की चर्चाओं के बीच अब भी यही उम्मीद कर रहे हैं कि प्रीतम सिंह सभी नेताओं को समायोजित करेंगें, ताकि आने वाले अगले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी मजबूती के साथ आगे बढ़ सके.

कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि चुनाव नतीजों के बेहतर न रहने पर प्रीतम सिंह को अपनी नई कार्यकारिणी के गठन में खासी दिक्कतें आ सकती हैं और पार्टी नेताओं को अभी कार्यकारिणी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है.

यूं तो कांग्रेस के अंदर वर्चस्व की लड़ाई कोई नई बात नहीं है, लेकिन मौजूदा समय में इंदिरा हृदयेश और प्रीतम सिंह, हरदा के मुकाबले खुद को ज्यादा मजबूत करने में जुटे हुए हैं. यही स्थिति हरदा की भी है, खुद हरीश रावत भी उत्तराखंड में अपने पांव जमाए रखने के लिए प्रीतम-इंदिरा गुट से मजबूती के साथ मुकाबला कर रहे हैं. ऐसे में पार्टी के अंदर इन दो गुटों की आपसी लड़ाई नई कार्यकारिणी के लिए रोड़ा बनी हुई है.

देहरादून: उत्तराखंड में कांग्रेस की कार्यकारिणी के गठन को लेकर कार्यकर्ताओं को अभी लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. माना जा रहा है कि प्रीतम की नई कार्यकारिणी की तस्वीर आगामी लोकसभा चुनाव के परिणामों पर निर्भर होगी. चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आए तो कार्यकारिणी के गठन की उम्मीदें ज्यादा होंगी. जबकि परिणामों के खराब आने पर प्रीतम सिंह की नई कार्यकारिणी गठन को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

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उत्तराखंड में 2 साल पहले प्रीतम सिंह को प्रदेश की कमान सौंपे जाने के बाद से ही नई कार्यकारिणी के गठन को लेकर इंतजार चल रहा है. पार्टी कार्यकर्ता नई कार्यकारिणी को लेकर खुद असमंजस में फस गए हैं. हालांकि, लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद नई कार्यकारिणी के गठन की बातें जोर पकड़ने लगी हैं. लेकिन सूत्र बताते हैं कि चुनाव नतीजे कांग्रेस के पक्ष में नहीं आए तो नई कार्यकारिणी अधर में लटक सकती है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह की मानें तो चुनाव नतीजों के बाद कार्यकारिणी के गठन को हरी झंडी दिखा दी जाएगी.

चुनाव के परिणामों पर टिकी प्रीतम की कार्यकारिणी

चर्चाएं हैं कि प्रीतम सिंह कार्यकारिणी को छोटा स्वरूप देना चाहते हैं. हालांकि, ऐसा हुआ तो भी नई कार्यकारिणी के गठन पर अड़ंगा लग सकता है. क्योंकि, छोटी कार्यकारिणी में कई नेताओं को समायोजित नहीं किया जा सकेगा. वहीं हरीश और किशोर उपाध्याय गुट इसके खिलाफ सिर उठा सकता है. हालांकि, पार्टी नेता छोटी कार्यकारिणी की चर्चाओं के बीच अब भी यही उम्मीद कर रहे हैं कि प्रीतम सिंह सभी नेताओं को समायोजित करेंगें, ताकि आने वाले अगले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी मजबूती के साथ आगे बढ़ सके.

कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि चुनाव नतीजों के बेहतर न रहने पर प्रीतम सिंह को अपनी नई कार्यकारिणी के गठन में खासी दिक्कतें आ सकती हैं और पार्टी नेताओं को अभी कार्यकारिणी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है.

यूं तो कांग्रेस के अंदर वर्चस्व की लड़ाई कोई नई बात नहीं है, लेकिन मौजूदा समय में इंदिरा हृदयेश और प्रीतम सिंह, हरदा के मुकाबले खुद को ज्यादा मजबूत करने में जुटे हुए हैं. यही स्थिति हरदा की भी है, खुद हरीश रावत भी उत्तराखंड में अपने पांव जमाए रखने के लिए प्रीतम-इंदिरा गुट से मजबूती के साथ मुकाबला कर रहे हैं. ऐसे में पार्टी के अंदर इन दो गुटों की आपसी लड़ाई नई कार्यकारिणी के लिए रोड़ा बनी हुई है.

