देहरादून: उत्तराखंड का इतिहास है कि राज्य गठन को भले ही अब तक 22 साल हुए हैं, लेकिन लगभग प्रदेश को एक दर्जन ब्रांड एंबेसडर मिल चुके हैं. वो बात अलग है कि किसी भी ब्रांड एंबेसडर ने प्रदेश के लिए एक शब्द तो बोलना छोड़िए उत्तराखंड में आने की जहमत भी नहीं उठाई है. अब हाल फिलहाल में पहले क्रिकेटर ऋषभ पंत (cricketer Rishabh Pant) और उसके बाद लेखक प्रसून जोशी (Writer Prasoon Joshi) को उत्तराखंड का ब्रांड एंबेसडर (Uttarakhand brand ambassador) बनाया गया है. जिसके बाद कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया है.
वैसे किसी भी राज्य या किसी भी विभाग के लिए यह बेहद जरूरी होता है कि उसकी अच्छे से ब्रांडिंग हो सके. उत्तराखंड तो वैसे भी अभी 22 साल पहले ही अस्तित्व में आया है. उसके बाद उत्तराखंड के अलग-अलग विभागों और यहां के पर्यटक स्थलों की ब्रांडिंग जरूरी भी है. पर्यटन पर यहां की आर्थिकी पूरी तरह से निर्भर है. लिहाजा राज्य में कांग्रेस की सरकार हो या बीजेपी की, हर किसी ने अलग-अलग सेलिब्रिटी को ब्रांड एंबेसडर बनाया है. अब तक इनमें से ज्यादातर ब्रांड एंबेसडर फिल्म जगत और क्रिकेट से ही बनाए गए हैं.
यह भी हकीकत है कि राज्य सरकारों ने किसी को भी यहां का ब्रांड एंबेसडर बनाया हो, उन्होंने प्रदेश के लिए ऐसा कुछ नहीं किया. लेकिन फिर भी आने वाली सरकारें दोबारा से बड़ी हस्तियों को प्रदेश की ब्रांड एंबेसडर बना देती हैं जो मुंबई और बड़े शहरों से बाहर निकलते ही नहीं. अगर पिछले ब्रांड एंबेसडर अपनी कुछ पहचान का फायदा प्रदेश को दिलवा पाते तो सरकारों का ये निर्णय समझ में भी आता भी लेकिन लगातार ऐसे फैसले लेना समझ से परे है.
मसूरी में शूटिंग, नाम कसौली का: ब्रांड एंबेसडर बनाने का बीते महीने भी विरोध हुआ था, जब फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार मसूरी में एक महीने फिल्म की शूटिंग करके मुंबई तो लौट गए, लेकिन जैसे ही वो फिल्म रिलीज हुई तो उस फिल्म में फिल्माए गए सीन को हिमाचल का क्रेडिट मिला. इसके बाद भी कांग्रेस ने सवाल किया था कि आखिरकार यह कैसे ब्रांड एंबेसडर हैं, जो राज्य में आकर राज्य का ही भला नहीं कर रहे हैं.
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जोशी को प्रधानमंत्री के इंटरव्यू का गिफ्ट: अब बात प्रसून जोशी को लेकर उठी है. कांग्रेसी आरोप लगा रही है कि क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू प्रसून जोशी ने किया इसलिए उनको इनाम स्वरूप यह ब्रांड एंबेसडर की उपाधि दी गई है. वैसे पहले धामी सरकार ने ही क्रिकेटर ऋषभ पंत को उत्तराखंड का ब्रांड एंबेसडर बनाया था. लगभग 3 महीने से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी ऋषभ पंत तो क्रिकेट में व्यस्त हैं और यह उपाधि उनके लिए अभी तक तो महज नाम मात्र की ही दिखाई दे रही है.
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि उत्तराखंड में बीजेपी सरकार ने जैसे नए-नए मुख्यमंत्री बनाने का काम किया है, यही सिलसिला उन्होंने ब्रांड एंबेसडर बनाने को लेकर भी शुरू कर दिया है. कांग्रेस प्रवक्ता सुजाता पॉल की मानें तो प्रदेश में ऐसा कोई काम हुआ ही नहीं, जिसकी ब्रांडिंग यह अभिनेता और क्रिकेटर करेंगे.
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कोहली, हेमा मालनी और धोनी बन चुके हैं ब्रांड एंबेसडर: अब प्रसून जोशी को प्रदेश का ब्रांड एंबेसडर चुने जाने पर कांग्रेस का कहना है कि जोशी को केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू लिये जाने का गिफ्ट मिला है, जबकि कोई बताए कि उन्होंने प्रदेश के लिए क्या किया है? ऐसा ही हाल ऋषभ पंत, अक्षय कुमार, हेमा मालिनी, महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली जैसे अभिनेता और क्रिकेटरों के समय पर ही हुआ है.
