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सहकारी बैंक नियुक्ति मामले में घिरे धन सिंह रावत, कांग्रेस ने जांच फाइल दबाने का लगाया आरोप

सहकारी बैंक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों नियुक्ति मामले में सरकार ने भले ही जांच के दे दिए हो, लेकिन 5 महीने बाद भी जांच रिपोर्ट नहीं आई है. वहीं, मामले में सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत का नया बयान सरकार की मंशा पर संदेह पैदा कर रहा है. जिसको लेकर कांग्रेस ने धन सिंह रावत पर निशाना साधा है. साथ ही उन पर जांच फाइल दबाने का आरोप लगाया है.

Congress targets Dhan Singh Rawat
सहकारी बैंक नियुक्ति मामले पर घिरे धन सिंह रावतarat
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Published : Aug 18, 2022, 9:49 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड को-ऑपरेटिव बैंक (Uttarakhand Cooperative Bank) के अंतर्गत हुई नियुक्ति मामले पर विभागीय मंत्री धन सिंह रावत सवालों के घेरे में हैं. दरअसल 5 महीने पहले चतुर्थ श्रेणी नियुक्ति मामले में जांच के आदेश दिए गए थे, लेकिन आज तक किसी भी जिले की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई है. उधर सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत (Cooperation Minister Dhan Singh Rawat) ने जिस तरह इस मामले पर बचाव करना शुरू किया है, उसने नियुक्ति की हुई जांच पर सरकार की भूमिका को संदेह में ला दिया है. सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत अपने बयान को लेकर खुद कांग्रेस के निशाने पर आ गए हैं और नियुक्ति में गड़बड़ी के आरोप को झेल रहे हैं.

सहकारी बैंक नियुक्ति मामले में जांच रिपोर्ट नहीं आई: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर लीक मामले (Uttarakhand Subordinate Service Selection Commission Paper Leak Cases) में अब तक 19 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. लेकिन सहकारिता विभाग (cooperative Department) में पिछले 5 महीनों से अब तक जांच भी पूरी नहीं हो पाई है. खास बात यह है कि अब सहकारिता के तहत को-ऑपरेटिव बैंकों में हुई भर्ती की जांच पर लीपापोती के आरोप लगे हैं. आपको बता दें कि अप्रैल महीने में को-ऑपरेटिव बैंकों में भर्ती प्रक्रिया रोक कर इसकी जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था.

सहकारी बैंक नियुक्ति मामले में घिरे धन सिंह रावत.

नियुक्ति में भाई भतीजावाद का लगा आरोप: भाजपा सरकार में हुई नियुक्ति (Appointment in BJP government) में इसी सरकार ने जांच के आदेश दिए तो माना गया कि शायद नियुक्ति को लेकर सरकार की मंशा साफ है. आशंका यह थी कि जिला को-ऑपरेटिव बैंकों में सफेदपोश और अधिकारियों द्वारा भाई भतीजावाद अपनाया गया है. साथ ही देहरादून, पिथौरागढ़ सहित नैनीताल जिले में नियुक्तियों में भारी अनियमितताएं भी हुई है.

2020 में हुई थी नियुक्ति: इसमें दिसंबर 2020 में 423 पदों पर भर्ती प्रक्रिया (Recruitment process for 423 posts) की गई थी, लेकिन भर्ती प्रक्रिया शुरू होते ही इस में गड़बड़ियों के कई मामले सामने आने लगे. बड़ी बात यह है कि जांच के आदेश विभागीय मंत्री की तरफ से दिए गए, लेकिन इसके बावजूद विभागीय मंत्री ही खुद इस नियुक्ति को लेकर आरोपों में घिरते हुए दिखाई दिए.

