देहरादून: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद विवाद बढ़ता जा रहा है. इस बयान पर संसद में भी संग्राम हुआ. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से इस मामले को लेकर माफी मांगने की मांग उठाई. कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के बीच सदन में हुई नोकझोंक के बाद कांग्रेस जनों में आक्रोश है. इसके विरोध में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने देहरादून के एश्ले हॉल चौक पर स्मृति ईरानी का पुतला दहन करते हुए अपना विरोध प्रकट किया.
महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ज्योति रौतेला ने कहा कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस की ही नेता नहीं, बल्कि देश की लीडर के साथ दुर्व्यवहार किया है. जिसकी वो घोर निंदा करते हैं. उन्होंने कहा कि स्मृति ईरानी यह सब इसलिए कर रही है, क्योंकि उनकी बेटी ने मृतक व्यक्ति के नाम से बार का फर्जी लाइसेंस हासिल किया है. जब कांग्रेसजनों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया, तब से ही स्मृति ईरानी संसदीय भाषा भूल गई है. ज्योति रौतेला का कहना है कि वो एजुकेशन मिनिस्टर भी रही हैं. ऐसे में विपक्ष की लीडर से उन्हें इस प्रकार का व्यवहार नहीं करना चाहिए था. उन्होंने कहा कि इस दुर्व्यवहार के लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए.
देहरादून में आप कार्यकर्ताओं ने दिया धरनाः सदन से निलंबित किए गए आप सांसदों की बहाली की मांग को लेकर आप कार्यकर्ताओं ने घंटाघर स्थित डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के नीचे बैठकर उपवास रखा. इस दौरान आप नेताओं ने सरकार को तानाशाही सरकार करार दिया. आप के गढ़वाल मीडिया प्रभारी रविंदर आनंद का कहना है कि केंद्र सरकार ने लोकशाही का कत्ल करते हुए आम आदमी पार्टी के 3 सांसदों को निलंबित कर दिया है. इसलिए हम उनकी बहाली की मांग को लेकर उपवास और धरना दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार से मांग करते है कि निलंबित सांसदों की बहाली की जाए.
रविंद्र आनंद का कहना है कि केंद्र सरकार तानाशाही और हिटलर शाही के रास्ते पर चल रही है. इसके विरोध में उन्हें धरना देने और उपवास रखने के लिए मजबूर होना पड़ा है. वहीं, आप प्रदेश प्रवक्ता कमलेश रमन का कहना है कि जिस संविधान को बनाने में बाबासाहेब ने इतना समय लगाया, आज केंद्र सरकार उसी संविधान की धज्जियां उड़ाने में लगी हुई है. आज कोई सांसद यदि जनता की आवाज उठाता है तो उसे निलंबित कर दिया जाता है. ऐसे में केंद्र सरकार लोकतंत्र की हत्या करने पर तुली है.