कोहली ने किया एक एड शूट: वैसे इसे उत्तराखंड का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि विराट कोहली को पूर्व में कांग्रेस की हरीश रावत सरकार ने पर्यटन विभाग का ब्रांड एंबेसडर बनाया था. लेकिन ना तो कोहली कभी यहां आए और ना ही उनकी जुबां से उत्तराखंड के लिए कोई संदेश निकला. हां, इतना जरूर है कि एक विज्ञापन के माध्यम से राज्य सरकार ने उस वक्त करोड़ों रुपए खर्च किए थे. तब जाकर उन्होंने उत्तराखंड के लिए एक एड शूट किया था.
धोनी भी रहे दूर-दूर: वैसे उत्तराखंड की नियति रही है कि ब्रांड एंबेसडर तो बड़े-बड़े नाम बनाए गए. लेकिन उन्होंने कभी उत्तराखंड के लिए कुछ किया ही नहीं. पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भी उत्तराखंड में बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए हाथ बढ़ाया था. तब पूर्व में कांग्रेस की हरीश रावत सरकार ने उन्हें यहां पर 'सेव टाइगर प्रोजेक्ट' का ब्रांड एंबेसडर घोषित किया था. लेकिन वो अपने खेल में इतने व्यस्त रहे कि कभी उत्तराखंड और यहां टाइगर के लिए समय दे ही नहीं पाए.
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हेमा मालिनी का रिकॉर्ड भी वैसा: ऐसा ही हाल निशंक सरकार में मशहूर अभिनेत्री हेमा मालिनी का भी रहा. हेमा मालिनी को उस वक्त 'स्पर्श गंगा अभियान' का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया था, लेकिन कुछ कार्यक्रमों को छोड़ दें तो हेमा मालिनी भी उसके बाद उत्तराखंड में गंगा के लिए कुछ करती दिखाई नहीं दीं.
ये हैं असली ब्रांड एंबेसडर: कांग्रेस कह रही है कि उत्तराखंड के असली ब्रांड एंबेसडर वो बेरोजगार युवा हैं, जो दर-दर नौकरी के लिए ठोकरें खा रहे हैं. वो महिलाएं हैं जो नौकरी के लिए बाहर अपने गांव छोड़ कर आ रही हैं, और उनके साथ अपराध हो जाते हैं. सरकार को चाहिए कि चुनावों में व्यस्तता ना दिखाकर राज्य के लिए कुछ करें ताकि ऐसे डमी इंसानों को ब्रांड एंबेसडर ना बनाना पड़े.
कांग्रेस के सवाल पर बीजेपी का जवाब: फिलहाल बीजेपी सरकार पर उनके बनाए गए ब्रांड एंबेसडर को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. बीजेपी भी कांग्रेस को जवाब दे रही है. बीजेपी प्रवक्ता मनवीर चौहान इसे कांग्रेस की बोखलाहट बता रहे हैं. चौहान का कहना है की ऋषभ पंत हों या प्रसून जोशी, दोनों ने प्रदेश का नाम रोशन किया है. सिर्फ देश ही नहीं विदेशों में भी उनके काम की सराहना की जाती है. ऐसे में कांग्रेस धामी सरकार के कामों को देखकर इस तरह के आरोप लगा रही है.
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योगी की लोकप्रियता ब्रांड एंबेसडर पर भारी: वैसे साल 2021 और 2022 में उत्तराखंड के ही पड़ोसी राज्य यूपी में अगर ODOP 'एक जिला-एक उत्पाद' में एक्ट्रेस कंगना रनौत को छोड़ दें, तो किसी को भी ब्रांड एंबेसडर नहीं बनाया गया है, जिसका सबसे बड़ा कारण यूपी के सीएम की खुद की लोकप्रियता भी है.
हालांकि, सीएम योगी ने 2018 में अमिताभ बच्चन से लेकर अक्षय और धोनी जैसे बड़े नामों को ब्रांड एंबेसडर बनाया था. लेकिन ये सभी ना केवल वहां पर कई कार्यक्रमों में पहुंचे, बल्कि सीएम योगी के साथ कई बार दिखे भी. इतना ही नहीं, फिल्म की शूटिंग से लेकर खेल के क्षेत्र में भी इन्होंने काम किया है. अब धामी सरकार को भी चाहिए की ब्रांड एंबेसडर बनाएं. लेकिन ये चेहरे प्रदेश के लिए क्या कर रहे हैं, इस बात की भी मॉनिटरिंग जरूरी है.