ये भी पढ़ें: UKSSSC Paper Leak मामले में उत्तरकाशी से 19वीं गिरफ्तारी, रडार पर कई सफेदपोश नेता

आरोपों में घिरे धन सिंह रावत: अब सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत (Cooperation Minister Dhan Singh Rawat) एक बार फिर इन नियुक्तियों में गड़बड़ी के लिए सीधे तौर पर आरोपी बताए जा रहे हैं. विपक्ष के इन आरोपों के बीच यह मामला फिर एक बार इसलिए उठाया जा रहा है. क्योंकि इस बार धन सिंह रावत ने तमाम नियुक्तियों के मामले में मीडिया द्वारा गलत तरीके से बातें पेश करने की बात कही है. उन्होंने खुद ही इस मामले में जांच के आदेश दिए और अब वह खुद ही यह बात कह रहे हैं कि अब तक इस पर किसी भी अभ्यर्थी ने कोई शिकायत नहीं की है और यह कोई घोटाला नहीं है.

अब तक नहीं आई जांच रिपोर्ट: बीवीआरसी पुरुषोत्तम, सचिव सहकारिता ने मौजूदा स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा तीन जिलों के लिए जांच की गई थी. जिसमें से अभी 2 जिलों की रिपोर्ट नहीं आई है. उम्मीद की जा रही है कि इसी हफ्ते सभी जिलों के लिए जांच रिपोर्ट सामने आ जाएगी. इसके बाद इस मामले में रिपोर्ट के अनुसार कार्रवाई की जाएगी.

विभागीय अधिकारियों को सौंपी गई जांच: गौरतलब है कि जिला को-ऑपरेटिव बैंकों में विभागीय अधिकारियों को ही जांच सौंपी गई थी और इस जांच में कई बड़े और गंभीर तथ्य सामने आने की बात कही जा रही है. मामले में एक जिले की रिपोर्ट आ चुकी है. जबकि बाकी जिलों की रिपोर्ट आनी बाकी है. खास बात यह भी है कि नियुक्ति में गड़बड़ी मामले पर सचिव की तरफ से 15 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट शासन में देने के निर्देश भी दे दिए गए हैं.

कांग्रेस के निशाने पर धन सिंह रावत: मामले में कांग्रेस ने तो अब सीधे तौर पर धन सिंह रावत पर ही हमला बोल दिया है. कांग्रेस के नेताओं की मानें तो धन सिंह रावत नियुक्ति घोटाले में सीधे-सीधे आरोपी हैं और अब जिस तरह से उनके लिए यह घोटाला गले की फांस बन चुका है, उसके बाद भी नियुक्ति में हुई जांच की फाइल को दबाने का काम कर रहे हैं.

देहरादून: उत्तराखंड को-ऑपरेटिव बैंक (Uttarakhand Cooperative Bank) के अंतर्गत हुई नियुक्ति मामले पर विभागीय मंत्री धन सिंह रावत सवालों के घेरे में हैं. दरअसल 5 महीने पहले चतुर्थ श्रेणी नियुक्ति मामले में जांच के आदेश दिए गए थे, लेकिन आज तक किसी भी जिले की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई है. उधर सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत (Cooperation Minister Dhan Singh Rawat) ने जिस तरह इस मामले पर बचाव करना शुरू किया है, उसने नियुक्ति की हुई जांच पर सरकार की भूमिका को संदेह में ला दिया है. सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत अपने बयान को लेकर खुद कांग्रेस के निशाने पर आ गए हैं और नियुक्ति में गड़बड़ी के आरोप को झेल रहे हैं.

सहकारी बैंक नियुक्ति मामले में जांच रिपोर्ट नहीं आई: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर लीक मामले (Uttarakhand Subordinate Service Selection Commission Paper Leak Cases) में अब तक 19 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. लेकिन सहकारिता विभाग (cooperative Department) में पिछले 5 महीनों से अब तक जांच भी पूरी नहीं हो पाई है. खास बात यह है कि अब सहकारिता के तहत को-ऑपरेटिव बैंकों में हुई भर्ती की जांच पर लीपापोती के आरोप लगे हैं. आपको बता दें कि अप्रैल महीने में को-ऑपरेटिव बैंकों में भर्ती प्रक्रिया रोक कर इसकी जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था.