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उत्तराखंड में प्रीतम कार्यकारिणी के गठन को लेकर कार्यकर्ताओं को अभी लंबा इंतजार करना पड़ सकता है दरअसल माना जा रहा है कि प्रीतम की नई कार्यकारिणी की तस्वीर आगामी लोकसभा चुनाव के परिणामों पर निर्भर होगी.. चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आए तो कार्यकारिणी के गठन की उम्मीदें ज्यादा होंगी जबकि परिणामों के खराब आने पर प्रीतम सिंह की नई कार्यकारिणी गठन को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।


Body:उत्तराखंड में 2 साल पहले प्रीतम सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से ही नई कार्यकारिणी के गठन को लेकर इंतजार किया जा रहा है.. इंतजार अब इतना लंबा हो चुका है कि पार्टी कार्यकर्ता नई कार्यकारिणी को लेकर खुद असमंजस में फस गए हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद नई कार्यकारिणी के गठन की बातें जोर पकड़ने लगी है लेकिन सूत्र बताते हैं कि चुनाव नतीजे कांग्रेस के पक्ष में ना रहे तो नई कार्यकारिणी अधर में लटक सकती है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह की मानें तो चुनाव नतीजों के बाद कार्यकारिणी के गठन को हरी झंडी दिखा दी जाएगी।

बाइट प्रीतम सिंह प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस

प्रीतम सिंह की नई कार्यकारिणी को लेकर चर्चाएं हैं कि प्रीतम सिंह कार्यकारिणी को छोटा स्वरूप देना चाहते हैं हालांकि ऐसा हुआ तो भी नई कार्यकारिणी के गठन पर अड़ंगा पड़ सकता है क्योंकि छोटी कार्यकारिणी में कई नेताओं को समायोजित नहीं किया जा सकेगा और जिसके बाद हरीश और किशोर उपाध्याय गुट इसके खिलाफ सर उठा सकता है। हालांकि पार्टी नेता छोटी कार्यकारिणी की चर्चाओं के बीच अब भी यही उम्मीद कर रहे हैं कि प्रीतम सिंह सभी नेताओं को समायोजित करेंगें ताकि आने वाले अगले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी मजबूती के साथ आगे बढ़ सके।

बाइट मथुरा दत्त जोशी प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस

कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि चुनाव नतीजों के बेहतर न रहने पर प्रीतम सिंह को अपनी नई कार्यकारिणी के गठन में खासी दिक्कतें आ सकती हैं और पार्टी नेताओं को अभी कार्यकारिणी के लिए और लंबा समय इंतजार करना पड़ सकता है। इसकी एक वजह सीधे तौर पर चुनाव के अच्छे परिणाम न रहने पर हार का ठीकरा फोड़ने की कवायद होगी... ऐसा हुआ तो कांग्रेस के अंदर सर फुटव्वल की स्थिति पैदा हो जाएगी और नई कार्यकारिणी की जगह हाईकमान में अंतर्विरोध की चिंगारियां पर बहस शुरू हो जाएगी। और ऐसी स्थिति में नई कार्यकारिणी का गठन करना पार्टी के लिए थोड़ा मुश्किल होगा और शायद सूत्र इसी ओर इशारा भी कर रहे हैं।


Conclusion:यूं तो कांग्रेस के अंदर वर्चस्व की लड़ाई कोई नई बात नहीं रही है लेकिन मौजूदा समय में इंदिरा हृदयेश और प्रीतम सिंह, हरदा के मुकाबले खुद को ज्यादा मजबूत करने में जुटे हुए हैं यही स्थिति हरदा की भी है, खुद हरीश रावत भी उत्तराखंड में अपने पावों को जमाए रखने के लिए प्रीतम- इंदिरा गुट से मजबूती के साथ मुकाबला कर रहे हैं। ऐसे में पार्टी के अंदर इन दो गुटों की आपसी लड़ाई नई कार्यकारिणी के लिए रोड़ा बनी हुई है।
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