सहकारी बैंक नियुक्ति मामले में घिरे धन सिंह रावत.

नियुक्ति में भाई भतीजावाद का लगा आरोप: भाजपा सरकार में हुई नियुक्ति (Appointment in BJP government) में इसी सरकार ने जांच के आदेश दिए तो माना गया कि शायद नियुक्ति को लेकर सरकार की मंशा साफ है. आशंका यह थी कि जिला को-ऑपरेटिव बैंकों में सफेदपोश और अधिकारियों द्वारा भाई भतीजावाद अपनाया गया है. साथ ही देहरादून, पिथौरागढ़ सहित नैनीताल जिले में नियुक्तियों में भारी अनियमितताएं भी हुई है.

2020 में हुई थी नियुक्ति: इसमें दिसंबर 2020 में 423 पदों पर भर्ती प्रक्रिया (Recruitment process for 423 posts) की गई थी, लेकिन भर्ती प्रक्रिया शुरू होते ही इस में गड़बड़ियों के कई मामले सामने आने लगे. बड़ी बात यह है कि जांच के आदेश विभागीय मंत्री की तरफ से दिए गए, लेकिन इसके बावजूद विभागीय मंत्री ही खुद इस नियुक्ति को लेकर आरोपों में घिरते हुए दिखाई दिए.

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आरोपों में घिरे धन सिंह रावत: अब सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत (Cooperation Minister Dhan Singh Rawat) एक बार फिर इन नियुक्तियों में गड़बड़ी के लिए सीधे तौर पर आरोपी बताए जा रहे हैं. विपक्ष के इन आरोपों के बीच यह मामला फिर एक बार इसलिए उठाया जा रहा है. क्योंकि इस बार धन सिंह रावत ने तमाम नियुक्तियों के मामले में मीडिया द्वारा गलत तरीके से बातें पेश करने की बात कही है. उन्होंने खुद ही इस मामले में जांच के आदेश दिए और अब वह खुद ही यह बात कह रहे हैं कि अब तक इस पर किसी भी अभ्यर्थी ने कोई शिकायत नहीं की है और यह कोई घोटाला नहीं है.

अब तक नहीं आई जांच रिपोर्ट: बीवीआरसी पुरुषोत्तम, सचिव सहकारिता ने मौजूदा स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा तीन जिलों के लिए जांच की गई थी. जिसमें से अभी 2 जिलों की रिपोर्ट नहीं आई है. उम्मीद की जा रही है कि इसी हफ्ते सभी जिलों के लिए जांच रिपोर्ट सामने आ जाएगी. इसके बाद इस मामले में रिपोर्ट के अनुसार कार्रवाई की जाएगी.

विभागीय अधिकारियों को सौंपी गई जांच: गौरतलब है कि जिला को-ऑपरेटिव बैंकों में विभागीय अधिकारियों को ही जांच सौंपी गई थी और इस जांच में कई बड़े और गंभीर तथ्य सामने आने की बात कही जा रही है. मामले में एक जिले की रिपोर्ट आ चुकी है. जबकि बाकी जिलों की रिपोर्ट आनी बाकी है. खास बात यह भी है कि नियुक्ति में गड़बड़ी मामले पर सचिव की तरफ से 15 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट शासन में देने के निर्देश भी दे दिए गए हैं.

कांग्रेस के निशाने पर धन सिंह रावत: मामले में कांग्रेस ने तो अब सीधे तौर पर धन सिंह रावत पर ही हमला बोल दिया है. कांग्रेस के नेताओं की मानें तो धन सिंह रावत नियुक्ति घोटाले में सीधे-सीधे आरोपी हैं और अब जिस तरह से उनके लिए यह घोटाला गले की फांस बन चुका है, उसके बाद भी नियुक्ति में हुई जांच की फाइल को दबाने का काम कर रहे हैं.

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